गैर-संचारी रोग (NON-COMMUNICABLE DISEASES) | Current Affairs | Vision IAS
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गैर-संचारी रोग (NON-COMMUNICABLE DISEASES)

Posted 10 Apr 2025

Updated 14 Apr 2025

37 min read

सुर्ख़ियों में क्यों? 

हाल ही में, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने गहन गैर-संचारी रोग (NCD) स्क्रीनिंग अभियान शुरू किया है। 

NCDs पर स्क्रीन ड्राइव के बारे में 

  • उद्देश्य: 30 वर्ष या उससे अधिक आयु के सभी व्यक्तियों में व्याप्त NCDs और तीन अधिक प्रचलित कैंसर के मामले जैसे- मुँह का कैंसर, स्तन-कैंसर और सर्वाइकल-कैंसर के लिए 100% स्क्रीनिंग सुनिश्चित करना।
  • कार्यान्वयन: इसे राष्ट्रीय गैर-संचारी रोग रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रम (NP-NCD) के तहत आयुष्मान आरोग्य मंदिरों (AAMs) और देश भर में विभिन्न स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के माध्यम से लागू किया जाएगा।
    • आयुष्मान भारत पहल के अंतर्गत पहले से मौजूद ग्रामीण और शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों/ उप-केंद्रों को बेहतर करके आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्थापित किए गए हैं। 

राष्ट्रीय गैर-संचारी रोग रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रम (NP-NCD) के बारे में: 

  • पृष्ठभूमि: 
    • शुभारंभ: NP-NCD को पहले कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPCDCS) के रूप में जाना जाता था। NPCDCS को  11वीं पंचवर्षीय योजना के तहत NCDs से निपटने के लिए 21 राज्यों के 100 जिलों में 2010 में शुरू किया गया था। 
    • 12वीं पंचवर्षीय योजना: सभी जिलों को कवर करने के लिए चरणबद्ध विस्तार का प्रस्ताव किया गया था।  
    • 2013-14: इसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के अंतर्गत शामिल कर लिया गया। NHM एक प्रमुख केन्द्र प्रायोजित योजना है। इसका उद्देश्य किफायती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की सार्वभौमिक उपलब्धता सुनिश्चित करना है। 
  • NP-NCD के उद्देश्य: 
    • समुदाय, नागरिक समाज, मीडिया आदि की भागीदारी से व्यवहार संबंधी परिवर्तन के माध्यम से स्वास्थ्य को बेहतर करना। 
    • स्वास्थ्य देखभाल की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक स्तर पर स्क्रीनिंग, शीघ्र निदान, प्रबंधन और फॉलो-अप सुनिश्चित करना। 
    • एक समान ICT एप्लीकेशन के माध्यम से क्षमता निर्माण करना, दवाओं, उपकरणों और लॉजिस्टिक्स के लिए आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को मजबूत करना, निगरानी और मूल्यांकन करना। 

गैर संचारी रोगों (NCDs) के बारे में 

  • गैर-संचारी रोग ऐसे दीर्घकालिक (Chronic) रोग होते हैं, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलते है। 
  • NCDs के मुख्य प्रकारों में हृदय संबंधी रोग (जैसे- दिल का दौरा और स्ट्रोक), कैंसर, दीर्घकालिक श्वसन रोग (जैसे क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और अस्थमा) और मधुमेह शामिल हैं। 
    • जब ये रोग अस्वास्थ्यकर जीवन-शैली के कारण होते हैं, तो इन रोगों को लाइफस्टाइल डिजीज या जीवन-शैली जनित रोग भी कहा जाता है। 
  • ये आमतौर पर लंबे समय तक बने रहते हैं और इनके लिए आनुवंशिक (Genetic), कार्यिकीय (Physiological), पर्यावरणीय (Environmental) और व्यवहारगत (Behavioral) कारक उत्तरदायी होते हैं। 

गैर-संचारी रोगों की व्यापकता से संबंधित आंकड़े  

  • वैश्विक स्थिति:
    • गैर-संचारी रोग (NCDs) विश्व भर में मृत्यु और दिव्यांगता (disability) का प्रमुख कारण हैं। ये वैश्विक स्तर पर 74% मौतों और दिव्यांगता से बिताए गए तीन-चौथाई वर्षों के लिए उत्तरदायी हैं।
    • इसकी व्यापकता निम्न और मध्यम आय वाले देशों में सबसे अधिक है, और NCDs से होने वाली कुल मौतें में से 77 प्रतिशत इन्ही देशों से संबंधित हैं। 
  • वार्षिक रूप से होने वाली सभी असामयिक NCDs मौतों के 80% से अधिक के लिए जिम्मेदार चार प्रमुख जानलेवा कारकों में हृदय संबंधी रोग (17·9 मिलियन), कैंसर (9.3 मिलियन), दीर्घकालिक श्वसन रोग (4.1 मिलियन) और मधुमेह (2.0 मिलियन) शामिल हैं। 
  • भारत की स्थिति (कृपया इन्फोग्राफिक देखें)

NCDs का प्रभाव

  • बचपन में NCDs: बचपन में NCDs के कारण बच्चों की शिक्षा 1.2 से 4.2 वर्ष तक पिछड़ सकती है। 
  • इलाज पर अत्यधिक आउट-ऑफ-पॉकेट खर्च: कुल मिलाकर, भारत में कई NCD रोगियों के लिए सबसे बड़ा खर्च यात्रा संबंधी व्यय है। 
  • जीवन प्रत्याशा: शिक्षा के निम्न स्तर वाले 15 वर्ष की आयु वाले व्यक्तियों में जीवन प्रत्याशा सबसे कम होती है। क्योकि ऐसे व्यक्तियों में 30-69 वर्ष की आयु के दौरान गैर-संचारी रोगों (NCDs) के संपर्क में आने के कारण मृत्यु दर अधिक होती है।
  • आर्थिक प्रभाव: विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि भारत में NCDs का आर्थिक बोझ (जैसे- घरेलू स्वास्थ्य व्यय, बजट व्यय आदि) 2030 तक 280 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगा।
  • गरीबी: निम्न-आय वाले देशों में NCDs गरीबी उन्मूलन संबंधी प्रयासों को बाधित कर रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च बढ़ने से परिवारों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो सकती है। 
  • जेंडर आधारित प्रभाव: महिलाओं में गैर-संचारी रोगों की व्यापकता प्रति 1,000 पर 62 है, जबकि पुरुषों में यह प्रति 1,000 पर 36 है। 
  • अन्य प्रभाव: इससे मानव पूंजी में गिरावट, अस्वस्थ श्रमबल, राजस्व की हानि, आदि शामिल है। 

NCDs को नियंत्रित करने हेतु शुरू की गई पहलें 

  • वैश्विक स्तर पर 
    • सतत विकास हेतु एजेंडा 2030: SDG लक्ष्य 3.4 का लक्ष्य 2030 तक NCDs के कारण होने वाली असामयिक मृत्यु दर को एक-तिहाई तक कम करना है। 
    • WHO वैश्विक कार्य-योजना: विश्व स्वास्थ्य सभा ने NCDs की रोकथाम और नियंत्रण के लिए WHO वैश्विक कार्य योजना 2013-2020 को 2030 तक बढ़ा दिया है । 
    • वैश्विक NCDs कॉम्पैक्ट 2020-2030: इसे WHO द्वारा शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य NCDs की रोकथाम और नियंत्रण की दिशा में प्रगति को तेज करना है। 
  • भारत में: 
    • उपचार के लिए किफायती दवाएं और विश्वसनीय प्रत्यारोपण का उद्देश्य कैंसर, हृदय संबंधी बीमारियों आदि के उपचार के लिए किफायती दवाएं उपलब्ध कराना है। 
    • FSSAI द्वारा चलाया गया ईट राइट इंडिया अभियान स्वस्थ आहार वाली जीवन-शैली को बढ़ावा देता है। 
    • फिट इंडिया मूवमेंट: इसे 2019 में लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य भारत में शारीरिक रूप से सक्रिय जीवन-शैली को बढ़ावा देना और फिटनेस संबंधी गतिविधियों को दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाना है।
    • राष्ट्रीय मुख संबंधी स्वास्थ्य कार्यक्रम (NOHP): इसे मौजूदा स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में मुख संबंधी एकीकृत, व्यापक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिए शुरू किया गया था। 
    • राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP): इसे 1982 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य निकट भविष्य में सभी के लिए एक निश्चित स्तर की मानसिक स्वास्थ्य देखभाल सुविधा की उपलब्धता और पहुंच सुनिश्चित करना है।
    • वृद्धजनों के स्वास्थ्य देखभाल के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPHCE): इसे वृद्धजनों की स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए 2010 में शुरू किया गया था। 
    • राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (NTCP): इसे 2007-08 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य तंबाकू सेवन के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना, तंबाकू उत्पादों के उत्पादन और आपूर्ति को कम करना आदि है।

NCDs की रोकथाम और नियंत्रण के लिए सिफारिशें:

  • व्यापक दृष्टिकोण: NCDs के प्रभाव और व्यापकता को कम करने के लिए स्वास्थ्य, वित्त, परिवहन, शिक्षा और कृषि जैसे क्षेत्रकों के मध्य सहयोग महत्वपूर्ण है।
  • NCD प्रबंधन: NCDs के बेहतर प्रबंधन में निवेश करना महत्वपूर्ण है। इसमें अग्रिम हस्तक्षेप के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के जरिए रोग का पता लगाना, जांच करना, उपचार और उपशामक देखभाल शामिल है।
  • डिजिटल स्वास्थ्य हस्तक्षेप (DHIs): टेलीमेडिसिन, मोबाइल मैसेजिंग और चैटबॉट्स जैसे DHIs पर प्रति रोगी प्रति वर्ष केवल 0.24 अमेरिकी डॉलर खर्च करने से अगले दशक में 20 लाख से अधिक जीवन बचाए जा सकते हैं। 
  • राजकोषीय साधनों का उपयोग करना: इन रोगों के लिए जिम्मेदार जोखिम संबंधी कारकों को कम करने के लिए कर लगाने जैसे उपायों को अपनाया जा सकता है। जैसे कि तंबाकू, नमक और चीनी पर कर को बढ़ाना। 
  • NCDs के लिए जीवन के प्रत्येक चरण पर आधारित दृष्टिकोण को अपनाना: NCDs की रोकथाम और प्रबंधन के साथ-साथ श्रम बाजार, सामाजिक संरक्षण और दीर्घकालिक स्वास्थ्य देखभाल जैसे अन्य नीतिगत सुधारों को भी अपनाना चाहिए।  
  • नीतिगत प्रयास: दीर्घकालिक NCDs के उपचार के लिए मानव संसाधन और अवसंरचना की उपलब्धता में क्षेत्रीय असंतुलन के मुद्दे को हल करने के लिए सरकारी व्यय में वृद्धि करना, निजी क्षेत्रक द्वारा निवेश को प्रोत्साहित करना चाहिए। 
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  • NCDs
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  • सर्वाइकल-कैंसर
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