यह रिपोर्ट “टुवर्ड्स रेसिलिएंट एंड प्रॉपेरस सिटीज़ इन इंडिया” शीर्षक से जारी की गई है। इसमें यह अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक रेसिलिएंट और हरित शहरी अवसंरचना एवं सेवाओं के लिए कुल 2.4 ट्रिलियन डॉलर की आवश्यकता होगी।
भारत के शहरी क्षेत्र से संबंधित मुख्य आंकड़े
- शहरी जनसंख्या: 2020 में, शहरों में राष्ट्रीय जनसंख्या के एक तिहाई से अधिक लगभग 480 मिलियन लोग रहते थे।
- असुरक्षित क्षेत्रों में विस्तार: 1985 और 2015 के बीच, बाढ़ के मामले में उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में बस्तियों का विस्तार 102% बढ़ गया है।
- भावी पूर्वानुमान: 2050 तक शहरी जनसंख्या दोगुनी होकर 951 मिलियन हो जाने की संभावना है।
- 2030 तक सृजित होने वाले सभी नए रोजगार का 70% हिस्सा शहरों में होगा और ये 2050 तक सकल घरेलू उत्पाद में 75% का योगदान करेंगे।
भारतीय शहरों के समक्ष जलवायु संबंधी जोखिम
- बाढ़: 2070 तक वर्षा जनित बाढ़ (सतही जल बाढ़) के जोखिम में 3.6 से 7 गुना तक की वृद्धि का अनुमान है। इसके लिए जिम्मेदार कारक जलवायु परिवर्तन से जुड़ी अनिश्चित और तीव्र वर्षा तथा कंक्रीट निर्मित सतही क्षेत्रों में वृद्धि होंगे।
- अत्यधिक गर्मी: 2050 तक प्रमुख भारतीय शहरों में 1/5 वर्किंग ऑवर अत्यधिक गर्मी के कारण प्रभावित हो सकते हैं।
जलवायु अनुकूल शहरी विकास के लिए शहरी जलवायु कार्य योजना
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