संस्कृति मंत्रालय राजेंद्र चोल प्रथम के दक्षिण-पूर्व एशिया में समुद्री अभियान की 1,000वीं वर्षगांठ मनाने के लिए आदि तिरुवातिराई महोत्सव मना रहा है।
- यह महोत्सव तमिल शैव भक्ति परंपराओं, विशेष रूप से चोल राजवंश द्वारा समर्थित 63 नयनारों (संत-कवियों) को भी सम्मानित करता है।
राजेंद्र चोल प्रथम (1014 से 1044 ईस्वी) के बारे में

- वह राजराज प्रथम का पुत्र था, जो सबसे शक्तिशाली चोल शासक था। राजराज प्रथम 985 ईस्वी में राजा बना था।
- उसने गंगा घाटी पर विजय प्राप्त की और ‘गंगईकोंडचोल’ (गंगा पर विजय प्राप्त करने वाला चोल) की उपाधि धारण की।
- इस विजय की स्मृति में उसने ‘गंगईकोंडचोलपुरम’ नामक एक नई राजधानी की स्थापना की और इसी नाम का एक मंदिर भी बनवाया।
- उसने श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व एशिया में शक्तिशाली श्रीविजय साम्राज्य के खिलाफ सफल नौसैनिक अभियान किए थे (मानचित्र देखें)।
- इस विजय से प्रेरित होकर अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह की राजधानी का नाम श्री विजयपुरम रखा गया था।
- 7वीं शताब्दी तक श्रीविजय दक्षिण-पूर्व एशिया में एक प्रमुख समुद्री शक्ति थी।
चोल साम्राज्य के बारे में
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