परिचय
हाल ही में, केरल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को रैगिंग की घटनाओं में वृद्धि को देखते हुए रैगिंग विरोधी कानून को सही ढंग से लागू करने के लिए नियम बनाने हेतु एक कार्य-समूह गठित करने का निर्देश दिया है।
रैगिंग क्या है?
आमतौर पर, रैगिंग कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में होती है। इसमें सीनियर छात्र, और कभी-कभी बाहरी लोग भी, नए या जूनियर छात्रों को शारीरिक, मानसिक या यौन रूप से परेशान करते हैं।

विभिन्न हितधारकों पर रैगिंग के प्रभाव
पीड़ितों (जूनियर छात्रों) पर | परिवारों पर |
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संस्थानों पर | रैगिंग करने वालों पर |
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रैगिंग के उन्मूलन में मौजूद चुनौतियां
- गहरी जड़ें जमा चुकी रैगिंग की सांस्कृतिक और पारंपरिक स्वीकृति: रैगिंग को एक परंपरा या रिवाज के रूप में माना जाता है, जो नवागंतुकों को अकादमिक जीवन और वास्तविक दुनिया की चुनौतियों के लिए तैयार करता है।
- जागरूकता की कमी: रैगिंग विरोधी हेल्पलाइन और शिकायत पोर्टल के बारे में नवागंतुक छात्रों में जागरूकता की कमी होती है।
- बदले की कार्यवाही का भय: पीड़ित छात्र अक्सर बदले की कार्रवाई, आगे उत्पीड़न होने या दूसरों द्वारा उपहास के डर से रैगिंग की घटनाओं की रिपोर्टिंग करने में संकोच करते हैं।
- सख्त प्रवर्तन की कमी: रैगिंग विरोधी कानून तो बने हैं, लेकिन उन्हें सख्ती से लागू नहीं किया जाता। इसके अलावा, पीड़ितों को ही यह साबित करना पड़ता है कि उनके साथ रैगिंग हुई है, जिससे अक्सर अपराधी बिना सजा के बच जाते हैं।
- संस्थानों की भूमिका: संस्थान अक्सर अपनी प्रतिष्ठा, रैंकिंग और फंडिंग को बनाए रखने के लिए रैगिंग विरोधी कानूनों को लागू करने को कम महत्त्व देते हैं।
भारत में रैगिंग विरोधी कानूनी फ्रेमवर्कराघवन समिति की सिफारिशें (2007)
रैगिंग पर अंकुश लगाने पर UGC के विनियम (2009)रैगिंग एक आपराधिक कृत्य है और UGC ने उच्चतर शिक्षण संस्थानों में रैगिंग के घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए विनियम तैयार किए हैं। ये विनियम सभी विश्वविद्यालयों/ संस्थानों के लिए अनिवार्य हैं।
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उठाए जा सकने वाले कदम
- साथियो का सहयोग: सामाजिक दबावों और रिश्तों में सामंजस्य बिठाने में युवाओं की मदद करने के लिए स्टूडेंट मेंटर्स, एक दूसरे के साथ सहयोग करने और जीवन-कौशल संबंधी शिक्षा को कॉलेज में शुरू किया जाना चाहिए।
- संस्थान की प्रतिष्ठा की तुलना में छात्र की सुरक्षा को तरजीह देना: संस्थानों द्वारा रैगिंग की घटनाओं की रिपोर्टिंग को छात्र सुरक्षा और संस्थागत सत्यनिष्ठा के प्रति प्रतिबद्धता के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि संस्थानों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाले कृत्य के रूप में।
- रैगिंग विरोधी उपायों पर सुप्रीम कोर्ट के 2009 के निर्देशों का पालन करना चाहिए:
- कॉन्टैक्ट डिटेल को प्रदर्शित करना: संस्थानों को रैगिंग रोधी समितियों के नोडल अधिकारियों के ई-मेल और कॉन्टैक्ट डिटेल प्रमुखता से प्रदर्शित करने चाहिए।
- माता-पिता/ अभिभावकों को सूचित करना: संस्थानों को वार्षिक रूप से माता-पिता/ अभिभावकों को रैगिंग विरोधी विनियमों और उनके कानूनी परिणामों के बारे में सूचित करना चाहिए।
- CCTV स्थापित करना: रैगिंग की संभावना वाले स्थानों की पहचान करने और तुरंत कार्रवाई करने के लिए CCTV कैमरे स्थापित करने चाहिए।
- औचक निरीक्षण करना: रैगिंग की घटनाओं को रोकने के लिए नियमित रूप से छात्रावासों, स्टूडेंट एकोमोडेशन, कैंटीन, मनोरंजन क्षेत्रों, विश्राम कक्षों, बस स्टॉप और अन्य प्रमुख स्थानों का निरीक्षण करना चाहिए।
केस स्टडी:हाल ही में, राज्य के एक प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज में रैगिंग की एक परेशान करने वाली घटना देखी गई। प्रथम वर्ष के छात्र, राहुल का सीनियर छात्रों के एक समूह द्वारा गंभीर शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किया गया। इसमें मौखिक दुर्व्यवहार, जबरन शारीरिक व्यायाम और अपमानजनक कृत्य शामिल थे, जिससे राहुल को काफी भावनात्मक आघात पहुंचा और उसके शैक्षणिक प्रदर्शन में गिरावट आई। कॉलेज में रैगिंग विरोधी समिति और रैगिंग के खिलाफ स्पष्ट दिशा-निर्देश होने के बावजूद, यह घटना हुई, और इस समस्या का समाधान करने के शुरुआती प्रयासों को कुछ शिक्षक के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा, जो कॉलेज की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचने के डर से स्थिति की गंभीरता को कम करके आंका रहे थे। राहुल के माता-पिता, अपने बेटे की हित के बारे में चिंतित हैं, उन्होंने कॉलेज प्रशासन से संपर्क किया है और मामले को मीडिया व कानूनी अधिकारियों तक ले जाने की धमकी दी है। कॉलेज की रैगिंग विरोधी समिति के नव नियुक्त प्रमुख के रूप में, आपको इस स्थिति को संभालने का काम सौंपा गया है। आप सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों, राघवन समिति की सिफारिशों और रैगिंग से संबंधित UGC विनियमों से अवगत हैं। हालांकि, आप कुछ वर्गों में रैगिंग की गहरी जड़ों वाली सांस्कृतिक स्वीकृति और सख्त प्रवर्तन सुनिश्चित करने में चुनौतियों को भी पहचानते हैं। प्रश्न: a) इस मामले में शामिल नैतिक दुविधाओं की पहचान कीजिए। रैगिंग की समस्या का समाधान करने में संस्थान, शिक्षकों, सीनियर छात्रों और पीड़ित की जिम्मेदारियों व दायित्वों पर चर्चा कीजिए। b) राहुल की सुरक्षा और हित सुनिश्चित करते हुए, राहुल से संबंधित स्थिति का तत्काल समाधान करने के लिए आप क्या कदम उठाएंगे? कॉलेज में समावेशन और सम्मान की संस्कृति को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, भविष्य में रैगिंग की घटनाओं को रोकने के लिए आपके द्वारा किए जाने वाले उपायों की विवेचना कीजिए। |