जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद (Terrorism in Jammu and Kashmir) | Current Affairs | Vision IAS
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जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद (Terrorism in Jammu and Kashmir)

Posted 01 Jun 2025

Updated 27 May 2025

46 min read

सुर्ख़ियों में क्यों?

पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने जम्मू और कश्मीर के पहलगाम स्थित बैसरन घाटी में 26 पर्यटकों की हत्या कर दी।

अन्य संबंधित तथ्य 

  • प्रतिक्रिया स्वरूप भारत ने कई कदम उठाए, जैसे- सिंधु जल संधि को निलंबित करना, अटारी में एकीकृत चेक पोस्ट को बंद करना, पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सार्क वीज़ा छूट योजना को रद्द करना, पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीज़ा सेवाओं को निलंबित करना, आदि।
  • भारत ने "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के अंदर 9 स्थानों पर सटीक हवाई हमले भी किए। 
    • इन हमलों ने लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और अन्य गैर-राज्य अभिकर्ताओं जैसे विभिन्न आतंकवादी संगठनों के गढ़ों को निशाना बनाया है, जो जम्मू-कश्मीर तथा भारत के अन्य हिस्सों में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान के प्रॉक्सी के रूप में कार्य करते हैं।

कश्मीर में आतंकवाद की हालिया स्थिति

  • गृह मंत्रालय की 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी एवं उग्रवादी हमलों में लगातार कमी आई है। 
    • साथ ही, पर्यटन और अन्य अवसंरचना के विकास से संबंधित आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि हुई है। इससे यह केंद्र शासित प्रदेश राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक समृद्धि की ओर बढ़ रहा है।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि ये हालिया हमले जम्मू और कश्मीर की विकास यात्रा को पटरी से उतारने तथा भारत के अन्य हिस्सों में भी सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा करने के लिए किए गए थे।

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के लिए जिम्मेदार कारक

  • बाह्य कारक:
    • पाकिस्तान का प्रॉक्सी युद्ध: पाकिस्तान की सरकारी एजेंसियां लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM), हिजबुल मुजाहिदीन (HM) और द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) जैसे आतंकी समूहों को प्रशिक्षण, हथियार, सुरक्षित ठिकाने एवं लॉजिस्टिक सहायता प्रदान करती हैं। 
      • पाकिस्तान इन आतंकी समूहों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ अपने 'हाइब्रिड युद्ध' के हिस्से के रूप में करता है, क्योंकि उसे सीधे सैन्य टकराव में भारत को हराना मुश्किल लगता है।
    • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर असहमति: असंगत अंतर्राष्ट्रीय दबाव पाकिस्तान को बिना किसी महत्वपूर्ण दंडात्मक कार्रवाई के छद्म युद्ध जारी रखने में सक्षम बनाता है। उदाहरण के लिए- चीन अक्सर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मसूद अजहर जैसे पाकिस्तान स्थित गैर-राज्य अभिकर्ताओं को आतंकवादियों के रूप में सूचीबद्ध होने से बचाने के लिए वीटो का उपयोग करता है।
    • वैश्विक कट्टरपंथी विचारधारा: कट्टरपंथी इस्लामवादी विचारधाराएं (जैसे- ISIS), जो अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क और लश्कर-ए-तैयबा एवं हमास जैसे समूहों के बीच संबंधों के माध्यम से फैलती हैं, कट्टरता को बढ़ावा देती हैं।
    • घुसपैठ को सुगम बनाने वाली छिद्रिल सीमाएं: नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर दुर्गम भूभाग के कारण सीमाओं को पूरी तरह से सील करना मुश्किल हो जाता है। इससे आतंकवादियों और हथियारों की आवाजाही को बढ़ावा मिलता है।
  • आंतरिक कारक:
    • कट्टरता: ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (जैसे- टेलीग्राम, यूट्यूब आदि) और स्थानीय नेटवर्क युवाओं को कट्टरपंथी बनाते हैं। इन युवाओं को बाद में आतंकवादी संगठनों द्वारा भर्ती किया जाता है।
    • राजनीतिक अलगाव: सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (AFSPA), 1958 के प्रवर्तन सहित ऐतिहासिक शिकायतें, राजनीतिक प्रतिनिधित्व की कमी आदि के कारण अलगाववादी भावनाएं और गहरी हुई हैं।
    • आर्थिक चुनौतियां: उच्च बेरोजगारी और सीमित अवसर युवाओं को आतंकी समूहों द्वारा भर्ती के प्रति संवेदनशील बनाते हैं।
    • ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs): OGWs धन प्रबंधन, भर्ती, प्रचार व दुष्प्रचार आदि के माध्यम से आतंकवाद को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • आतंकवाद का वित्त-पोषण: उदाहरण के लिए- कश्मीर में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस, दुख्तरान-ए-मिल्लत और जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) जैसे अलगाववादी राजनीतिक संगठनों ने स्थानीय आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान से हवाला के माध्यम से धन प्राप्त किया है।

जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद से निपटने में चुनौतियां

  • हाइब्रिड आतंकवादी और वर्चुअल आतंकवादी संगठन: पारंपरिक आतंकवादी औपचारिक रूप से आतंकवादी संगठनों से संबद्ध होते हैं, लेकिन हाइब्रिड आतंकवादी अक्सर असूचीबद्ध, शिथिल रूप से जुड़े हुए, या आत्म-कट्टरपंथी व्यक्ति होते हैं। ये समाज में लो प्रोफ़ाइल बनाए रखते हुए आतंकवाद के कृत्यों को अंजाम देते हैं। 
    • इसके अतिरिक्त, सुरक्षा बलों ने जम्मू कश्मीर गजनवी फोर्स और TRF जैसे वर्चुअल आतंकवादी समूहों के प्रसार का भी पता लगाया है, जो लश्कर-ए-तैयबा तथा अन्य आतंकवादी संगठनों के लिए केवल मुखौटा संगठन हैं।
  • छिद्रिल सीमाएं: जम्मू और कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LoC) अपने दुर्गम भूभाग के कारण घुसपैठ एवं हथियार आदि की तस्करी को सक्षम बनाती है।
  • पाकिस्तान का सूचना युद्ध: उदाहरण के लिए- भारत विरोधी दुष्प्रचार को भड़काने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का उपयोग किया जाता है।
  • खुफिया तंत्र की खामियां: केंद्रीय, राज्य और स्थानीय एजेंसियों के बीच समन्वय में कमी के कारण समय पर प्रतिक्रिया देने में बाधा आती है।
  • तकनीकी चुनौतियां: आतंकवादी ड्रोन, एन्क्रिप्टेड ऐप्स, AI आधारित प्रचार और उन्नत हथियार (अक्सर अफगानिस्तान जैसे संघर्ष क्षेत्रों से लाए गए) का उपयोग करते हैं। ये ट्रेसिंग और प्रतिक्रिया करने को जटिल बनाते हैं।
  • बदलती रणनीति: आतंकवादियों ने बड़े पैमाने पर हमले करने की बजाय लक्षित हत्याओं तथा पर्यटकों और अल्पसंख्यकों जैसे आसान लक्ष्यों पर हमले करना शुरू कर दिया है।

जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद से निपटने के लिए उठाए गए कदम:

आतंकी संगठनों और उनके नेटवर्क पर कार्रवाई
  • आतंकवाद विरोधी अभियान: उदाहरण के लिए- हॉट परस्यूट और सर्जिकल स्ट्राइक (जैसे- पुलवामा हमलों के बाद 2019 में और 2025 में ऑपरेशन सिंदूर), OGWs पर कार्रवाई आदि।
  • सुरक्षा: ऑपरेशन ऑल-आउट (2017), बेहतर खुफिया जानकारी जुटाने के लिए मल्टी-एजेंसी सेंटर, आदि।
  • OGWs: भारत ने OGWs के एक नेटवर्क के माध्यम से आतंकवाद और भारत विरोधी दुष्प्रचार को बढ़ावा देने में शामिल होने के कारण 2019 में UAPA, 1967 के तहत जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर पर प्रतिबंध लगा दिया।
  • पुनर्वास प्रक्रिया: सामाजिक कल्याण सुनिश्चित करने के लिए आतंकवादियों, अनाथों और महिलाओं का पुनर्वास करना। उदाहरण के लिए- ऑपरेशन सद्भावना और पूर्व-आतंकियों का पुनर्वास नीति।

सीमा-पार से आतंकवादी घुसपैठ से निपटना

  • स्मार्ट बॉर्डर टेक्नोलॉजी का उपयोग: सीमा अवसंरचना और प्रबंधन (BIM) योजना के तहत घुसपैठ को रोकने के लिए लेज़र फेंसिंग, ड्रोन, थर्मल इमेजिंग जैसी तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है।

विकासात्मक कदम

  • हिमायत (कौशल विकास), उम्मीद (महिला सशक्तीकरण) जैसे कार्यक्रम तथा पर्यटन और हस्तशिल्प को बढ़ावा देने वाली नीतियों का उद्देश्य युवाओं को एकीकृत करना एवं आर्थिक संवृद्धि को गति देना है।
  • इसके अलावाबड़े पैमाने पर अवसंरचना का निर्माण (उदाहरण के लिए- चेनाब ब्रिज और वंदे भारत ट्रेनों का संचालन) निवेश लाने एवं पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने में मदद कर रहा है।

राजनीतिक

  • अनुच्छेद 370 का निरस्त होना, प्रतिनिधि सरकार के लिए परिसीमन की प्रक्रिया तथा स्थानीय शासन और समय पर चुनाव के माध्यम से लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बहाल करने के प्रयास राजनीतिक अलगाव को दूर करते हैं।

कूटनीतिक

  • भारत ने IMF से पाकिस्तान को अपने सहायता कार्यक्रम की समीक्षा करने और FATF से पाकिस्तान को फिर से ग्रे लिस्ट में डालने का निवेदन किया है।
  • भारत आतंकवाद में पाकिस्तान की भूमिका को वैश्विक मंचों पर उजागर करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 समिति का लाभ उठा रहा है।

आगे की राह

  • खुफिया तंत्र को मजबूत करना: साइबर-कट्टरता, ड्रोन खतरों, अवैध वित्त-पोषण और OGWs से निपटने के लिए अंतर-एजेंसी समन्वय को बढ़ाना तथा AI-संचालित विश्लेषण में निवेश करना चाहिए।
    • TECHINT (तकनीकी बुद्धिमत्ता) के पूरक के रूप में HUMINT (मानव बुद्धिमत्ता) को मजबूत करने के लिए रणनीति विकसित करनी चाहिए।
  • सीमा सुरक्षा: घुसपैठ और तस्करी को रोकने के लिए नियंत्रण रेखा पर स्मार्ट फेंसिंग, थर्मल इमेजिंग और निगरानी का तेजी से कार्यान्वयन (मधुकर गुप्ता समिति की सिफारिशों के अनुसार) करना चाहिए। 
    • सेना, CRPF, सीमा सुरक्षा बल और जम्मू-कश्मीर पुलिस के बीच अंतर-एजेंसी समन्वय में सुधार महत्वपूर्ण है।
  • डी-रेडिकलाइजेशन कार्यक्रम: चरमपंथी व्याख्याओं से निपटने और युवाओं की संवेदनशीलता को कम करने के लिए स्थानीयकृत पहलों (जैसे- शिक्षा, खेल, सांस्कृतिक एकीकरण आदि) को बढ़ावा देना चाहिए। 
    • साथ ही, स्थानीय खुफिया जानकारी की मदद से OGWs नेटवर्क को बाधित करने के लिए आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों में दिलों और दिमागों को जीतकर (जैसे, ऑपरेशन सद्भावना) स्थानीय समुदायों में विश्वास-निर्माण करना चाहिए।
  • आर्थिक विकास: आर्थिक शिकायतों को दूर करने और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए रोजगार सृजन तथा अवसंरचना एवं पर्यटन को बढ़ावा देने को प्राथमिकता देनी चाहिए।
  • राजनीतिक प्रक्रिया: स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव आयोजित करके राजनीतिक अलगाव को दूर करने तथा लोकतांत्रिक विश्वास को बहाल करने के लिए समावेशी शासन-व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए।
  • अंतर्राष्ट्रीय दबाव: भारत को UNSC (जैसे- सीमा-पार आतंकवाद में पाकिस्तान की भूमिका को उजागर करना), FATF जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों का उपयोग करना चाहिए और पाकिस्तान पर अपने क्षेत्र से संचालित गैर-राज्य अभिकर्ताओं पर अंकुश लगाने के लिए दबाव डालने हेतु समान विचारधारा वाले देशों (जैसे- सऊदी अरब और UAE) का समर्थन लेना चाहिए।
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