जलवायु कार्रवाई के प्रति वैश्विक जिम्मेदारियों से संबंधित इस मामले को 130 से अधिक देशों का समर्थन प्राप्त था। प्रशांत द्वीपीय राष्ट्र वानुअतु के नेतृत्व में दायर यह मामला विशेष रूप से सुभेद्य लघु द्वीपीय देशों (SIDs) की सुरक्षा से जुड़ा था।
- 2023 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक संकल्प स्वीकार किया था, जिसमें ICJ से निम्नलिखित मुद्दों पर एक सलाहकारी राय देने का अनुरोध किया गया था:
- पर्यावरण की रक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के तहत राष्ट्रों के क्या दायित्व हैं?
- इन दायित्वों को पूरा करने में विफल रहने पर क्या कानूनी कार्रवाई की जा सकती है?
ICJ के निर्णय के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- स्वच्छ, स्वस्थ और संधारणीय पर्यावरण एक मानवाधिकार है: सरकारें मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा जैसी संधियों से बंधी हुई हैं तथा इन अधिकारों की रक्षा के लिए उन्हें जलवायु परिवर्तन के समाधान हेतु कार्य करना चाहिए।
- उत्सर्जन को सीमित करने के लिए सरकारें बाध्य हैं: देशों को ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन से होने वाले नुकसान को रोकना चाहिए। साथ ही, वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5°C तक सीमित करने के पेरिस समझौते के लक्ष्य को हासिल करना चाहिए।
- पूर्व-औद्योगिक काल से वैश्विक तापमान पहले ही 1.3°C तक बढ़ चुका है।
- गैर-अनुपालन के परिणाम: यदि सरकारें अपने दायित्वों को पूरा करने में विफल रहती हैं, तो:
- उन्हें कानूनी रूप से जिम्मेदार ठहराया जा सकता है और उन्हें नुकसानदायक गतिविधियां बंद करनी पड़ सकती हैं, तथा
- इसकी पुनरावृत्ति न करने की गारंटी देने और मौजूदा परिस्थितियों के आधार पर पूर्ण क्षतिपूर्ति प्रदान करने की भी आवश्यकता हो सकती है।
कुछ देशों, जैसे- संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस ने किसी भी न्यायिक निर्णय के जरिए अनिवार्य उत्सर्जन कटौती के प्रावधान का विरोध किया है। हालांकि, ICJ की राय उन पर कानूनी दबाव अवश्य डालती है।
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के बारे में
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