संसदीय पैनल ने IBC के कामकाज में प्रणालीगत चुनौतियों को रेखांकित किया | Current Affairs | Vision IAS
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    संसदीय पैनल ने IBC के कामकाज में प्रणालीगत चुनौतियों को रेखांकित किया

    Posted 03 Dec 2025

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    Article Summary

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    स्थायी समिति ने आईबीसी में कम वसूली दर, प्रक्रियागत देरी, परिसंपत्ति मूल्यांकन के मुद्दों और क्षेत्राधिकार संबंधी विवादों पर प्रकाश डाला है, तथा क्षमता निर्माण, प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने और मूल्य प्राप्ति में सुधार की सिफारिश की है।

    वित्त संबंधी स्थायी समिति ने अपनी 28वीं रिपोर्ट में दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (IBC) के तहत कुल स्वीकृत दावों की तुलना में कम वसूली दर पर चिंता व्यक्त की।

    IBC के कारण सफलताएं और व्यवहारजन्य बदलाव

    • समाधान (Resolution) के बाद पुनरुद्धार: समाधान के उपरांत, कंपनियों ने महत्वपूर्ण परिचालनात्मक और वित्तीय सुधार प्रदर्शित किए हैं। इसमें समाधान के पश्चात के तीन वर्षों में औसत बिक्री में 76% की वृद्धि हुई है और कुल परिसंपत्तियों में लगभग 50% की बढ़ोतरी हुई है।
    • बेहतर ऋण संस्कृति: ऋण खातों के "अतिदेय (Overdue)" रहने के औसत दिनों की संख्या में पर्याप्त कमी आई है। IBC के लागू होने से पहले औसत दिन 248-344 तक होते थे। IBC के लागू होने के बाद यह संख्या 30-87 दिन रह गई है।
    • संहिता से बाहर ऋण निपटान: IBC के निरोधात्मक प्रभाव के कारण मामलों के औपचारिक प्रस्तुतिकरण से पहले ही महत्वपूर्ण ऋणों का निपटान हुआ है।

    IBC की प्रभावशीलता में बाधा डालने वाली मुख्य चुनौतियां

    • समय सीमा का उल्लंघन: ऐसा NCLT/ NCLAT में न्यायिक/ कर्मचारी पदों के रिक्त होने, न्यायनिर्णायक प्राधिकारियों के साथ प्रक्रियात्मक अस्पष्टताओं आदि के कारण हो रहा है।
      • NCLT: राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण 
      • NCLAT: राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय अधिकरण। 
    • कम वसूली और अत्यधिक 'हेयरकट': ऐसा परिसंपत्तियों के मूल्य में क्षरण के कारण हो रहा है। ऐसा इसलिए, क्योंकि कंपनियां संकट शुरू होने के बहुत बाद IBC प्रक्रिया में प्रवेश करती हैं। इसके अतिरिक्त, मूल्यांकन प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी भी अन्य कारण हैं।
    • क्षेत्राधिकार संबंधी संघर्ष: IBC और धन शोधन निवारण अधिनियम (2002) के बीच संघर्ष की स्थिति बनी रहती है। मुकदमेबाज अक्सर स्थगन (stay) या निषेधाज्ञा (injunction) प्राप्त करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 226/ 227 के तहत उच्च न्यायालयों की शरण लेते हैं, आदि।

    रिपोर्ट में की गई महत्वपूर्ण सिफारिशें

    • संस्थागत क्षमता में वृद्धि: अतिरिक्त NCLT पीठों के निर्माण में तत्काल तेजी लानी चाहिए; IBC के लिए समर्पित "न्यायनिर्णायक प्राधिकारी नियम" को अधिसूचित करना चाहिए आदि।
    • प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना: "सत्य के एकल स्रोत" के रूप में सेवा करने के लिए एकीकृत प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म (iPIE) के विकास और कार्यान्वयन में तेजी लानी चाहिए; तुच्छ मुकदमों को रोकने के लिए ‘असफल समाधान’ आवेदकों हेतु अग्रिम सीमा जमा (upfront threshold deposit) को अनिवार्य करना चाहिए आदि।
    • मूल्य वसूली को बढ़ाना: परिसंपत्ति मूल्यांकन के लिए परिसमापन मूल्य (liquidation value) की बजाय उद्यम मूल्य पर विचार करना चाहिए; अधिक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक आउटरीच एवं पारदर्शी ई-नीलामी प्लेटफॉर्म्स को अपनाना चाहिए आदि।
    • Tags :
    • Insolvency and Bankruptcy Code
    • NCLAT
    • Standing Committee on Finance
    • IBC’
    • 28th Report
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