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कार्यस्थल ऑटोमेशन

01 Jun 2025
38 min

सुर्ख़ियों में क्यों?

प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनियां जनरेटिव AI सहित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी नई प्रौद्योगिकियों को तेजी से अपना रही हैं, जिससे ग्राहक संपर्क और कार्यस्थल दक्षता में सुधार हो रहा है। हालांकि कर्मचारियों पर इसकी वजह से पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं।

कार्यस्थल ऑटोमेशन के बारे में

  • आशय: यह मानव के न्यूनतम हस्तक्षेप के साथ कार्यों और प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग, ऑग्मेंटेड रियलिटी जैसी प्रौद्योगिकियों का उपयोग है।
  • भारत और ऑटोमेशन: वित्त वर्ष 2029 तक भारत के औद्योगिक ऑटोमेशन बाजार का आकार 29.43 बिलियन डॉलर तक पहुँचने की संभावना व्यक्त की गई है।
  • भारत में कार्यस्थल ऑटोमेशन को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारक: बढ़ता डिजिटलीकरण और तकनीकी इनोवेशन में तेजी, ग्राहकों की बदलती अपेक्षाएं, बढ़ती प्रतिस्पर्धा, बढ़ती श्रम लागत, बुजर्गों की बढ़ती आबादी, आदि।

कार्यस्थल ऑटोमेशन से जुड़े सामाजिक लाभ क्या हैं?

  • 'उपलब्ध कौशल और नौकरी के लिए आवश्यक कौशल के अंतर' तथा 'कार्यबल की उत्पादकता' के बीच के संबंध को कम करना: AI-संचालित सिस्टम और एल्गोरिदम प्रबंधन, कौशल एवं इसकी उपलब्धता के आधार पर कार्य सौंपते हैं, जिससे उत्पादकता में सुधार होता है। यह कौशल की कमी को पहचानता है और कौशल बढ़ाने के प्रयासों को बढ़ावा देने में मदद करता है।
  • कार्यस्थल पर लैंगिक समानता और विविधता को बढ़ावा देना: ऑटोमेशन से भर्ती और प्रदर्शन मूल्यांकन में पूर्वाग्रहों को कम किया जा सकता है। साथ ही, यह सभी वर्गों के लोगों को शामिल करने के प्रयासों का समर्थन कर सकता है और व्यक्ति के सामाजिक स्तर के उत्थान को बढ़ावा दे सकता है।
  • सुरक्षित कार्यस्थल: मशीनें खतरनाक और मानव के लिए कठिन कार्यों को कर सकती हैं।
  • बेहतर कार्य-जीवन संतुलन: नियमित कार्य के ऑटोमेशन से कर्मचारियों को अपनी निजी जिंदगी के लिए अधिक समय मिलता है। दोहराए जाने वाले कार्यों में कमी आने से मानसिक थकान और बर्नआउट (काम की वजह से तनाव) में कमी आती है। इस प्रकार, कर्मचारी रणनीतिक, रचनात्मक और निर्णय लेने वाली भूमिकाएं निभा सकते हैं।
  • बेहतर ग्राहक सेवा: ऑटोमेशन से सेवा में निरंतरता आती है, ग्राहकों के प्रश्नों का तेजी से समाधान होता है, और ग्राहक के अनुभव को जानना अधिक सुलभ व किफायती हो जाता है।

कार्यस्थल ऑटोमेशन से जुड़ी सामाजिक चुनौतियां क्या हैं?

  • बढ़ती आय असमानता
  • कुछ ही लोगों को अधिक वेतन मिलना तथा रोजगार खोना: ऑटोमेशन का लाभ मुख्यतः उच्च-कौशल वाले कर्मचारियों को मिलता है, जबकि कम-कुशल श्रमिकों को नौकरी छूटने या वेतन स्थिर रहने की समस्या का सामना करना पड़ता है।
  • विश्व आर्थिक मंच के अनुसार, ऑटोमेशन से 2027 तक 69 मिलियन नई नौकरियां सृजित होने की संभावना है, जबकि 83 मिलियन नौकरियां समाप्त हो जाएँगी। 
  • पुनः कौशल विकास में बाधाएं: डिजिटल साक्षरता और प्रशिक्षण कार्यक्रमों तक असमान पहुंच के कारण पहले से मौजूद सामाजिक-आर्थिक असमानताएं और बढ़ सकती हैं।
  • रोजगार में लैंगिक असमानताएं: ऑटोमेशन सबसे पहले लिपिक और सचिवीय भूमिकाओं जैसे कम कौशल वाली नौकरियों का स्थान ले रहा है। इन रोजगारों में महिलाओं की भागीदारी अधिक होती है।
  • इस प्रकार, यदि महिलाओं को फिर से कौशल प्रशिक्षण नहीं दिया गया और उनकी सहायता नहीं की गई, तो ऑटोमेशन महिलाओं के लिए रोजगार के अवसरों को और कम कर सकता है।
  • गिग वर्कर और नौकरी की असुरक्षा: ऑटोमेशन अनुबंध आधारित कम अवधि के रोजगार  को बढ़ावा दे सकता है और विशेष रूप से प्लेटफॉर्म-आधारित गिग अर्थव्यवस्थाओं में स्थायी रोजगार को कम कर सकता है।
  • गिग वर्कर्स को ऑटोमेटिड प्रणालियों के साथ कार्य करते समय संगठनों से कोई सुरक्षा या सहायता नहीं मिलती है।
  • मानसिक स्वास्थ्य एवं सेहत पर असर: श्रमिकों पर निरंतर नजर रखने और एल्गोरिदम नियंत्रण (जैसे, कीस्ट्रोक ट्रैकिंग, रियल टाइम निगरानी) से श्रमिकों में तनाव बढ़ सकता है और उनकी स्वायत्तता कम हो सकती है। इससे डिजिटल डिवाइसेज से लगातार जुड़े रहने के कारण थकान और बर्नआउट जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है।
  • लगातार ऑनलाइन जुड़े रहने का दबाव कार्य और व्यक्तिगत जीवन के बीच के संतुलन और समग्र मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • मानवीय निगरानी और निर्णय लेने की क्षमता में गिरावट: ऑटोमेटिड प्रणालियों पर अत्यधिक निर्भरता कार्य में मानव के हस्तक्षेप को कम कर सकती है। इससे गलत निर्णय की आशंका बढ़ सकती है, या सिस्टम के खराब होने पर सुरक्षा चूक की स्थिति पैदा हो सकती है। 
  • यह भी अनुमान है कि ऑटोमेशन धीरे-धीरे स्वास्थ्य देखभाल सेवा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी निर्णय लेने में इंसान की जगह ले सकता है।

समावेशी, सुरक्षित और न्यायसंगत कार्यस्थल ऑटोमेशन सुनिश्चित करने के लिए आगे की राह 

  • आय समानता सुनिश्चित करना
  • सभी के लिए सामाजिक सुरक्षा: ऑटोमेशन के कारण रोजगार छूटने को श्रम कानूनों के तहत शामिल किया जाना चाहिए। ऑटोमेशन की वजह से सबसे अधिक खतरा झेल रहे अनौपचारिक, गिग और अनुबंध क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा कवरेज प्रदान की जानी चाहिए।
    • सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 का उद्देश्य संगठित और असंगठित, दोनों क्षेत्रकों के सभी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ प्रदान करना है।
    • औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 में श्रमिक पुनर्कौशल निधि का प्रावधान है। इस निधि में छंटनी किए गए श्रमिकों को फिर से नए कौशल प्रदान करने के लिए नियोक्ताओं की ओर से श्रमिक के अंतिम पंद्रह दिनों के वेतन के बराबर की राशि जमा की जाती है।
  • न्यायसंगत ऑटोमेशन को बढ़ावा देना: समावेशी नीतियों और लक्षित कौशल सुधार के माध्यम से ऑटोमेशन की वजह से पुरुष और महिला में बढ़ते भेदभाव को समाप्त करना चाहिए।
  • सुरक्षित एवं स्वस्थ कार्यस्थल सुनिश्चित करने के लिए कानूनों और नीतियों में प्रावधान करना:
    • व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य (OSH) कानूनों को अपडेट करना: कार्यस्थल से जुड़े सुरक्षा कानूनों के तहत गिग श्रमिकों, टेलीवर्कर्स और प्लेटफ़ॉर्म श्रमिकों को शामिल करना चाहिए।
      • डिजिटल युग में सुरक्षित और स्वस्थ कार्यस्थल के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए भारत के कानूनों को 1981 के ILO कन्वेंशन संख्या 155 (OSH कन्वेंशन) और 2006 के कन्वेंशन संख्या 187 (OSH के लिए प्रसारात्मक फ्रेमवर्क) के अनुरूप करना चाहिए।
        • रोबोटिक्स और मानव-रोबोट इंटरेक्शन पर नियमों को संशोधित करना: कार्यस्थल पर सहयोगात्मक माहौल बनाने के लिए स्पष्ट सुरक्षा मानदंड और प्रोटोकॉल लागू करने चाहिए।
        • डिस्कनेक्ट करने के अधिकार को सुनिश्चित करना: कार्य के घंटों के बाद कर्मचारी से कार्य करने की अपेक्षा नहीं रखी जानी चाहिए, ताकि ओवरवर्क एवं डिजिटल बर्नआउट को रोका जा सके।
  • मानव-केंद्रित एल्गोरिदमिक प्रबंधन को बढ़ावा देना: यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एल्गोरिदमिक प्रबंधन से जुड़े उपकरण पारदर्शी, नैतिक और इंसानी निगरानी में हों।
    • ऑटोमेटिड निर्णयन से प्रभावित श्रमिकों के लिए स्पष्ट शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित करनी चाहिए।
    • संगठन में कर्मचारी के विश्वास को बनाए रखने और उसके मानसिक तनाव को कम करने के लिए सिस्टम डिजाइन में कर्मचारी से फीडबैक लेने की व्यवस्था को शामिल करना चाहिए।
  • जागरूकता को प्राथमिकता देना: डिजिटल अधिकारों, मानसिक स्वास्थ्य और नए खतरों के बारे में जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।
  • पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करना: ग्रीन ऑटोमेशन को बढ़ावा देना चाहिए ताकि पर्यावरण के संरक्षण को बढ़ावा मिले और जलवायु परिवर्तन के प्रति दीर्घकालिक अनुकूलन विकसित किया जा सके।

निष्कर्ष

यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि ऑटोमेशन से कार्यस्थल की सुरक्षा, समानता और कल्याण में कोई कमी नहीं आए। इसके लिए सहयोगात्मक, श्रमिक-केंद्रित और दूरदर्शी सोच आवश्यक है। यदि प्रौद्योगिकी, नीति और भागीदारी के बीच सही संतुलन स्थापित किया जाए, तो ऑटोमेशन अधिक सतत, समावेशी और कर्मचारी-अनुकूल कार्यस्थल बनाने की दिशा में मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

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