भारत-श्रीलंका संबंध (INDIA-SRI LANKA RELATIONS) | Current Affairs | Vision IAS
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भारत-श्रीलंका संबंध (INDIA-SRI LANKA RELATIONS)

Posted 01 Jun 2025

Updated 28 May 2025

37 min read

सुर्ख़ियों में क्यों? 

भारत के प्रधान मंत्री को श्रीलंका की दो दिवसीय राजकीय यात्रा के दौरान श्रीलंका के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार "मित्र विभूषण" से सम्मानित किया गया।

प्रधान मंत्री की श्रीलंका यात्रा के मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र

  • रक्षा सहयोग: भारत और श्रीलंका ने रक्षा सहयोग पर एक व्यापक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। इसके माध्यम से पहले के समझौतों को नए व्यवस्थित फ्रेमवर्क का रूप दिया गया है।
    • इसके अलावा, श्रीलंका के राष्ट्रपति ने यह आश्वासन दिया कि श्रीलंका की भूमि का उपयोग भारत के खिलाफ नहीं होने दिया जाएगा। साथ ही, उन्होंने क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर भारत की चिंताओं को भी दूर किया।
  • ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग: भारत, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात ने संयुक्त रूप से त्रिंकोमाली में एक एनर्जी हब विकसित करने पर सहमति व्यक्त की है।
  • डिजिटल प्रौद्योगिकी को अपनाना: दोनों देशों ने डिजिटल प्रौद्योगिकी में अपनी सफलताओं को साझा करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। ये वे डिजिटल प्रौद्योगिकियां हैं जिन्हें देश की संपूर्ण आबादी तक पहुंचाई गई है ताकि उन्हें डिजिटल सेवाओं से जोड़ा जा सके।  
    • भारत ने श्रीलंका की यूनिक डिजिटल आइडेंटिटी परियोजना के लिए समर्थन की घोषणा की।
  • अनुदान सहायता: भारत ने त्रिंकोमाली में थिरु कोणेश्वरम मंदिर, नुवारा एलिया में सीता एलिया मंदिर और अनुराधापुरा में सेक्रेड सिटी कॉम्प्लेक्स प्रोजेक्ट के विकास के लिए अनुदान सहायता की घोषणा की।
  • अन्य बिंदु:
    • भारत ने 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण को अनुदान में बदलने पर सहमति व्यक्त की।
    • भारत ने श्रीलंका के ईस्टर्न प्रोविंस के लिए 2.4 बिलियन श्रीलंकाई रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की।
    • भारत ने व्यापक क्षमता निर्माण कार्यक्रम की भी घोषणा की है जिसके अंतर्गत प्रतिवर्ष 700 श्रीलंकाई नागरिकों को कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा।

भारत-श्रीलंका संबंधों का महत्त्व

दोनों देशों के लिए महत्त्व:

  • अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सहयोग:  ब्रिक्स का सदस्य बनने के लिए श्रीलंका के आवेदन का भारत ने समर्थन दिया है।
    • श्रीलंका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 2028-29 के कार्यकाल के लिए अस्थायी सदस्यता हेतु भारत की उम्मीदवारी का समर्थन किया है।
  • हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में साझा समुद्री सुरक्षा हित: दोनों देशों ने पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों से निपटने के लिए तथा एक स्वतंत्र, खुला, सुरक्षित और समृद्ध हिंद महासागर क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
  • ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग: भारत और श्रीलंका के बीच कई परियोजनाएं चर्चा के अलग-अलग चरणों में हैं। उदाहरण के लिए, इंटर-ग्रिड कनेक्टिविटी की योजना, दोनों देशों के बीच मल्टी-प्रोडक्ट पेट्रोलियम पाइपलाइन, LNG की आपूर्ति, और संपूर पावर प्रोजेक्ट जो अभी प्रारंभिक चरण में है।
  • क्षेत्रीय और बहुपक्षीय सहयोग: दोनों देश राष्ट्रमंडल समूह, इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA) और बिम्सटेक के सदस्य हैं।
  • सैन्य क्षेत्र में सहयोग: दोनों देशों के बीच प्रतिवर्ष SLINEX (नौसेना अभ्यास) और मित्र शक्ति (थल सेना अभ्यास) जैसे संयुक्त अभ्यास आयोजित किए जाते हैं।
    • श्रीलंका मिलन (MILAN) नामक बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यास में भी भाग लेता है, जिसकी मेजबानी भारतीय नौसेना करती है।

श्रीलंका के लिए महत्त्व

भारत के लिए महत्त्व

  • वित्तीय सहायता: भारत ने 2022 और 2023 में श्रीलंका को आर्थिक संकट से उबरने में मदद करने के लिए विभिन्न प्रकार की सहायता के रूप में लगभग 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रदान किए।
    • भारत ने जाफना में कांकेसंथुराई बंदरगाह के जीर्णोद्धार के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की है।
  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का बेलआउट पैकेज: श्रीलंका को आर्थिक संकट से निपटने में भारत IMF को वित्तीय आश्वासन प्रदान करने वाले पहले देशों में से एक था। 2023 में IMF द्वारा श्रीलंका के लिए 2.9 बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज की मंजूरी के लिए यह आश्वासन एक शर्त थी।
  • आर्थिक महत्व: भारत श्रीलंका का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार और श्रीलंका में सबसे बड़ा विदेशी प्रत्यक्ष निवेशक है। साथ ही, श्रीलंका में सबसे अधिक पर्यटक भारत से आते हैं।  
  • मानवीय सहायता: भारत मानवीय सहायता और आपदा राहत के क्षेत्र में श्रीलंका के लिए 'प्रथम मददगार (First responder)' की भूमिका निभाता है। उदाहरण के लिए, कोविड-19 महामारी के दौरान, भारत ने श्रीलंका को 500,000 वैक्सीन की खुराक भेजी थी।
  • हिंद महासागर की सुरक्षा: श्रीलंका भारत का निकटतम समुद्री पड़ोसी देश है। भारत की सुरक्षा व स्थिरता के लिए नुकसानदेह अन्य देशों की कार्रवाइयों को रोकने के मामले में श्रीलंका की अहम भूमिका है।
  • भारत की नीतियों के केंद्र में:  भारत की 'पड़ोस प्रथम' नीति और 'महासागर (MAHASAGAR)' (क्षेत्र में सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक एवं समग्र प्रगति/ Mutual and Holistic Advancement for Security and Growth Across Regions) सिद्धांत में श्रीलंका का केंद्रीय स्थान है।
  • श्रीलंका में भारतीय मूल के तमिल (Indian Origin Tamils: IOTs): लगभग 1.6 मिलियन 'भारतीय मूल के तमिल', मुख्यतः श्रीलंका के चाय और रबर बागानों में कार्यरत हैं। साथ ही श्रीलंका के व्यावसायिक क्षेत्र में भी इनका अधिक योगदान है।

 

भारत-श्रीलंका संबंधों में बाधाएं/ अड़चने  

  • चीन का बढ़ता प्रभाव: चीन श्रीलंका को आर्थिक सहायता दे रहा है तथा हंबनटोटा बंदरगाह जैसी परियोजनाओं में निवेश बढ़ा रहा है। इस तरह श्रीलंका में चीन का प्रभाव बढ़ रहा है। इससे भारत के रणनीतिक हितों पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका है।
    • चीनी जहाज (शी यान-6, युआन वांग-5) श्रीलंका के बंदरगाह पर डॉकिंग के बाद डेटा संग्रह जैसी गतिविधियां संचालित करते हैं। इन डेटा का उपयोग भविष्य में भारत के विरुद्ध सैन्य अभियानों में किया जा सकता है।
  • मछुआरों के बीच विवाद: श्रीलंका भारतीय मछुआरों द्वारा बॉटम ट्रॉलर के उपयोग और श्रीलंकाई जल क्षेत्र में बार-बार प्रवेश का विरोध करता रहा है। श्रीलंका का कहना है कि भारतीय मछुआरों की वजह से समुद्री पर्यावरण और श्रीलंकाई मछुआरों के हितों को नुकसान पहुंचता है।
    • इसके अलावा, कच्चातिवु द्वीप को लेकर भी दोनों देशों के बीच समय-समय पर क्षेत्रीय विवाद उत्पन्न हो जाता है। इस द्वीप को 1974 में भारत ने श्रीलंका को सौंप दिया था, लेकिन भारतीय मछुआरे अब भी इस क्षेत्र में मछली मारने के अपने पारंपरिक अधिकार का दावा करते हैं।
  • तमिल नृजातीय मुद्दा: श्रीलंका में तमिल-सिंहल संघर्ष लगभग समाप्त हो चुका है, हालांकि दोनों नृजातीय समूहों के बीच सुलह की प्रक्रिया धीमी रही है। इससे श्रीलंका के संविधान में 13वें संशोधन को लागू करने में देरी हो रही है। इससे भारत की घरेलू राजनीति भी प्रभावित होती है।
    • यह संशोधन इंडो-लंका समझौते (1987) के तहत लाया गया था। श्रीलंका के सिंहली राष्ट्रवादी इसे थोपा हुआ मानते हैं जबकि तमिल समुदाय अधिक स्वायत्तता चाहते हैं

आगे की राह 

  • भारत की पाँच "S" की नीति: भारत को सम्मान (Samman), संवाद (Samvad), सहयोग (Sahyog), शांति (Shanti); तथा सार्वभौमिक समृद्धि (Samriddhi) के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाने की नीति पर चलना चाहिए।
  • रचनात्मक सहयोग: मछुआरों से जुड़े विवाद को सुलझाने के लिए एक स्थायी द्विपक्षीय संस्थागत तंत्र स्थापित करना चाहिए। साथ ही, 13वें संशोधन को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए नैतिकता का पालन (अनुनय)  करने की अपील करनी चाहिए और विकास सहायता प्रदान करनी चाहिए।
  • सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक कूटनीति: दोनों देशों को बौद्ध सर्किट और रामायण ट्रेल के तहत धार्मिक पर्यटन को संयुक्त रूप से बढ़ावा देना चाहिए। साथ ही, श्रीलंका में अवसंरचना विकास हेतु सहायता देनी चाहिए, डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित करनी चाहिए और प्रवासी भारतीय समुदाय की भागीदारी बढ़ानी चाहिए।
  • बहुपक्षीय सहयोग: दोनों देशों को क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और आर्थिक एकीकरण जैसे मुद्दों पर साझा दृष्टिकोण विकसित करना चाहिए। साथ ही, सहयोग बढ़ाने के लिए बिम्सटेक और इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA) जैसे फ़ोरम्स का प्रभावी तरीके से उपयोग करना चाहिए।
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