इस रणनीति को वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद की उप-समिति ने अनुमोदित किया है। यह रणनीति संपूर्ण देश में विश्वसनीय रूप से सुदूर क्षेत्रों तक वित्तीय पहुंच एवं वित्तीय सेवाओं के प्रभावी उपयोग को बेहतर बनाने पर केंद्रित है।
वित्तीय समावेशन के लिए राष्ट्रीय रणनीति (NSFI): 2025-30 के बारे में:
- यह भारत में वित्तीय समावेशन को बेहतर बनाने के लिए पांच प्रमुख लक्ष्यों (पंच-ज्योति) की रूपरेखा प्रस्तुत करती है। इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए 47 विशिष्ट कार्य बिंदुओं का समर्थन प्राप्त है।
- पंच-ज्योति:
- परिवारों एवं सूक्ष्म उद्यमों के लिए वित्तीय सुरक्षा और संरक्षा प्राप्त करने हेतु न्यायसंगत, उपयुक्त तथा किफायती वित्तीय सेवाओं की उपलब्धता व उपयोग में सुधार करना।
- महिला-नेतृत्व वाले वित्तीय समावेशन के लिए लैंगिक-संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाना। साथ ही, परिवारों को वित्तीय रूप से सशक्त बनाने तथा विशेष रूप से सेवाओं से वंचित व सुभेद्य वर्गों के लिए अलग-अलग तरीके की रणनीतियां बनाना।
- आजीविका, कौशल विकास और समर्थन तंत्र एवं इसके संपर्कों का वित्तीय समावेशन के साथ समन्वय सुनिश्चित करना।
- वित्तीय अनुशासन को बढ़ावा देने के लिए एक उपकरण के रूप में वित्तीय शिक्षा का लाभ उठाना।
- ग्राहक संरक्षण और शिकायत निवारण उपायों की गुणवत्ता को मजबूत करना।
वित्तीय समावेशन (FI) और भारत में इसकी वृद्धि:
- विश्व बैंक के अनुसार वित्तीय समावेशन का अर्थ है कि व्यक्तियों और व्यवसायों को ऐसे उपयोगी एवं किफायती वित्तीय उत्पादों व सेवाओं तक पहुंच प्राप्त हो, जो उनकी आवश्यकताओं को जिम्मेदारीपूर्वक और सतत रूप से पूरा कर सकें।
- RBI FI-सूचकांक 2021 से 24.3% बढ़कर 2025 में 67 हो गया है।
- FI-सूचकांक बैंकिंग, निवेश, बीमा, पेंशन जैसे विभिन्न क्षेत्रकों का प्रतिनिधित्व करते हुए पूरे देश में वित्तीय समावेशन को दर्शाता है।
वित्तीय समावेशन के लिए अन्य सरकारी पहलें:
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