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राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (NIPFP) के अध्ययन में GST व्यवस्था को प्रगतिशील बताया गया | Current Affairs | Vision IAS
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राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (NIPFP) के अध्ययन में GST व्यवस्था को प्रगतिशील बताया गया

Posted 23 Jul 2025

Updated 24 Jul 2025

7 min read

भारत में उपभोग कर कुल कर राजस्व के 62% से अधिक है, जो आय और संपत्ति कर से कहीं अधिक है।

  • चूंकि, इसमें GST का योगदान आधा है, इसलिए इसके बोझ को समझना महत्वपूर्ण है।

अध्ययन के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर 

  • GST प्रगतिशील है: उच्च आय वर्ग के लोग कर के एक बड़े हिस्से का भुगतान करते हैं। इससे कर-पश्चात असमानता कम होती है। 
    • ग्रामीण: निचले 50% वर्ग द्वारा 31% तथा शीर्ष 20% वर्ग द्वारा 37% कर का भुगतान किया जाता है।
    • शहरी: निचले 50% वर्ग द्वारा 29% तथा शीर्ष 20% वर्ग द्वारा 41% कर का भुगतान किया जाता है। 
    • ये आंकड़े 2023 की ऑक्सफैम रिपोर्ट का खंडन करते हैं। इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि गरीब वर्ग दो-तिहाई GST का भुगतान करते हैं। 
  • अलग-अलग टैक्स स्लैब से सहायता: आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं (जैसे- स्वास्थ्य, शिक्षा आदि) पर कम दरों पर कर लगाया जाता है या उन पर छूट (जैसे- खाद्य) दी जाती है। इससे GST अधिक न्यायसंगत हो जाता है।
    • इस अध्ययन में कहा गया है कि 5-12 प्रतिशत की कर श्रेणी में आने वाली मदों पर कर की दर बढ़ाने से कम उपभोग करने वाले वर्ग पर कर का बोझ बढ़ सकता है। 
      • GST व्यवस्था को सरल बनाने के लिए 12% GST दर को हटाकर कुछ मदों को 5% स्लैब में तथा अन्य को 18% स्लैब में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव किया गया है। 
  • GST दर संरचना में परिवर्तन का उपभोक्ताओं पर अलग-अलग प्रभाव पड़ सकता है, जो इस तथ्य पर निर्भर करता है कि वे कौन-सी वस्तुओं और सेवाओं का उपभोग करते हैं। इसलिए, नीति-निर्माताओं को दरों को संशोधित करते समय इन वितरणात्मक प्रभावों पर अवश्य विचार करना चाहिए।
  • Tags :
  • GST
  • ऑक्सफैम रिपोर्ट
  • प्रगतिशील कराधान
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