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भारतीय प्रवासी (INDIAN DIASPORA)

Posted 01 Jun 2025

Updated 28 May 2025

29 min read

सुर्ख़ियों में क्यों?

विदेश मामलों से संबंधित संसदीय स्थायी समिति (2024-25) ने विदेशों में रहने वाले भारतीय प्रवासियों पर रिपोर्ट जारी की। 

भारतीय प्रवासियों या इंडियन डायस्पोरा के बारे में

  • परिभाषा: भारतीय प्रवासियों से तात्पर्य भारतीय मूल के उन लोगों से है, जो या तो कई पीढ़ियों पहले या हाल ही में अन्य देशों द्वारा जारी दीर्घकालिक वीज़ा पर उन देशों में प्रवास कर गए थे और तब से वहीं रह रहे हैं।
  • भारतीय प्रवासियों में शामिल हैं:
    • भारतीय मूल के व्यक्ति (Persons of Indian Origin: PIO): ऐसा व्यक्ति जो या जिसके पूर्वजों में से कोई भारतीय नागरिक था और जो वर्तमान में किसी अन्य देश की नागरिकता/ राष्ट्रीयता रखता है यानी उसके पास विदेशी पासपोर्ट है।
    • प्रवासी भारतीय नागरिक (Overseas Citizens of India: OCIs): नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 7A के तहत प्रवासी भारतीय नागरिक (OCIs) कार्डधारक के रूप में पंजीकृत व्यक्ति।
      • नोट: 2015 में  PIO और OCI कार्डधारकों को एक श्रेणी OCI के तहत विलय कर दिया गया था। 
    • अनिवासी भारतीय (Non-Resident Indians: NRI): एक भारतीय नागरिक जो सामान्यतः भारत से बाहर रहता है और जिसके पास भारतीय पासपोर्ट है।
  • वर्तमान स्थिति: जनवरी 2024 तक, भारतीय प्रवासियों की जनसंख्या लगभग 35.42 मिलियन थी। इनमें 15.85 मिलियन NRIs और 19.57 मिलियन POIs एवं OCIs शामिल थे।
  • भौगोलिक वितरण: महत्वपूर्ण भारतीय आबादी वाले प्रमुख देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, खाड़ी देश, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण पूर्व एशिया और कैरिबियन द्वीप समूह शामिल हैं।

समिति द्वारा उजागर की गई भारतीय प्रवासियों से संबंधित प्रमुख चिंताएं

  • NRIs को मतदान के संदर्भ में सीमित अधिकार: मौजूदा मानदंडों के अनुसार, मतदाता सूची में पंजीकृत अनिवासी भारतीयों को वोट डालने के लिए स्वयं उपस्थित होना पड़ता है।
    • लॉजिस्टिक संबंधी और व्यावहारिक समस्याओं के कारण पंजीकृत NRI मतदाताओं में से केवल कुछ ही मतदान के लिए आते हैं।
  • विदेशी जेलों में सजा काट रहे व्यक्तियों का स्थानांतरण: समिति ने पाया कि द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौतों के बावजूद, पिछले 3 वर्षों में केवल 8 भारतीय कैदियों को ही विदेशों से भारत लाया गया है।
  • नौकरी रैकेट में फंसे पेशेवर: उदाहरण के लिए- संदिग्ध फर्म्स सोशल मीडिया चैनलों के माध्यम से दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों (कंबोडिया, म्यांमार, लाओ पी.डी.आर. आदि) में फर्जी नौकरी भर्ती की पेशकश करती हैं, ताकि लोगों को साइबर अपराध करने के लिए बंधुआ मजदूर के रूप में रखा जा सके।
  • प्रवासियों का पुनः एकीकरण: समिति ने पाया कि आर्थिक व्यवधानों, कठोर आव्रजन नीतियों और नौकरी के अवसरों में कमी के कारण 2019 से 2024 तक लगभग 5.95 लाख प्रवासी विदेशों से भारत वापस लौट आए हैं।
    • विदेशों से लौटने वाले प्रवासियों के पुनः एकीकरण हेतु राष्ट्रीय स्तर की कोई भी नीति मौजूद नहीं है।
  • विदेश में भारतीय छात्रों की सुरक्षा: उल्लेखनीय है कि 2018 से 2024 तक प्राकृतिक कारणों, दुर्घटनाओं और चिकित्सा स्थिति आदि के कारण विदेशों में भारतीय छात्रों की मृत्यु की 403 घटनाएं सामने आई हैं।

प्रवासी भारतीयों के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम

  • प्रवासी भारतीय बीमा योजना (PBBY): इसे 2017 में शुरू किया गया था। यह योजना प्रवासी भारतीयों को आकस्मिक मृत्यु या स्थायी दिव्यांगता के मामले में 10 लाख रुपये का बीमा कवर एवं अन्य सुविधाएं प्रदान करती है। इस योजना में, दो साल के लिए बीमा प्रीमियम 275 रुपये और तीन साल के लिए 375 रुपये है।
  • भारत को जानो कार्यक्रम (Know India Programme): यह 21-35 वर्ष आयु वर्ग के भारतीय प्रवासियों के लिए 2003 में शुरू की गई एक पहल है। इसका उद्देश्य PIO युवाओं को समकालीन भारत से परिचित कराना है।
  • ज्ञान साझाकरण कार्यक्रम: विजिटिंग एडवांस्ड ज्वाइंट रिसर्च (वज्र/ VAJRA)) फैकल्टी स्कीम, प्रवासी भारतीय एकेडमिक एंड साइंटिफिक संपर्क (प्रभास/ PRABHASS), वैश्विक भारतीय वैज्ञानिक (वैभव/ VAIBHAV) फेलोशिप कार्यक्रम आदि।
  • प्रवासी भारतीय दिवस: 9 जनवरी 1915 को महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे। इसी दिन को सम्मानित करने के लिए 2003 में प्रवासी भारतीय दिवस की शुरुआत हुई थी। इस दिवस का उद्देश्य भारत के विकास में प्रवासी भारतीय समुदाय के योगदान को चिह्नित करना है।
  • भारतीय समुदाय कल्याण कोष (ICWF): इसकी स्थापना वर्ष 2009 में की गई थी और इसका संचालन 17 इमीग्रेशन क्लीयरेंस रिक्वायर्ड (ECR) देशों एवं मालदीव में स्थित भारतीय मिशनों के माध्यम से किया जाता है। इसका उद्देश्य संकटग्रस्त प्रवासी भारतीय नागरिकों की सहायता हेतु ऑन-साइट कल्याणकारी गतिविधियों के क्रियान्वयन में आने वाले आकस्मिक व्ययों की पूर्ति करना है।

 

आगे की राह: समिति की सिफारिशें

  • NRI को वोटिंग अधिकार: NRIs के लिए मताधिकार के संबंध में इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रेषित डाक मतपत्र प्रणाली (ETPBS) पर विचार किया जा सकता है।
  • विदेशी जेलों में सजा काट रहे व्यक्तियों का स्थानांतरण: कैदियों की सुगम वापसी की सुविधा के लिए मौजूदा समझौतों में संशोधन करना चाहिए या नए समझौते करने चाहिए। साथ ही, अन्य देशों के साथ कूटनीतिक प्रयासों और वार्ताओं को बढ़ाना चाहिए। 
  • पेशेवरों को नौकरी रैकेट से बचाना: विदेशी नियोक्ताओं को मानव संसाधन विकास मंत्रालय (HRD) और विदेश मंत्रालय द्वारा प्रमाणित प्रमाण-पत्रों की आवश्यकता होनी चाहिए। साथ ही, ग्लासडोर या लिंक्डइन जैसे प्लेटफॉर्म्स पर स्पष्ट संपर्क एवं कर्मचारी फीडबैक के साथ पेशेवर वेबसाइट्स बनाए रखनी चाहिए।
  • वापस लौटे प्रवासियों का एकीकरण: केरल भारत का एकमात्र राज्य है, जो वापस लौटे प्रवासियों के लिए आर्थिक एकीकरण और कल्याण कार्यक्रम संचालित कर रहा है। यह अन्य राज्यों और यहां तक कि अन्य देशों के लिए भी अनुकरणीय है।
  • विदेशी छात्रों की सुरक्षा: विशेष रूप से संघर्ष ग्रस्त क्षेत्रों में भारतीय छात्रों की सुरक्षा के लिए नीतिगत ढांचे को विकसित करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, विदेशों में अध्ययन करने वाले छात्रों का रियल टाइम डेटाबेस भी बनाना चाहिए।
  • उत्प्रवास विधेयक, 2024 को प्राथमिकता देने की आवश्यकता: समिति ने उत्प्रवास अधिनियम, 1983 के पुराने प्रावधानों को बदलने के लिए एक व्यापक विधायी सुधार की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया है। साथ ही, उत्प्रवास विधेयक में छात्र प्रवासन का समाधान करने की भी सिफारिश की है।
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