मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (SOIL HEALTH CARD SCHEME: SHCS) | Current Affairs | Vision IAS
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मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (SOIL HEALTH CARD SCHEME: SHCS)

Posted 10 Apr 2025

Updated 11 Apr 2025

29 min read

सुर्ख़ियों में क्यों?

हाल ही में, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के लागू होने के 10 वर्ष पूरे हुए हैं। यह योजना 2015 में शुरू की गई थी।  

अन्य संबंधित तथ्य 

  • इस योजना को देश के सभी किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करने में राज्य सरकारों की मदद करने हेतु शुरू किया गया है।
  • 2022-23 से, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (SHCS) को प्रधान मंत्री-राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) कैफेटेरिया योजना के साथ एकीकृत किया गया है। इसे RKVY के एक घटक के रूप में 'मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता' नाम दिया गया है

पीएम राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) कैफेटेरिया योजना

  • प्रारंभ: 2007-08 में।
  • यह भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की एक प्रमुख योजना है
  • उद्देश्य: कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रकों का अधिक समावेशी एवं एकीकृत विकास सुनिश्चित करने हेतु राज्यों को व्यापक कृषि विकास योजनाएं तैयार करने के लिए प्रोत्साहन देना।
  • घटक: मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन, वर्षा-सिंचित क्षेत्र विकास, कृषि वानिकी, परम्परागत कृषि विकास योजना, फसल अवशेष प्रबंधन सहित कृषि मशीनीकरण, प्रति बूंद अधिक फसल (पर ड्रॉप मोर क्रॉप), फसल विविधीकरण कार्यक्रम, RKVY विस्तृत परियोजना रिपोर्ट घटक और एक्सेलेरेटर फंड फॉर एग्री स्टार्टअप्स।

 

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के बारे में

  • कार्यान्वयन मंत्रालय: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय।
  • उद्देश्य:
    • सभी किसानों को प्रत्येक तीन वर्ष में मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करना
    • पोषक तत्वों के प्रभावी उपयोग को बढ़ाने के लिए मृदा परीक्षण के आधार पर पोषक तत्वों का उपयोग करना और उन्हें बढ़ावा देना।
    • किसी विशेष मृदा के प्रकार की पहचान करना तथा उसे उर्वर बनाने के तरीके बताना।
  • योजना के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर:
    • मृदा स्वास्थ्य कार्ड: यह मृदा में मौजूद प्रमुख पोषक तत्वों की स्थिति के बारे में किसानों को जानकारी प्रदान करता है। साथ ही, इसके तहत मृदा स्वास्थ्य में सुधार यानी मृदा को उर्वर बनाने के लिए पोषक तत्वों की उचित मात्रा से संबंधित सुझाव भी दिए जाते हैं।
      • इस कार्ड में 12 मापदंडों के आधार पर मृदा स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में बताया जाता है (इन्फोग्राफिक देखिए)।
    • मृदा परीक्षण के लिए ग्राम स्तर पर मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना की गई है।
    • मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल, देश भर में सभी प्रमुख भाषाओं और 5 बोलियों में एक समान एवं एक ही प्रारूप में मृदा स्वास्थ्य कार्ड तैयार करने की सुविधा प्रदान करता है।
  • योजना का क्रियान्वयन: संबंधित राज्य/केंद्र प्रशासित प्रदेशों के कृषि विभाग द्वारा।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग: 
    • पोर्टल को भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) के साथ एकीकृत किया गया है। इससे मृदा परीक्षण के परिणामों को मानचित्र पर दर्शाया जाता है।  
    • एक मोबाइल ऐप लॉन्च किया गया है, जो किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्राप्त करना  सुविधाजनक, प्रभावी और पारदर्शी बनाता है।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की प्रमुख उपलब्धियां

  • कवरेज: फरवरी 2025 तक 24.74 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए जा चुके हैं। 
  • बढ़ता कवरेज: किसानों को 2020-21 में 16 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए थे। यह संख्या 2024-25 में बढ़कर 53 लाख हो गई।
  • मैपिंग: भारतीय मृदा एवं भूमि उपयोग सर्वेक्षण विभाग ने 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 1,987 ग्राम-स्तरीय मृदा उर्वरता मानचित्र तैयार किए हैं।
  • प्रयोगशालाएं: 8272 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं।
  • वित्त-पोषण: अलग-अलग राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 1706.18 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की कमियां

  • मृदा परीक्षण की गुणवत्ता और सटीकता को लेकर चिंताएं: कई बार मृदा के सही तरीके से सैंपल एकत्र नहीं किए जाते हैं। इससे मृदा परीक्षण के गलत नतीजे सामने आते हैं
    • प्रत्येक क्षेत्र की मृदा और प्रत्येक फसल के पोषक तत्वों की आवश्यकताएं अलग-अलग होती हैं। लेकिन कई बार मृदा स्वास्थ्य कार्ड कई क्षेत्रों और फसलों के लिए एक जैसी ही सिफारिशें कर देता है। इससे बेहतर परिणाम प्राप्त नहीं होते हैं। 
  • समझने में कठिनाई: कई किसान मृदा स्वास्थ्य कार्ड में दिए गए विवरण को समझने में असमर्थ होते हैं, इसलिए दिए गए सुझावों का पालन नहीं कर पाते हैं।
  • मृदा के कई गुणों एवं सूक्ष्म-जैविक तत्वों की उपस्थिति के बारे में जानकारी नहीं देना: मृदा के घटक, जल धारण क्षमता तथा जल की आवश्यकता एवं मृदा में उपस्थित जीवाणुओं जैसे घटकों के बारे में जानकारी नहीं देना।
  • अन्य चिंताएं: मृदा के परीक्षण के लिए पर्याप्त अवसंरचना की कमी, गांवों में मृदा स्वास्थ्य कार्ड में सुझाए गए उर्वरकों और जैव-उर्वरकों का आसानी से उपलब्ध नहीं होना, आदि।

आगे की राह 

  • मृदा के सैंपल्स को एकत्रित करना और परीक्षण करना: अलग-अलग देशों और राज्यों में मृदा के परीक्षण के तरीकों से जानकारी लेकर उत्कृष्ट तरीकों को अपनाना चाहिए।
  • प्रशिक्षण एवं विकास: मृदा की स्थिति का परीक्षण करना विशेषज्ञता वाला कार्य है और इसके लिए कौशल आवश्यक होता है। इन तथ्यों को ध्यान में रखते उपयुक्त प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए और मृदा के सैंपल्स एकत्रित करने हेतु आसानी से उपयोग किए जाने वाले टूल्स विकसित किए जाने चाहिए।
  • आधुनिक प्रयोगशालाएं: मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं प्रत्यक्ष स्तर पर इंडक्टिवली कपल्ड प्लाज्मा एटॉमिक एमिशन स्पेक्ट्रोमेट्री (ICP-AES) से लैस होनी चाहिए। यह तकनीक मृदा के स्वास्थ्य का आकलन करने के लिए पोषक तत्वों के घटक को मापने में उपयोगी होती है।
  • विशेष संस्था का गठन: मृदा स्वास्थ्य के प्रबंधन के लिए केन्द्रीय एवं राज्य स्तर पर विशेष संस्थाओं की स्थापना की जानी चाहिए। ये संस्थाएं यह भी सुनिश्चित करेंगी कि मृदा स्वास्थ्य पर प्रदान की जा रही सेवाएं बेहतर गुणवत्ता वाली हों।
  • अन्य सुझाव: 
    • कृषि विस्तार पदाधिकारियों और किसानों के बीच सहयोग बढ़ाना चाहिए,
    • मृदा स्वास्थ्य सूचकांक तैयार करना चाहिए,
    • उर्वरकों के विवेकपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने के लिए NPK उर्वरकों पर दी जा रही सब्सिडी में कटौती की जानी चाहिए।
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  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड
  • प्रधान मंत्री-राष्ट्रीय कृषि विकास योजना
  • मृदा परीक्षण
  • ICP-AES
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