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एक अध्ययन से खुलासा हुआ है कि लक्षद्वीप में प्रवाल आवरण में पिछले 24 वर्षों में 50% की कमी आई है | Current Affairs | Vision IAS
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एक अध्ययन से खुलासा हुआ है कि लक्षद्वीप में प्रवाल आवरण में पिछले 24 वर्षों में 50% की कमी आई है

Posted 24 Jul 2025

Updated 25 Jul 2025

12 min read

इस अध्ययन में लक्षद्वीप द्वीपसमूह के प्रमुख द्वीपों जैसे- अगत्ती, कदमत और कवरत्ती में प्रवालों की संधारणीयता को लेकर चिंता जताई गई है।

अध्ययन के प्रमुख बिंदुओं पर एक नजर 

  • रिकवर होने की दर में कमी: 24 सालों में हुई इस 50% की कमी का मुख्य कारण प्रत्येक प्रवाल विरंजन (ब्लीचिंग) की घटना के बाद प्रवालों के ठीक होने की दर में कमी आना है।
  • प्रमुख प्रभाव: 1998, 2010 और 2016 में हुई तीन बड़ी अल नीनो दक्षिणी दोलन (ENSO) घटनाओं के दौरान प्रवालों में गिरावट देखी गई थी। हालांकि, इसके बाद कुछ हद तक उनकी रिकवरी भी हुई थी।

प्रवालों के घटने के कारण

  • समुद्री हीटवेव्स के कारण तापमान में वृद्धि: जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्री हीटवेव्स की आवृत्ति बढ़ रही है। इससे समुद्री जल के तापमान में वृद्धि हो रही है। यह प्रवालों के स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है।
  • अपवाह और प्रदूषण: जब भारी बारिश होती है, तो बारिश का जल जमीन से होकर समुद्र में बहता है। इस जल में गंदगी, रासायनिक पदार्थ और प्रदूषण भी होता है, जिससे समुद्री जल का रासायनिक गुण बदल जाता है और समुद्री जल प्रदूषित हो जाता है। इसके कारण तट के निकट मौजूद प्रवालों में विरंजन की घटना शुरू हो जाती है।
  • अत्यधिक कम ज्वार: अत्यधिक कम ज्वार के दौरान वायु के संपर्क में आने से उथले जल के प्रवालों में विरंजन घटना हो सकती है।
  • अन्य कारण: सूर्य के प्रकाश का अधिक संपर्क, अल नीनो, समुद्री धाराओं में बदलाव, तलछट जमा होना आदि।

प्रवालों का महत्त्व

  • समुद्र की सफाई में योगदान: ये स्पॉन्ज जैसे महत्वपूर्ण जीवों को आश्रय प्रदान करते हैं, जो महासागरों से विषाक्त और दूषित पदार्थों को छानने का काम करते हैं।
  • विविध पारिस्थितिकी-तंत्रों का समर्थन: दुनिया के महासागरों के केवल 1% हिस्से पर प्रवाल पाए जाते हैं, लेकिन ये दुनिया के कम-से-कम 25% समुद्री जीवों को आवास प्रदान करते हैं।
  • अन्य लाभ: पर्यटन और मनोरंजन, मत्स्यन, ऑक्सीजन के स्रोत, दवा बनाने में उपयोगी आदि।

भारत में प्रवाल भित्तियां

  • भारत में मुख्य रूप से चार प्रमुख क्षेत्रों में प्रवाल भित्तियां पाई जाती हैं:
    • अंडमान और निकोबार द्वीप समूह: भारत में सर्वाधिक प्रवाल भित्तियां यहीं पाई जाती हैं। 
    • लक्षद्वीप: निर्जन द्वीपों पर एटोल्स पाए जाते हैं।
    • कच्छ की खाड़ी: यह गुजरात में स्थित है।
    • मन्नार की खाड़ी और पाक खाड़ी: यहां मन्नार की खाड़ी मरीन नेशनल पार्क भी स्थित है।
  • इसके अलावा, मालवन (महाराष्ट्र) में भी छोटे पैमाने पर प्रवाल पाए जाते हैं।

 

 

 

  • Tags :
  • Corals
  • Corals in India
  • Coral Ecosystems
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