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विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में लोचशील और हरित शहरी अवसंरचना में अधिक निवेश आवश्यकता को उजागर किया गया | Current Affairs | Vision IAS
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विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में लोचशील और हरित शहरी अवसंरचना में अधिक निवेश आवश्यकता को उजागर किया गया

Posted 22 Jul 2025

Updated 23 Jul 2025

12 min read

यह रिपोर्ट “टुवर्ड्स रेसिलिएंट एंड प्रॉपेरस सिटीज़ इन इंडिया” शीर्षक से जारी की गई है। इसमें यह अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक रेसिलिएंट और हरित शहरी अवसंरचना एवं सेवाओं के लिए कुल 2.4 ट्रिलियन डॉलर की आवश्यकता होगी। 

भारत के शहरी क्षेत्र से संबंधित मुख्य आंकड़े 

  • शहरी जनसंख्या: 2020 में, शहरों में राष्ट्रीय जनसंख्या के एक तिहाई से अधिक लगभग 480 मिलियन लोग रहते थे।
  • असुरक्षित क्षेत्रों में विस्तार: 1985 और 2015 के बीच, बाढ़ के मामले में उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में बस्तियों का विस्तार 102% बढ़ गया है।
  • भावी पूर्वानुमान: 2050 तक शहरी जनसंख्या दोगुनी होकर 951 मिलियन हो जाने की संभावना है।
    • 2030 तक सृजित होने वाले सभी नए रोजगार का 70% हिस्सा शहरों में होगा और ये   2050 तक सकल घरेलू उत्पाद में 75% का योगदान करेंगे।

भारतीय शहरों के समक्ष जलवायु संबंधी जोखिम

  • बाढ़: 2070 तक वर्षा जनित बाढ़ (सतही जल बाढ़) के जोखिम में 3.6 से 7 गुना तक की वृद्धि का अनुमान है। इसके लिए जिम्मेदार कारक जलवायु परिवर्तन से जुड़ी अनिश्चित और तीव्र वर्षा तथा कंक्रीट निर्मित सतही क्षेत्रों में वृद्धि होंगे। 
  • अत्यधिक गर्मी: 2050 तक प्रमुख भारतीय शहरों में 1/5 वर्किंग ऑवर अत्यधिक गर्मी के कारण प्रभावित हो सकते हैं।

जलवायु अनुकूल शहरी विकास के लिए शहरी जलवायु कार्य योजना

  • जलवायु एवं आपदा जोखिम मूल्यांकन: इसमें स्थानीय आपदा विशिष्ट निवेश योजना विकसित करना; भूमि उपयोग योजना में आपदा जोखिम संबंधी सूचना को एकीकृत करना आदि शामिल हैं। 
  • शहरी गरीबों सहित अधिक सुभेद्य लोगों को प्राथमिकता देना: इसके तहत अनौपचारिक बस्तियों को समर्थन देने के लिए स्थानीय कार्यक्रमों को विकसित एवं मजबूत करना; जलवायु और आपदा जोखिम मानचित्रण के आधार पर उच्च जोखिम वाली बसावटों की पहचान करना, आदि शामिल हैं।
  • हरित शहर विस्तार में निवेश करना: इसमें पारगमन-उन्मुख विकास के माध्यम से कॉम्पैक्ट  शहर को साकार करना; स्ट्रीट लाइटिंग के लिए LED एवं अन्य ऊर्जा दक्ष प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना; जोखिम-प्रवण क्षेत्रों में निर्माण कार्य पर रोक लगाना आदि शामिल हैं।
  • कुशल, रेजिलिएंट और हरित नगरपालिका सेवाएं: ऊर्जा दक्षता में सुधार करना; जल क्षेत्रक का शहर-स्तरीय विश्लेषण करना; दक्ष और कम कार्बन उत्सर्जन वाले ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (SWM) में निवेश करना आदि।
  • अन्य: जलवायु-संवेदनशील नवीन शहरी विकास करना; जोखिम हस्तांतरण और रेसिलिएंट के संबंध में निजी क्षेत्रक की भूमिका को सुगम बनाना, आदि।
  • Tags :
  • विश्व बैंक
  • शहरीकरण
  • पारगमन उन्मुख विकास
  • जलवायु संवेदनशील शहरी विकास
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