CCTS योजना के तहत ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन तीव्रता लक्ष्य नियम, 2025 का मसौदा जारी किया गया है।
मुख्य मसौदा नियमों पर एक नज़र

- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन तीव्रता (GEI) को उत्पादन या उत्पादन की प्रति इकाई के संबंध में प्रति टन उत्सर्जित CO2 के बराबर के रूप में परिभाषित किया जाएगा।
- इसके तहत 400 से अधिक औद्योगिक संस्थाओं के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी GHG उत्सर्जन संबंधी लक्ष्य का प्रस्ताव किया गया है।
- ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) उत्सर्जन लक्ष्यों को निर्धारित करेगा।
- ये नियम एल्यूमीनियम, लोहा व इस्पात, पेट्रोलियम शोधन, पेट्रोकेमिकल्स और वस्त्र जैसे क्षेत्रकों पर लागू होंगे।
- इसका पालन न करने पर पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के अंतर्गत वित्तीय दंड लगाया जाएगा।
कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम (CCTS) के बारे में
- लक्ष्य: कार्बन मूल्य निर्धारण को बढ़ावा देकर GHG उत्सर्जन को कम करना, अर्थात GHG उत्सर्जन पर निर्धारित शुल्क वसूला जाएगा।
- कानूनी आधार: ऊर्जा संरक्षण संशोधन अधिनियम (ECA), 2022 के तहत केंद्र सरकार को BEE के साथ परामर्श कर CCTS लागू करने का अधिकार है।
- इसके प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं:
- अनुपालन तंत्र (बाध्यकारी संस्थाओं के लिए): इसके तहत बाध्यकारी संस्थाओं को अपने लक्ष्य से कम उत्सर्जन करने पर कार्बन क्रेडिट सर्टिफिकेट मिलता है।
- स्वैच्छिक ऑफसेट तंत्र: यह अन्य क्षेत्रकों को GHG उत्सर्जन में कटौती करने, उन्हें समाप्त करने और उन्हें रोकने के लिए अपनी परियोजनाओं को पंजीकृत कराने में सक्षम बनाता है। इसके बदले उन्हें कार्बन क्रेडिट सर्टिफिकेट मिलता है।
- प्रशासक: ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE)
- कार्बन ट्रेडिंग का विनियामक: केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग (CERC)
- महत्व: यह योजना भारतीय कार्बन बाजार (इन्फोग्राफिक देखें) की नींव रखती है। साथ ही, यह UNFCCC और पेरिस समझौते के तहत भारत के दायित्वों के अनुरूप भी है।
विश्व बैंक की “स्टेट एंड ट्रेंड्स ऑफ कार्बन प्राइसिंग 2025” रिपोर्ट में वैश्विक जलवायु वित्त एवं कार्बन मूल्य निर्धारण फ्रेमवर्क को आकार देने में भारत की बढ़ती भूमिका को सराहा गया है।