सुर्ख़ियों में क्यों?
पंचायती राज मंत्रालय द्वारा गठित समिति ने पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) में प्रॉक्सी भागीदारी को समाप्त करने के तरीके सुझाए हैं।
अन्य संबंधित तथ्य
- समिति ने "पंचायती राज प्रणाली और संस्थाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व और भूमिकाओं का रूपांतरण: प्रॉक्सी भागीदारी को समाप्त करना (Transforming Women's Representation and Roles in Panchayati Raj Systems and Institutions: Eliminating Efforts for Proxy Participation)" शीर्षक से अपनी रिपोर्ट जारी की है।
- गौरतलब है कि मंडोना ग्रामीण विकास फाउंडेशन बनाम भारत सरकार (2023) मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) में प्रॉक्सी भागीदारी की जांच करने के लिए एक समिति गठित करने का आदेश दिया था।
पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं का आरक्षण
- संवैधानिक प्रावधान: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम (1992) के तहत त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली स्थापित की गई और पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटों का आरक्षण सुनिश्चित किया गया है।
- अभी तक 21 राज्यों ने आरक्षण की इस सीमा को 33% से बढ़ाकर 50% कर दिया है। बिहार पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण देने वाला पहला राज्य था।
- वर्तमान प्रतिनिधित्व: PRIs में निर्वाचित प्रतिनिधियों में 46.6% महिलाएं हैं।
- प्रॉक्सी प्रतिनिधित्व का मुद्दा: कई निर्वाचित महिलाएं केवल प्रतीकात्मक रूप से काम करती हैं, जबकि पुरुष रिश्तेदार (जैसे- सरपंच पति) असल नियंत्रण रखते हैं।
- प्रॉक्सी प्रतिनिधित्व की प्रथा महिलाओं की नेतृत्व क्षमता पर संदेह पैदा करती है और आरक्षण के मूल उद्देश्य को कमजोर करती है।
समिति द्वारा प्रस्तावित प्रमुख सुधार:
- कठोर दंड: यदि पुरुष रिश्तेदार निर्वाचित महिला प्रतिनिधि के कार्यों में हस्तक्षेप करते हैं, तो उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान किया जाए। हालांकि, सजा की सटीक रूपरेखा अभी तय नहीं हुई है।
- मजबूत नीतियां: इसके तहत केरल की तरह जेंडर-स्पेसिफिक रिजर्वेशन, सार्वजनिक शपथ ग्रहण समारोह और महिला पंचायत संघ जैसे प्रयास किये जाने चाहिए।
- तकनीकी समाधान: तकनीकी समाधान: महिला निर्वाचित प्रतिनिधियों को वर्चुअल रियलिटी सिमुलेशन प्रशिक्षण और रियल टाइम में स्थानीय भाषाओं में कानूनी मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए AI-संचालित प्रश्नोत्तरी का उपयोग किया जाना चाहिए।
- जवाबदेही तंत्र: हेल्पलाइन, निगरानी समितियां तथा प्रॉक्सी प्रतिनिधित्व की सूचना देने वाले को पुरस्कार देने जैसे उपाय किए जाने चाहिए।
- नागरिकों को "पंचायत निर्णय पोर्टल" के माध्यम से निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों या प्रधानों की बैठकों और उनके द्वारा लिए गए निर्णयों को ट्रैक करने की सुविधा दी जानी चाहिए।