वाइब्रेंट विलेजेस प्रोग्राम-II
कैबिनेट ने वित्त वर्ष 2024-25 से 2028-29 के लिए “वाइब्रेंट विलेजेस प्रोग्राम-II (VVP-II)” को मंजूरी दी।
- VVP-II की आधारशिला पहले चरण के ‘वाइब्रेंट विलेजेस प्रोग्राम-I’ पर रखी गई है। VVP-I के तहत पूर्वोत्तर भारत के सीमावर्ती गांवों को लक्षित किया गया था।
- यह पहल सुरक्षित व संरक्षित भू-सीमाओं को सुनिश्चित करते हुए विकसित भारत@2047 के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को उजागर करती है।
वाइब्रेंट विलेजेस प्रोग्राम-II (VVP-II) के बारे में
- प्रकार: यह 100% केंद्र वित्त पोषण के साथ केंद्रीय क्षेत्रक की एक योजना है। गौरतलब है VVP-I केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना थी।
- कवरेज: 17 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में अंतर्राष्ट्रीय भू-सीमाओं (ILBs) के साथ सामरिक अवस्थिति वाले गांव। इसमें VVP-I (2023-24) के तहत कवर किए गए पूर्वोत्तर सीमा के ब्लॉक्स शामिल नहीं होंगे।
- उद्देश्य: जीवन स्तर में सुधार लाना, आजीविका के अवसर प्रदान करना, सीमा-पार अपराध को नियंत्रित करना तथा आंतरिक सुरक्षा के लिए आबादी को 'आंख और कान' के रूप में तैयार करना।
- अवधि: वित्त वर्ष 2024-25 से 2028-29
वाइब्रेंट विलेजेस प्रोग्राम-II की मुख्य विशेषताएं
- अवसंरचना का विकास: प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY-IV) के तहत सभी मौसम के लिए उपयुक्त सड़क संपर्क के साथ सड़क, आवास, स्वच्छता, पेयजल और स्मार्ट कक्षाओं में निवेश करना।
- मूल्य श्रृंखला और आजीविका विकास: टिकाऊ आजीविका सुनिश्चित करने के लिए सहकारी समितियों, स्वयं सहायता समूहों तथा सीमा-विशिष्ट आउटरीच गतिविधियों के लिए समर्थन जुटाना।
- कल्याणकारी योजना: कन्वर्जेंस मॉडल के अंतर्गत पूर्ण कवरेज सुनिश्चित करते हुए निर्धारित गांवों में मौजूद कल्याणकारी योजनाओं को लागू करना।
- संस्कृति एवं पर्यटन को बढ़ावा: पर्यटन और स्थानीय विरासत को बढ़ावा देने के लिए मेलों, त्योहारों, जागरूकता शिविरों एवं राष्ट्रीय दिवस समारोहों का आयोजन करना।
- पीएम गति शक्ति: इसका उपयोग परियोजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए किया जाएगा।

- Tags :
- विकसित भारत@2047
- प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना
- वाइब्रेंट विलेजेस प्रोग्राम-II
राफेल मरीन (M) लड़ाकू विमान
केंद्र ने फ्रांस से 26 राफेल मरीन (M) लड़ाकू विमानों के सौदे को मंजूरी दी।
- इन लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल भारतीय नौसेना द्वारा किया जाएगा। इन्हें देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत पर तैनात किया जाएगा।
- पहले से खरीदे गए 36 राफेल जेट विमानों का उपयोग भारतीय वायु सेना द्वारा किया जा रहा है।
राफेल विमान के बारे में
- निर्माता: डसॉल्ट एविएशन, एक फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी है।
- “ओमनीरोल” क्षमताएं: इसका अर्थ है कि एक ही विमान सभी प्रकार के युद्धक मिशनों जैसे- वायु रक्षा, हमला, टोही, परमाणु प्रतिरोध आदि को अंजाम देने में सक्षम है।
- पीढ़ी: 4.5 पीढ़ी, अधिकतम गति 1.8 मैक (1 मैक = 1235 किमी/ घंटा)।
अलग-अलग नवीनतम पीढ़ी के विमान | विशेषताएं
| उदाहरण |
चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमान (1970-1980 के दशक) | हवा-से-हवा और हवा-से-जमीन दोनों तरह की मारक क्षमता से युक्त थे। | मिग-29, एफ-16, मिराज-2000, आदि |
4.5 पीढ़ी के लड़ाकू विमान | चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की सीमा बढ़ाने के लिए इनमें ‘स्टील्थ’, रडार अवशोषक सामग्री, थ्रस्ट वेक्टर नियंत्रित इंजन आदि शामिल किए गए। | यूरोफाइटर टाइफून, राफेल, आदि |
पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान | उन्नत स्टील्थ प्रौद्योगिकियां और उन्नत हथियार | F-22 रैप्टर, चेंग्दू जे-20, आदि |
संयुक्त राज्य अमेरिका-चीन के छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान
- संयुक्त राज्य अमेरिका: अमेरिकी राष्ट्रपति ने F-47 नामक अगली पीढ़ी के लड़ाकू विमान की योजना को आगे बढ़ाने की घोषणा की है।
- चीन: दिसंबर 2024 में, चीन ने छठी पीढ़ी के दो प्रोटोटाइप लड़ाकू विमानों (J-36 और J-50) की उड़ान का सफल परीक्षण किया था।
छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एकीकरण, हाइपरसोनिक क्षमताओं, मानव रहित क्षमताओं से लैस हैं।
- Tags :
- राफेल मरीन
- छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान
- ओमनीरोल
लॉन्ग रेंज ग्लाइड बम ‘गौरव’
DRDO ने लॉन्ग रेंज ग्लाइड बम 'गौरव' का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
‘गौरव’ के बारे में
- प्रकार: लॉन्ग रेंज ग्लाइड बम (LRGB)
- वजन: 1,000 किलोग्राम श्रेणी
- रेंज: यह लगभग 100 किलोमीटर की रेंज में सटीकता के साथ लक्ष्य को भेदने में सफल रहा।
- विकास: इसे स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है।
- Tags :
- लॉन्ग रेंज ग्लाइड बम
Articles Sources
Mk-II (A) DEW सिस्टम
DRDO ने आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में नेशनल ओपन एयर रेंज (NOAR) में Mk-II(A) लेजर- डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) सिस्टम का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
- इस परीक्षण के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत दुनिया का ऐसा चौथा देश बन गया है, जिसके पास उन्नत लेजर हथियार क्षमताएं हैं।
Mk-II (A) DEW सिस्टम के बारे में
- इसे DRDO की हैदराबाद स्थित संस्था सेंटर फॉर हाई एनर्जी सिस्टम्स एंड साइंसेज (CHESS) ने स्वदेशी रूप से विकसित किया है।
- संभावित लक्ष्य: यह ड्रोन, मिसाइलों और एयरक्राफ्ट को निष्क्रिय कर सकता है।
- कार्य प्रणाली: एक बार जब रडार या इनबिल्ट इलेक्ट्रो ऑप्टिक (EO) सिस्टम द्वारा लक्ष्य का पता लगा लिया जाता है, तब यह सिस्टम उस लक्ष्य को निष्क्रिय करने के लिए तीव्र उच्च-ऊर्जा युक्त 30 किलोवाट लेजर बीम छोड़ता है, जिससे संरचनात्मक विफलता होती है।
- विशेषताएं: यह अत्यधिक सटीकता से तीव्र गति से हमला करता है। इससे कुछ सेकंड के भीतर ही लक्ष्य ध्वस्त हो जाता है।
DEW सिस्टम का महत्त्व:
- युद्ध की आर्थिक संरचना में बदलाव की क्षमता: यह महंगे गोला-बारूद पर निर्भरता कम कर सकता है। साथ ही, लक्ष्य के अलावा अन्य ऑब्जेक्ट्स (कोलैटरल डैमेज) को होने वाले नुकसान को भी कम कर सकता है।
- इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को निष्क्रिय करने की क्षमता: हाई-पॉवर माइक्रोवेव (HPM) हथियार बिना किसी भौतिक विनाश के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम, रडार्स और संचार को निष्क्रिय कर सकते हैं।
- रक्षात्मक और आक्रामक दोनों उपयोगों के लिए: उदाहरण के लिए- सामरिक वायु रक्षा, एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा और एंटी-सैटेलाइट (A-SAT) मिशन में इसका उपयोग किया जा सकता है। कम शक्ति वाले लेज़र भीड़ नियंत्रण और समुद्री लुटेरों को रोकने में उपयोगी हो सकते हैं।

- Tags :
- DRDO
- Mk-II (A) DEW सिस्टम
- उन्नत लेजर हथियार
- हाई-पॉवर माइक्रोवेव
प्रोजेक्ट वर्षा
प्रोजेक्ट वर्षा के अंतर्गत INS वर्षा 2026 तक बन कर तैयार हो जाएगा।
प्रोजेक्ट वर्षा के बारे में
- यह एक नौसैनिक परियोजना है, जिसका उद्देश्य भारत की जल के भीतर परमाणु क्षमताओं को मजबूत करना है।
- उद्देश्य: 12 से अधिक परमाणु ऊर्जा चालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों (SSBNs) के बेड़े को रखने के लिए एक सुरक्षित भूमिगत बेस विकसित करना।
- स्थान: आंध्र प्रदेश का तटीय गांव रामबिल्ली।
- पश्चिमी तट की सुरक्षा के लिए कर्नाटक के करवार बेस को प्रोजेक्ट सीबर्ड के तहत विकसित किया गया है, जो प्रोजेक्ट वर्षा के समान है। प्रोजेक्ट वर्षा पूर्वी तट की सुरक्षा के लिए है।
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- प्रोजेक्ट वर्षा
- प्रोजेक्ट सीबर्ड
- SSBNs
सुर्ख़ियों में रहे अभ्यास
अभ्यास | विवरण |
अभ्यास डेजर्ट फ्लैग-10 | भारतीय वायु सेना ने अभ्यास डेजर्ट फ्लैग-10 में भाग लिया।
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ऑपरेशन अटलांटा (operation ATALANTA ) | यूरोपीय संघ नौसैनिक बल (EUNAVFOR) के ऑपरेशन अटलांटा ने भारतीय नौसेना के साथ एक संयुक्त अभ्यास का प्रस्ताव दिया है। ऑपरेशन अटलांटा के बारे में
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अभ्यास ‘दस्तलिक’ (Exercise ‘Dustlik’) | महाराष्ट्र के पुणे में दस्तलिक अभ्यास का छठा संस्करण शुरू हुआ।
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टाइगर ट्रायम्फ अभ्यास (Exercise Tiger Triumph) | टाइगर ट्रायम्फ अभ्यास का चौथा संस्करण विशाखापट्टनम तट पर शुरू हुआ।
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INIOCHOS-25 | भारतीय वायुसेना ने ग्रीस में आयोजित बहुराष्ट्रीय हवाई अभ्यास INIOCHOS-25 में भाग लिया। INIOCHOS-25 के बारे में
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- EUNAVFOR
- डेजर्ट फ्लैग-10
- अभ्यास ‘दस्तलिक’
- टाइगर ट्रायम्फ