NCP, 2025 सहकारिता क्षेत्रक के लिए 2002 के बाद से जारी की गई दूसरी नीति है। इसका लक्ष्य 'सहकार से समृद्धि' लाना है।
राष्ट्रीय सहकारिता नीति (NCP), 2025 के बारे में
- लक्ष्य: आने वाली पीढ़ियों के लिए सहकारिता को देश के विकास का एक साधन बनाना।
- मिशन: पेशेवर, पारदर्शी, तकनीक-आधारित, जवाबदेह, आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर और सफल सहकारी इकाइयों को बढ़ावा देना।
मुख्य उद्देश्य

- प्रत्येक गांव में कम-से-कम एक सहकारिता इकाई की स्थापना करना तथा हर तहसील में पांच 'मॉडल सहकारी गांव’ का निर्माण करना।
- 2034 तक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में सहकारिता क्षेत्रक का योगदान तीन गुना तक बढ़ाना।
- सहकारी समितियों की संख्या में मौजूदा 8.3 लाख से 30% की वृद्धि करना।
- पर्यटन, बीमा, टैक्सी सेवाएं, हरित ऊर्जा जैसे नए क्षेत्रकों में सहकारिता का विस्तार करना।
- नीति को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए हर 10 साल में कानूनी सुधार करना।
- एक 'क्लस्टर और निगरानी प्रणाली' बनाना।
सहकारिता क्षेत्रक का महत्त्व:
- ग्रामीण विकास: सहकारी समितियों से ग्रामीण जल आपूर्ति का संचालन और रखरखाव करने में मदद मिलती है।
- किसानों का विकास: ये समितियां प्रधान मंत्री किसान समृद्धि केंद्र (PMKSK) के रूप में कार्य करती हैं।
- अन्य: जन औषधि केंद्र व सामान्य सेवा केंद्र (CSC) के रूप में कार्य करती हैं। पीएम-कुसुम के साथ समन्वय स्थापित करती हैं तथा महिला कल्याण, ऋण व बैंकिंग, आवासन आदि को बढ़ावा देती हैं।