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जैविक हथियार अभिसमय

Posted 01 Jun 2025

Updated 27 May 2025

29 min read

सुर्ख़ियों में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र निरस्त्रीकरण मामलों के कार्यालय (UNODA) ने जैविक हथियार अभिसमय (BWC) की 50वीं वर्षगांठ मनाई।

जैविक हथियार अभिसमय (BWC) के बारे में

  • इसका औपचारिक नाम है- "जीवाणुजन्य (जैविक) और विषाक्त हथियारों के विकास, उत्पादन और भंडारण पर प्रतिबंध तथा उनके विनाश पर अभिसमय "।
  • उत्पत्ति: BWC पर 1969 से 1971 तक जिनेवा (स्विट्जरलैंड) में अठारह राष्ट्र निरस्त्रीकरण समिति (ENDC) तथा निरस्त्रीकरण समिति के सम्मेलन (CCD) के अधीन वार्ता हुई थी।
    • इस अभिसमय को अप्रैल, 1972 में हस्ताक्षर के लिए प्रस्तुत किया गया था और यह 26 मार्च, 1975 को लागू हुआ था।
  • सदस्यता: 188 सदस्य देशों और चार हस्ताक्षरकर्ता देशों (मिस्र, हैती, सोमालिया और सीरिया) के साथ लगभग सार्वभौमिक सदस्यता। भारत ने 1974 में हस्ताक्षर किये थे और अनुसमर्थन किया था।
    • इसके संचालन की समीक्षा के लिए पक्षकार देश लगभग हर 5 साल में बैठक करते हैं।
    • BWC के पक्षकार देशों ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि यह अभिसमय लागू होने के बाद विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, राजनीति और सुरक्षा में आए बदलावों के बावजूद प्रासंगिक व प्रभावी बना रहे।
  • BWC के बारे में मुख्य तथ्य
    • यह प्रथम बहुपक्षीय निरस्त्रीकरण संधि है जिसके तहत सामूहिक विनाश के हथियारों (WMD) की एक पूरी श्रेणी पर प्रतिबंध लगाया गया है।
    • यह जैविक और विषाक्त हथियारों के विकास, उत्पादन, अधिग्रहण, हस्तांतरण, भंडारण एवं उपयोग पर प्रभावी रूप से प्रतिबंध लगाता है।
      • यह 1925 के जेनेवा प्रोटोकॉल का पूरक है जिसमें केवल जैविक हथियारों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया था।
    • कार्यान्वयन सहायता इकाई (ISU) समीक्षा सम्मेलन द्वारा सहमत बैठकों, व्यापक कार्यान्वयन तथा अभिसमय के सार्वभौमिकरण के लिए प्रशासनिक सहायता प्रदान करेगी।
    • पांच देशों (इजरायल, चाड, जिबूती, इरीट्रिया और किरिबाती) ने न तो इस अभिसमय पर हस्ताक्षर किए हैं और न ही इसे स्वीकार किया है।

जैविक हथियार अभिसमय (BWC) को लागू करने के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदम

  • खतरनाक सूक्ष्म जीवों, आनुवंशिक रूप से संशोधित/ इंजीनियरड जीवों या कोशिकाओं का निर्माण, उपयोग, आयात, निर्यात और भंडारण नियम, 1989: जीन प्रौद्योगिकी तथा सूक्ष्म जीवों के अनुप्रयोग के संबंध में पर्यावरण, प्रकृति एवं स्वास्थ्य की रक्षा करना।
  • सामूहिक विनाश के हथियार और उनकी आपूर्ति प्रणाली (गैर-कानूनी गतिविधियों का निषेध) अधिनियम, 2005: यह सामूहिक विनाश के हथियारों और उनकी आपूर्ति के साधनों से संबंधित गैर-कानूनी गतिविधियों (जैसे विनिर्माण, परिवहन या हस्तांतरण) पर प्रतिबंध लगाता है।
  • विशेष रसायन, जीव, सामग्री, उपकरण और प्रौद्योगिकी (SCOMET): SCOMET सूची राष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण सूची है। इस सूची के तहत सॉफ्टवेयर और प्रौद्योगिकी सहित दोहरे उपयोग वाली वस्तुएं, युद्ध सामग्री एवं परमाणु से संबंधित मदें शामिल हैं। 
    • SCOMET सूची की श्रेणी 2 में सूक्ष्म जीव और विषाक्त पदार्थ शामिल हैं।
  • भारत और फ्रांस ने संयुक्त रूप से BWC के अनुच्छेद VII के तहत सहायता की सुविधा के लिए एक डेटाबेस स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है।
    • अनुच्छेद VII, BWC के उल्लंघन के परिणामस्वरूप खतरे में आए किसी भी पक्षकार देश की सहायता करने के दायित्व से संबंधित है।

 

BWC से संबंधित चुनौतियां

  • सत्यापन तंत्र का अभाव: जैव विज्ञान में एक ही तकनीक या सामग्री का उपयोग जीवन बचाने और जीवन लेने दोनों के लिए किया जा सकता है। इस "दोहरी प्रकृति" के कारण, यह पहचानना अविश्वसनीय रूप से मुश्किल हो जाता है कि कोई देश या समूह शांतिपूर्ण अनुसंधान कर रहा है या जैविक हथियार विकसित कर रहा है, खासकर जब एक लेखा-जोखा-आधारित (accounting-driven) दृष्टिकोण से देखा जाए। यही कारण है कि अन्य प्रमुख निरस्त्रीकरण संधियों की तुलना में जैविक निरस्त्रीकरण संधियों को लागू करना और उनका सत्यापन करना कहीं अधिक जटिल है।
    • रासायनिक हथियार अभिसमय के मामले में, सत्यापन लेखांकन द्वारा संचालित ढांचे पर आधारित है जिसमें सुविधाओं, उपकरणों और प्रासंगिक कच्चे माल आदि का दस्तावेज़ीकरण शामिल है।
  • डेटा संग्रहण के संदर्भ में लागू करने योग्य कानूनी प्रावधान का अभाव: यह BWC की राजनीतिक रूप से बाध्यकारी विश्वास-निर्माण उपाय (CBM) प्रस्तुतियों पर निर्भरता में योगदान देता है।
    • CBM में राष्ट्रों की भागीदारी सीमित है। 2022 पहला ऐसा वर्ष था जब आधे से अधिक सदस्य देशों ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
  • सीमित संस्थागत सहायता: कार्यान्वयन सहायता इकाई (ISU) में कर्मचारियों की कमी है।  यह केवल नौवें समीक्षा सम्मेलन में ही संभव हुआ कि ISU ने 2006 में अपनी स्थापना के बाद से अपने कर्मचारियों की संख्या 3 गैर-स्थायी कर्मचारियों से बढ़ाकर 4 कर दी।
  • राष्ट्रीय स्तर पर समुचित ढंग से क्रियान्वयन की कमी: उदाहरण के लिए- भारत के पास रासायनिक हथियार अभिसमय के लिए राष्ट्रीय प्राधिकरण  (NACWC) तो है, लेकिन जैविक हथियार अभिसमय (BWC) के लिए समान रूप से केंद्रीकृत निकाय का अभाव है।

आगे की राह

  • सत्यापन के लिए मॉड्यूलर-इंक्रीमेंटल अप्रोच को लागू करना: यह अप्रोच अधिक मजबूत सत्यापन व्यवस्था बनाने के लिए विभिन्न नीतिगत प्रस्तावों और वैज्ञानिक साधनों को एकीकृत करने पर केंद्रित है।
  • स्थायी संस्थागत समर्थन का विस्तार करना: BWC अनुपालन की निगरानी के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव की तहत एक चक्रानुक्रम आधारित विशेषज्ञ सत्यापन समूह (Rotating expert verification group) नियुक्त किया जाना चाहिए। इसमें निरस्त्रीकरण विशेषज्ञ और जैव प्रौद्योगिकी उद्योग विशेषज्ञ शामिल होने चाहिए। 
  • विश्वास-निर्माण उपाय प्रस्तुतीकरण को सार्वभौमिक बनाना: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग के क्षेत्र में हुई हालिया प्रगति ने कुछ CBM प्रस्तुतियों को आसान बनाने की क्षमता प्रदान की है। उदाहरण के लिए- डेटा हार्मोनाइजेशन और टेक्स्ट माइनिंग के उपयोग के माध्यम से ऐसा किया जा सकता है।
  • गैर-राज्य अभिकर्ताओं से उत्पन्न होने वाले खतरों का समाधान करना: गैर-राज्य अभिकर्ताओं (आतंकवादी समूहों) को जैविक हथियार हासिल करने, विकसित करने या उपयोग करने से रोकने के लिए BWC को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1540 के साथ एकीकृत करना चाहिए।
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  • जैविक हथियार अभिसमय
  • निरस्त्रीकरण समिति
  • मॉड्यूलर-इंक्रीमेंटल अप्रोच
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