दोनों न्यायालयों ने फोन टैपिंग से संबंधित अपना-अपना निर्णय दिया है। मद्रास और दिल्ली हाई कोर्ट्स दोनों के समक्ष प्रस्तुत मामलों में “अपराध के लिए उकसावे को रोकना” शामिल था। यह फोन टैपिंग को अनुमति प्रदान करने के लिए कानूनी तौर पर एक वैध आधार है।
- दिल्ली हाई कोर्ट ने फोन टैपिंग के आदेश को सही ठहराया, जबकि मद्रास हाई कोर्ट ने उसे रद्द कर दिया।
- मद्रास हाई कोर्ट ने माना कि टेलीफोन टैपिंग तब तक निजता के अधिकार (संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार) का उल्लंघन है, जब तक कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के माध्यम से इसे उचित न ठहराया जाए।
भारत में फोन टैपिंग पर कानून:
- भारतीय डाकघर अधिनियम, 1898: यह डाक के माध्यम से संचार को अवरोधित करने की अनुमति देता है।
- भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885: वॉयस कॉल को टैप करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
- धारा 5(2) के तहत "किसी भी लोक आपातकाल की घटना पर, या लोक सुरक्षा के हित में" राज्य और केंद्र दोनों सरकारों द्वारा फोन टैपिंग को अधिकृत किया जा सकता है।
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000: यह व्हाट्सएप संदेशों, ईमेल आदि के अवरोधन (इंटरसेप्शन) को शासित करता है।
पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) बनाम भारत संघ, 1997 मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:
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