भारत में उपभोग कर कुल कर राजस्व के 62% से अधिक है, जो आय और संपत्ति कर से कहीं अधिक है।
- चूंकि, इसमें GST का योगदान आधा है, इसलिए इसके बोझ को समझना महत्वपूर्ण है।
अध्ययन के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- GST प्रगतिशील है: उच्च आय वर्ग के लोग कर के एक बड़े हिस्से का भुगतान करते हैं। इससे कर-पश्चात असमानता कम होती है।
- ग्रामीण: निचले 50% वर्ग द्वारा 31% तथा शीर्ष 20% वर्ग द्वारा 37% कर का भुगतान किया जाता है।
- शहरी: निचले 50% वर्ग द्वारा 29% तथा शीर्ष 20% वर्ग द्वारा 41% कर का भुगतान किया जाता है।
- ये आंकड़े 2023 की ऑक्सफैम रिपोर्ट का खंडन करते हैं। इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि गरीब वर्ग दो-तिहाई GST का भुगतान करते हैं।
- अलग-अलग टैक्स स्लैब से सहायता: आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं (जैसे- स्वास्थ्य, शिक्षा आदि) पर कम दरों पर कर लगाया जाता है या उन पर छूट (जैसे- खाद्य) दी जाती है। इससे GST अधिक न्यायसंगत हो जाता है।
- इस अध्ययन में कहा गया है कि 5-12 प्रतिशत की कर श्रेणी में आने वाली मदों पर कर की दर बढ़ाने से कम उपभोग करने वाले वर्ग पर कर का बोझ बढ़ सकता है।
- GST व्यवस्था को सरल बनाने के लिए 12% GST दर को हटाकर कुछ मदों को 5% स्लैब में तथा अन्य को 18% स्लैब में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव किया गया है।
- इस अध्ययन में कहा गया है कि 5-12 प्रतिशत की कर श्रेणी में आने वाली मदों पर कर की दर बढ़ाने से कम उपभोग करने वाले वर्ग पर कर का बोझ बढ़ सकता है।
- GST दर संरचना में परिवर्तन का उपभोक्ताओं पर अलग-अलग प्रभाव पड़ सकता है, जो इस तथ्य पर निर्भर करता है कि वे कौन-सी वस्तुओं और सेवाओं का उपभोग करते हैं। इसलिए, नीति-निर्माताओं को दरों को संशोधित करते समय इन वितरणात्मक प्रभावों पर अवश्य विचार करना चाहिए।