सुर्ख़ियों में क्यों?
थाईलैंड की अध्यक्षता में बैंकॉक में छठा बिम्सटेक (BIMSTEC) शिखर सम्मेलन संपन्न हुआ। शिखर सम्मेलन की थीम थी - "बिम्सटेक: प्रोस्पेरेस, रेसिलिएंट एंड ओपन (BIMSTEC: Prosperous, Resilient and Open)"।
- बिम्सटेक (BIMSTEC) का अर्थ है- बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन।
छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भारत के नेतृत्व में शुरू की गई महत्वपूर्ण पहलें
- बिम्सटेक उत्कृष्टता केंद्र: इसके तहत भारत में आपदा प्रबंधन, संधारणीय समुद्री परिवहन, पारंपरिक चिकित्सा तथा कृषि में अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संबंधी उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
- बोधि (मानव संसाधन अवसंरचना के संगठित विकास के लिए बिम्सटेक): यह पेशेवरों, छात्रों, शोधकर्ताओं आदि को प्रशिक्षण एवं छात्रवृत्ति प्रदान करके युवाओं को कुशल बनाने का कार्यक्रम है।
- डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर: भारत क्षेत्र में इसकी आवश्यकता का आकलन करने के लिए एक पायलट अध्ययन आयोजित करेगा।
- लोगों के बीच जुड़ाव को मजबूत करना: भारत 2027 में प्रथम बिम्सटेक खेलों की मेजबानी करेगा। भारत बिम्सटेक पारंपरिक संगीत महोत्सव की भी मेजबानी करेगा।
अन्य मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र
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बिम्सटेक (BIMSTEC) के बारे में

- उत्पत्ति: यह एक क्षेत्रीय संगठन है। इसकी स्थापना 1997 में बैंकॉक घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर के साथ हुई थी।
- प्रारंभ में इसका गठन चार सदस्य राष्ट्रों- बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड के साथ किया गया था। तब इसका संक्षिप्त नाम BIST-EC था।
- सचिवालय: ढाका (बांग्लादेश) में स्थित है।
- सदस्य देश (7): बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड।
- BIMSTEC चार्टर: यह आधारभूत दस्तावेज़ है, जो बिम्सटेक के लक्ष्यों, सिद्धांतों और संरचना को रेखांकित करता है। इसे श्रीलंका में आयोजित 5वें शिखर सम्मेलन (2022) में अंतिम रूप दिया गया था।
- चार्टर समूह को कानूनी व्यक्तित्व प्रदान करता है तथा बाहरी साझेदारी और पर्यवेक्षकों एवं नए सदस्यों के प्रवेश का मार्ग प्रशस्त करता है
- उद्देश्य: तेजी से आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति के लिए एक सक्षम परिवेश बनाना और साथ ही, बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में शांति व स्थिरता बनाए रखना।
- 7 प्राथमिकता वाले क्षेत्र/ स्तंभ (प्रत्येक का नेतृत्व 1 सदस्य देश द्वारा किया जाता है):
- भारत सुरक्षा स्तंभ के लिए नेतृत्वकर्ता देश है, जिसके अंतर्गत 3 उप-क्षेत्र हैं- आतंकवाद और अंतर्राष्ट्रीय अपराध से निपटना, आपदा प्रबंधन तथा ऊर्जा सुरक्षा।
बिम्सटेक भारत की विदेश नीति के उद्देश्यों को पूरा करने में कैसे मदद कर सकता है?
- सार्क (SAARC) का विकल्प: भारत-पाकिस्तान तनाव के कारण सार्क की प्रगति बाधित हुई है। बिम्सटेक में पाकिस्तान को शामिल नहीं किया गया है, जिससे भारत को क्षेत्रीय सहयोग के लिए एक अधिक कार्यात्मक मंच मिल गया है।
- सार्क (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) भू-राजनीतिक तनावों, खासकर भारत-पाकिस्तान प्रतिद्वंद्विता के कारण काफी हद तक निष्क्रिय बना हुआ है।
- भारत की विदेश नीति के साथ संरेखित: बिम्सटेक भारत की 'एक्ट ईस्ट' और 'नेबरहुड फर्स्ट' नीतियों के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है।
- इसे हिंद महासागर क्षेत्र में व्यापार और सुरक्षा बढ़ाने के भारत के व्यापक लक्ष्य के साथ संरेखित करने तथा क्वाड देशों द्वारा समर्थित इंडो-पेसिफिक विज़न का समर्थन करने के रूप में भी देखा जा सकता है।
- दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच रणनीतिक सेतु के रूप में: थाईलैंड और म्यांमार जैसे आसियान सदस्य देशों के माध्यम से भारत को आसियान देशों के साथ प्रभावी ढंग से जोड़ने में सहायक है।
- आसियान और बिम्सटेक के बीच एक मजबूत साझेदारी एक व्यापक इंडो-पेसिफिक फ्रेमवर्क का निर्माण कर सकती है। यह फ्रेमवर्क महाद्वीपीय एवं समुद्री एशिया को जोड़ेगा।
- नीली अर्थव्यवस्था और समुद्री सुरक्षा: यह बंगाल की खाड़ी में भारत के हितों को बढ़ावा देता है तथा समुद्री व्यापार मार्गों की सुरक्षा, समुद्री डकैती विरोधी अभियानों और आपदा प्रबंधन में मदद करता है।
- यह हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के सागर/ SAGAR (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) और महासागर/ MAHASAGAR (क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक एवं समग्र उन्नति) विज़न के साथ भी प्रभावी रूप से संरेखित है।
- दक्षिण एशियाई एकीकरण: इसके माध्यम से अवसंरचना, ऊर्जा और परिवहन कनेक्टिविटी पर बेहतर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। परिवहन संबंधी कनेक्टिविटी के लिए बिम्सटेक मास्टर प्लान जैसी परियोजनाओं के माध्यम से क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है।
बिम्सटेक से संबंधित मुद्दे
- धीमी संगठनात्मक प्रगति: बिम्सटेक के गठन के 27 साल बाद चार्टर लागू हुआ है। पिछले 27 वर्षों में वर्तमान शिखर सम्मेलन सहित केवल 6 शिखर सम्मेलन ही आयोजित किए गए हैं।
- 2011 तक बिम्सटेक का कोई आधिकारिक मुख्यालय या सचिवालय नहीं था। वर्तमान में यह अपनी परिचालन गतिविधियों के लिए अपर्याप्त वित्तीय और कार्मिक सहायता से ग्रस्त है।
- भू-राजनीतिक चुनौतियां: बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के माध्यम से सदस्य देशों में चीन का बढ़ता प्रभाव भारत के लिए रणनीतिक व सामरिक चिंताएं पैदा कर रहा है।
- भारत और भूटान को छोड़कर सभी बिम्सटेक सदस्य देश BRI परियोजनाओं का हिस्सा हैं। इससे चीन को दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशिया में रणनीतिक लाभ मिल रहा है।
- कम अंतर-क्षेत्रीय व्यापार: क्षमताओं के बावजूद, बिम्सटेक सदस्यों के बीच व्यापार अपेक्षाकृत कम है, यानी कुल व्यापार का लगभग 6-7% है, जो गहन आर्थिक एकीकरण की कमी को दर्शाता है।
- 2004 में शुरू किया गया बिम्सटेक FTA कई वार्ताओं के बावजूद लागू नहीं हो पाया है। इससे क्षेत्र के भीतर व्यापार उदारीकरण और आर्थिक एकीकरण में बाधा आ रही है।
- अवसंरचनात्मक और कनेक्टिविटी में अंतर: रुकी हुई कनेक्टिविटी परियोजनाओं या इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन में देरी के कारण सदस्य देशों के बीच भौतिक कनेक्टिविटी काफी खराब स्थिति में है। इससे व्यापार, लोगों के बीच संपर्क और एकीकरण सीमित हो रहा है।
- उदाहरण के लिए- भारत-म्यांमार-थाईलैंड (IMT) त्रिपक्षीय राजमार्ग तथा बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल (BBIN) मोटर वाहन समझौता लागू होने में काफी देरी हो रही है।
- राजनीतिक अस्थिरता: म्यांमार, नेपाल और श्रीलंका जैसे सदस्य देशों में आंतरिक राजनीतिक संकट एवं संघर्ष विकास कार्यो को बाधित करते हैं और संसाधनों की कमी व दुरूपयोग का कारण बनते हैं, जिससे क्षेत्रीय सहयोग में बाधा आती है।
- सदस्यों के बीच तनावपूर्ण संबंध जैसे रोहिंग्या शरणार्थी संकट पर बांग्लादेश-म्यांमार संबंध, भारत-नेपाल सीमा मुद्दा आदि भी सहयोग में बाधा डालते हैं।
निष्कर्ष
सार्क के विपरीत बिम्सटेक एक कार्यात्मक व दूरदर्शी समूह का प्रतिनिधित्व करता है, जो भारत के भू-राजनीतिक और आर्थिक हितों के साथ अच्छी तरह से संरेखित है। यह भारत के नेतृत्व में पुराने ढांचे की सीमाओं को दरकिनार करने और क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ाने के लिए उप-क्षेत्रीय एवं अंतर-क्षेत्रीय सहयोग की दिशा में भारत की रणनीतिक क्षमता का उदाहरण है।