सुर्ख़ियों में क्यों?
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड्स (SPCBs) को उद्योगों का संशोधित वर्गीकरण अपनाने का निर्देश दिया है।
अन्य संबंधित तथ्य
- संशोधित वर्गीकरण का उद्देश्य स्वच्छ एवं पारदर्शी काम-काज तथा व्यापार करने में सुगमता को बढ़ावा देना है।
- नए वर्गीकरण में, CPCB ने कुल 419 क्षेत्रकों को रेड (125), ऑरेंज (137), ग्रीन (94), व्हाइट (54) और ब्लू (9) श्रेणी में वर्गीकृत किया है।

- ब्लू श्रेणी को हाल ही में शामिल किया गया है।
- CPCB ने प्रदूषण सूचकांक (Pollution Index: PI) पर आधारित संशोधित कार्य-प्रणाली को अपनाया है।
- इसके अलावा, CPCB पर्यावरण प्रबंधन संबंधी उपायों के सफल कार्यान्वयन का प्रदर्शन करने वाले उद्योगों को प्रोत्साहित भी करेगा।
- उदाहरण के लिए, रेड श्रेणी के लिए कंसेंट टू ऑपरेट (CTO) परमिट अधिकतम 10 वर्षों की वैधता के लिए दिया जा सकता है।
उद्योगों का वर्गीकरण
- पृष्ठभूमि: इसकी शुरुआत 1989 में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी दून घाटी (उत्तराखंड) अधिसूचना के साथ हुई थी।
- प्रदूषण सूचकांक आधारित वर्गीकरण की शुरुआत 2016 में की गई थी।
- उद्देश्य: यह सुनिश्चित करना कि उद्योग की स्थापना पर्यावरणीय उद्देश्यों के अनुरूप हो।
- यह वर्गीकरण सम्पूर्ण औद्योगिक क्षेत्रक के लिए है, न कि अलग-अलग इकाइयों के लिए।
- वर्गीकरण का उपयोग/ प्रासंगिकता:
- उद्योगों की स्थापना हेतु स्थल निर्धारण मानदंड: यह किसी उद्योग की स्थापना के लिए स्थान/ स्थल निर्धारण के लिए एक साधन के रूप में उपयोग किया जाता है।
- क्लस्टर का विकास: इसका उपयोग क्षेत्रक विशेष क्लस्टर की योजना बनाने के लिए किया जाता है।
- प्रदूषण नियंत्रण के लिए क्षेत्रक विशेष योजनाएं: प्रदूषण नियंत्रण के लिए योजनाएं तैयार की जा सकती हैं और क्षेत्रकों के लिए प्राथमिकता के आधार पर लागू की जा सकती हैं।
- निरीक्षण की आवृत्ति: SPCBs/ PCCs क्षेत्रकों की श्रेणियों के आधार पर पर्यावरण निगरानी कार्यक्रमों को प्राथमिकता दे सकते हैं।
- प्रगतिशील पर्यावरण प्रबंधन के लिए एक साधन: औद्योगिक इकाइयां प्रदूषण सूचकांक में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए स्वच्छ प्रौद्योगिकियों, स्वच्छ ईंधन आदि को अपना सकती हैं। इसके चलते ऐसी इकाइयां कम प्रदूषण वाली श्रेणी में स्थान बना सकती हैं।
क्षेत्रकों से संबंधित मौजूदा श्रेणियाँ | ||
श्रेणी | प्रदुषण सूचकांक (PI) | मुख्य विवरण / उदाहरण |
रेड | PI> 80 |
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ऑरेंज | 55 ≤ PI < 80 |
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ग्रीन | 25 ≤ PI < 55 |
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व्हाइट | PI < 25 |
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नोट: किसी भी नए या छूटे हुए क्षेत्रक के लिए, SPCB/ प्रदूषण नियंत्रण समितियों (PCCs) को अपने स्तर पर क्षेत्र को वर्गीकृत करने की अनुमति है। |
ब्लू श्रेणी के बारे में
- इसमें घरेलू/ सामुदायिक गतिविधियों से उत्पन्न अपशिष्ट के प्रबंधन के लिए आवश्यक पर्यावरणीय सेवाओं (ESSs) को शामिल किया गया है।
- आवश्यक पर्यावरणीय सेवाएं वे सुविधाएं हैं- जो घरेलू और औद्योगिक गतिविधियों से उत्पन्न प्रदूषण को नियंत्रित करने, कम करने एवं निपटाने के लिए जरूरी होती हैं।
- उदाहरण: नगर निगम ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सुविधा (सैनिटरी लैंडफिल/ एकीकृत सैनिटरी लैंडफिल, आदि) सीवेज उपचार संयंत्र, आदि।
- नगरपालिका के ठोस अपशिष्ट, कृषि-अवशेष आदि जैसे विभिन्न फीडस्टॉक पर आधारित संपीडित बायोगैस संयंत्र (CBP) को ब्लू श्रेणी के अंतर्गत माना जा सकता है।
- औद्योगिक अपशिष्ट या औद्योगिक प्रक्रिया से उत्पन्न अपशिष्ट पर आधारित संपीडित बायोगैस संयंत्र रेड श्रेणी में बने रहेंगे।
- नगरपालिका के ठोस अपशिष्ट, कृषि-अवशेष आदि जैसे विभिन्न फीडस्टॉक पर आधारित संपीडित बायोगैस संयंत्र (CBP) को ब्लू श्रेणी के अंतर्गत माना जा सकता है।
- ब्लू श्रेणी को शुरू करने की आवश्यकता क्यों पड़ी: इससे अपशिष्ट प्रबंधन संबंधी प्रणालियों को बढ़ावा मिलेगा।
- इस श्रेणी के क्षेत्रकों के लिए कंसेंट टू ऑपरेट (CTO) परमिट की वैधता अन्य श्रेणी की तुलना में 2 वर्ष अधिक होगी।

निष्कर्ष
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा ब्लू श्रेणी को शामिल करते हुए जारी किया गया उद्योगों का संशोधित वर्गीकरण पर्यावरण के प्रति उत्तरदायी औद्योगिक विनियमन की दिशा में प्रगतिशील बदलाव को दर्शाता है।