सुर्ख़ियों में क्यों?
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने भगवद् गीता और नाट्यशास्त्र की पांडुलिपियों के संग्रह को अपने 'मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर' में शामिल किया है।
यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड (MOW) प्रोग्राम के बारे में

- शुरुआत: यह कार्यक्रम 1992 में शुरू किया गया था।
- उद्देश्य: दस्तावेज के रूप में उपलब्ध विरासत (Documentary heritage) के संरक्षण की सुविधा प्रदान करना (विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जो संघर्ष और/ या प्राकृतिक आपदा से प्रभावित हैं), इन्हें सभी के लिए सुलभ कराना, विश्व भर में इन विरासतों के महत्त्व के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना।
- गौरतलब है कि दस्तावेज के रूप में उपलब्ध विरासतें मानव जाति की धरोहर हैं। इनके माध्यम से हम अतीत में झांक सकते हैं, अपने वर्तमान जीवन को समृद्ध बना सकते हैं, और स्थायी स्मृतियों से प्राप्त साहस के साथ भविष्य की ओर देख सकते हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार समिति (IAC) यूनेस्को को संपूर्ण कार्यक्रम की योजना बनाने और कार्यान्वयन पर सलाह देने वाली मुख्य संस्था है।
- अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार समिति में 14 सदस्य होते हैं जो व्यक्तिगत क्षमता में कार्य करते हैं, और जिनकी नियुक्ति यूनेस्को के महानिदेशक द्वारा की जाती है।
- वर्तमान स्थिति: 1995 से अब तक "मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड" अंतर्राष्ट्रीय रजिस्टर में कुल 570 दस्तावेज़ी विरासतों को सूचीबद्ध किया गया है।
- 2025 में "मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड" अंतर्राष्ट्रीय रजिस्टर में 74 नई दस्तावेज़ी विरासतों को सूचीबद्ध किया गया है।
- अंतर्राष्ट्रीय रजिस्टर के अलावा, UNESCO ने 100 से अधिक देशों में 4 क्षेत्रीय रजिस्टर और राष्ट्रीय "मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड" समितियों की स्थापना करने में सहायता की है।
भगवद् गीता के बारे में
- परिचय: इसकी रचना महर्षि वेदव्यास ने की थी। इसमें कुल 700 श्लोक और 18 अध्याय हैं। यह महाकाव्य 'महाभारत' के भीष्म पर्व (अध्याय 23-40) का हिस्सा है।
- भगवद् गीता प्राचीन भारतीय बौद्धिक परंपरा का एक केंद्रीय ग्रंथ है, जो निरंतर और संचयी रूप में अलग-अलग दर्शनों— जैसे वैदिक, बौद्ध, जैन और चार्वाक — का समन्वय करता है।
- इसे कुरुक्षेत्र के युद्ध क्षेत्र में भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच संवाद के रूप में संकलित किया गया है। युद्ध के पहले अर्जुन मोह और विषाद से ग्रस्त हो गया था। तब श्रीकृष्ण उन्हें कर्तव्य पथ का उपदेश देते हैं।
- कुरुक्षेत्र के युद्ध में भगवान कृष्ण अर्जुन से कर्म के फल की आसक्ति (निष्काम कर्म) के बिना अपने कर्तव्य का पालन करने को कहते हैं, चाहे वह फल अच्छा हो या बुरा हो।
- गीता में जीवन पथ के तीन मार्ग बताए गए हैं: कर्म मार्ग, ज्ञान मार्ग, भक्ति मार्ग। ये तीनों मार्ग आध्यात्मिक साधना के तरीके हैं, जो व्यक्ति के जीवन और आत्मिक उन्नति के लिए बताए गए हैं।
- भगवद्-गीता के बारे में अन्य मुख्य तथ्य:
- गीता में भक्ति की महत्ता बताई गई है।
- असम में वैष्णव संप्रदाय के संस्थापक शंकरदेव की शिक्षाएं भगवद गीता से प्रेरित थीं।

नाट्यशास्त्र के बारे में
- नाट्यशास्त्र की रचना भरतमुनि ने की थी। इसे दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व के आस-पास संहिताबद्ध किया गया था।
- नाट्यशास्त्र, नाट्यवेद का सार है। यह निष्पादन कला यानी परफार्मिंग आर्ट्स का मौखिक ज्ञानकोष है, जिसमें 36,000 श्लोक हैं। इसे गन्धर्ववेद के नाम से जाना जाता है।
- नाट्योत्पत्ति का अर्थ है "निष्पादन कला का उदय"। यह नाट्यशास्त्र की उत्पत्ति की कथा को संदर्भित करता है।
- इसमें कला की उत्पत्ति और पृथ्वी पर इसके आगमन का पौराणिक विवरण है।
- कथा में बताया गया है कि नाट्यशास्त्र का निर्माण सभी 4 वेदों- पाठ्य या सस्वर पाठ (ऋग्वेद से), संगीत (सामवेद से), अभिनय या प्रदर्शन (यजुर्वेद से) और रस या भावनाएं (अथर्ववेद से)- के सार से हुआ है।
- इसलिए, नाट्यशास्त्र को अक्सर 'पंचम वेद' भी कहा जाता है।
- इसमें नाट्य, अभिनय, रस, भाव और संगीत आदि को परिभाषित करने वाले नियमों का विस्तृत विवरण दिया गया है।
- उद्देश्य: दर्शकों में रस (भावनात्मक आनंद) की अनुभूति कराना। इसे अनुभूति रंगमंच और रंगमंच-सज्जा से जुड़े हर व्यक्ति को स्पष्ट निर्देश देकर उत्पन्न किया जाता है।
- यह भारत में वाद्य यंत्रों के वर्गीकरण पर उपलब्ध सबसे पहला ग्रंथ माना जाता है।
यूनेस्को मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में भारत की अन्य महत्वपूर्ण प्रविष्टियाँ | |
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