चीन द्वारा दुर्लभ भू-धातुओं के निर्यात पर नियंत्रण (China’s Rare Earth Elements Export Control) | Current Affairs | Vision IAS
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चीन द्वारा दुर्लभ भू-धातुओं के निर्यात पर नियंत्रण (China’s Rare Earth Elements Export Control)

Posted 01 Jun 2025

Updated 28 May 2025

31 min read

सुर्ख़ियों में क्यों?

चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा प्रशुल्क/ टैरिफ बढ़ाने के जवाब में रक्षा, ऊर्जा और ऑटोमोबाइल क्षेत्रकों में उपयोग किए जाने वाले सात दुर्लभ भू-धातुओं (Rare Earth Elements: REEs) और मैग्नेट्स के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।

अन्य संबंधित तथ्य

  • नए प्रतिबंध 17 में से 7 दुर्लभ भू-धातुओं पर लगाए गए हैं: अब कंपनियों को इन सात खनिजों और मैग्नेट्स के निर्यात के लिए विशेष निर्यात लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
  • नए प्रतिबंध वास्तव में पूर्ण प्रतिबंध (बैन) नहीं हैं:  इन दुर्लभ भू-धातुओं के निर्यात के लिए लाइसेंस हेतु आवेदन करना होगा।

दुर्लभ भू-धातु (REEs) क्या हैं?

  • दुर्लभ भू-धातु 'दुर्लभ' नहीं हैं: यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के अनुसार, अधिकांश REE उतने दुर्लभ नहीं होते हैं जितना कि उनके नाम से प्रतीत होता है। ये तत्त्व पृथ्वी की भूपर्पटी (क्रस्ट) में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
    • हालांकि, ये आमतौर पर इतनी अधिक सांद्रता में नहीं पाए जाते हैं कि उनका खनन आर्थिक रूप से लाभकारी सिद्ध हो सके।
  • उन्हें "दुर्लभ भू-धातु" इसलिए कहा गया क्योंकि उनमें से अधिकांश की पहचान 18वीं और 19वीं शताब्दियों के दौरान "भू-धातुओं" (अर्थ एलिमेंट्स) के रूप में की गई थी और, चूना या मैग्नेशिया जैसे अन्य "भ-धातुओं" की तुलना में ये अपेक्षाकृत दुर्लभ थे।
    • भू-धातुओं को ऐसी सामग्री के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिन्हें ऊष्मा के संपर्क में लाने के बाद भी और अधिक बदलाव नहीं लाया जा सकता है।
  • दुर्लभ भू-धातु (REEs): 2005 में इंटरनेशनल यूनियन ऑफ प्योर एंड एप्लाइड केमिस्ट्री (IUPAC) के अनुसार, REEs 17 धात्विक तत्वों का एक समूह है।
    • इन तत्वों में उच्च घनत्व और उच्च चालकता जैसे समान गुण मौजूद हैं।
    • 17 REEs हैं: सेरियम (Ce), डिस्प्रोसियम (Dy), एर्बियम (Er), यूरोपियम (Eu), गैडोलीनियम (Gd), होल्मियम (Ho), लैंटानम (La), ल्यूटियम (Lu), नियोडिमियम (Nd), प्रेजोडियम (Pr), प्रोमेथियम (Pm), सैमरियम (Sm), स्कैंडियम (Sc), टेरबियम (Tb), थ्यूलियम I, यटरबियम (Yb), और यट्रियम (Y)।
  • स्रोत: REEs के मुख्य स्रोत बास्टनासाइट, लोपेराइट और मोनाजाइट जैसी खनिजें हैं।

दुर्लभ भू-धातु (REEs) के हालिया निर्यात नियंत्रण का भू-रणनीतिक महत्व

  • टैरिफ युद्ध में बढ़त हासिल करना: चीन ने संयुक्त राज्य अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ (प्रतिशोधात्मक शुल्क/ पारस्परिक प्रशुल्क) के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के रूप में निर्यात पर नियंत्रण वाला कदम उठाया है। रेसिप्रोकल टैरिफ लगने से चीनी सामानों के निर्यात में गिरावट के कारण चीन के उद्योग को नुकसान हो सकता है।
  • क्रिटिकल प्रौद्योगिकियों पर प्रभाव: यट्रियम और डिस्प्रोसियम का व्यापक रूप से जेट इंजन के पुर्जों, रक्षा उपकरणों और एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिक्स के निर्माण में उपयोग किया जाता है।
    • आयात करने वाले देशों के लिए, उपर्युक्त तत्वों की आपूर्ति में व्यवधान उत्पन्न होने से उद्योगों के विनिर्माण पर प्रभाव पड़ सकता है, उत्पादन की लागत बढ़ सकती है और तकनीकी इनोवेशन में देरी हो सकती है।
  • वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान: REEs की आपूर्ति में कमी के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, वियतनाम, जर्मनी जैसे देशों पर अधिक प्रभाव पड़ सकता है क्योकि ये REEs के प्रमुख उपयोगकर्ता हैं।
  • REEs का सैन्यीकरण: चीन ने पहली बार 2010 में "दुर्लभ भू-धातुओं को सौदेबाजी के हथियार" की तरह इस्तेमाल किया था। तब उसने जापान के साथ फिशिंग ट्रॉलर विवाद के बाद REE का निर्यात बंद कर दिया था।
    • 2023 और 2025 के बीच, चीन ने गैलियम, जर्मेनियम सहित कई स्ट्रेटेजिक मैटेरियल्स के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया।
  • भू-रणनीतिक विकल्प: यदि चीन इसी तरह REEs के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का सिलसिला जारी रखता है तो विश्व के देश लंबे समय में कई अन्य स्रोतों से इसे प्राप्त करने का विकल्प तलाशेंगे। साथ हीविनिर्माण की री-शोरिंग और फ्रेंड-शोरिंग, और रीसाइक्लिंग की प्रक्रिया में तेजी लाई जा सकती है।
    • रीशोरिंग का मतलब है उत्पादन को अपने मूल देश में वापस लाना, और फ्रेंड-शोरिंग  का मतलब है साझा हित वाले देशों में विनिर्माण को बढ़ावा देना।
    • विश्व के कई देश  REEs की आपूर्ति के लिए अफ्रीका (विशेष रूप से डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो और मलावी), दक्षिण अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया का रुख करने लगे हैं।

REEs के लिए चीन पर निर्भरता कम करने के वैश्विक प्रयास

  • 2019 में क्रिटिकल मिनरल्स मैपिंग इनिशिएटिव (CMMI) की शुरुआत: REEs सहित क्रिटिकल मिनरल्स संसाधनों पर शोध करने के लिए इसे संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा ने शुरू की है।
  • क्रिटिकल एनर्जी ट्रांजिशन मिनरल्स पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की समिति: इसे दुर्लभ भू-धातुओं जैसे क्रिटिकल एनर्जी ट्रांजिशन मिनरल्स के उचित प्रबंधन के लिए उपाय करने और रोडमैप बनाने का कार्य सौंपा गया है।
  • मिनरल सिक्योरिटी पार्टनरशिप (MSP): यह फोरम भारत सहित कई अन्य देशों के बीच एक साझेदारी है। यह उन खनिजों और धातुओं की आपूर्ति श्रृंखला पर सहयोग करती है जो अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों तथा रक्षा, ऊर्जा और औद्योगिक प्रक्रियाओं के लिए सबसे अधिक उपयोगी हैं।

REEs के उत्पादन के लिए भारत में शुरू की गई पहलें

  • नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन (NCMM) की शुरुआत: इसकी घोषणा केंद्रीय बजट 2024–25 में की गई थी। इस मिशन का उद्देश्य भारत के लिए क्रिटिकल मिनरल्स की निरंतर आपूर्ति सुरक्षित करना है।
  • खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2023: इस अधिनियम के तहत अब निजी कंपनियों को REEs सहित क्रिटिकल मिनरल्स की खोज की नीलामी में भाग लेने की अनुमति दी गई है।
  • द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग: जैसे कि भारत-ऑस्ट्रेलिया क्रिटिकल मिनरल्स इन्वेस्टमेंट  पार्टनरशिप की शुरुआत, ऑस्ट्रेलियाई दुर्लभ भू-धातुओं (REEs) परियोजनाओं में सह-निवेश आदि।
  • खोज संबंधी प्रयास: परमाणु ऊर्जा विभाग ने राजस्थान के बालोतरा में इन-सीटू रेयर अर्थ एलिमेंट्स ऑक्साइड (REO) का एक बड़ा भंडार खोजा है। 

 

निष्कर्ष 

चीन पर दुर्लभ भू-धातुओं (REEs) की निर्भरता को कम करने के लिए विश्व के विभिन्न देश अपना-अपना रणनीतिक भंडार (स्ट्रेटेजिक रिज़र्व) स्थापित कर सकते हैं, घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दे सकते हैं, और अत्याधुनिक रिफाइनिंग प्रौद्योगिकियों में निवेश कर सकते हैं। इसके अलावा गहरे समुद्र में इन तत्वों की खोज के प्रयास बढ़ाए जा सकते हैं  और द्वितीयक स्रोतों से भी इन्हें प्राप्त किया जा सकता है। इस तरह  REEs की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कई विकल्पों पर विचार किया जा सकता है।  साथ ही खनिजों के खनन से संबंधित नियमों को सरल बनाना और निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन देने से भी REE मूल्य श्रृंखला में तेजी से आत्मनिर्भरता प्राप्त की जा सकती है।

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  • नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन (NCMM)
  • दुर्लभ भू-धातु
  • क्रिटिकल मिनरल्स मैपिंग इनिशिएटिव (CMMI)
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