यह विधेयक खेल संस्थाओं के गवर्नेंस में सुधार लाने, खेलों में बेहतर प्रदर्शन सुनिश्चित करने और खेल महासंघों से जुड़े विवादों एवं मुकदमों को कम करने के उद्देश्य से लाया गया है।
विधेयक के मुख्य प्रावधानों पर एक नजर:
- राष्ट्रीय खेल शासी निकाय: निम्नलिखित निकायों को उनके संबंधित मान्यता प्राप्त खेल संगठनों के लिए राष्ट्रीय खेल शासी निकाय के रूप में स्थापित किया जाएगा:
- राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (NOC): यह भारत में ओलंपिक खेलों के लिए एकमात्र शासी निकाय है।
- राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति (NPC): यह पैरालंपिक खेलों के लिए एकमात्र शासी निकाय है।
- अन्य निकाय: राष्ट्रीय खेल संघ (NSF), क्षेत्रीय खेल संघ (RSF) आदि।
- राष्ट्रीय खेल बोर्ड: इसे किसी भी खेल संगठन को राष्ट्रीय खेल शासी निकाय के रूप में मान्यता देने का अधिकार होगा (बॉक्स देखें)।
- राष्ट्रीय खेल चुनाव पैनल: यह राष्ट्रीय खेल शासी निकायों की कार्यकारी और एथलीट समितियों के लिए स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों की देखरेख करेगा।
- राष्ट्रीय खेल अधिकरण: इसमें एक अध्यक्ष (सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश या हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश) और खेल, लोक प्रशासन एवं विधि विशेषज्ञता वाले दो सदस्य शामिल होंगे।
- यह अपनी स्वयं की प्रक्रिया बनाएगा और खेल-संबंधी विवादों के शीघ्र समाधान को सुनिश्चित करेगा। इसका खर्च भारत की संचित निधि से वहन किया जाएगा।
- अधिकरण के दायरे में आने वाले मामलों पर सिविल कोर्ट्स का अधिकार-क्षेत्र नहीं होगा।
- आचार संहिता: प्रत्येक राष्ट्रीय खेल शासी निकाय को अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप एक आचार संहिता बनानी होगी।
- सुरक्षित खेल नीति और शिकायत निवारण: इसका उद्देश्य महिला एवं नाबालिग एथलीट्स जैसे सुभेद्य समूहों की सुरक्षा सुनिश्चित करना होगा।
राष्ट्रीय खेल बोर्ड
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