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जल जीवन मिशन (JAL JEEVAN MISSION: JJM)

10 Apr 2025
32 min

सुर्ख़ियों में क्यों?

केंद्रीय बजट 2025-26 में जल जीवन मिशन (JJM) को 2028 तक बढ़ाने की घोषणा की गई है। साथ ही, इस मिशन के बजट में भी वृद्धि की गई है।

जल जीवन मिशन (JJM) के बारे में

  • इसकी शुरुआत 2019 में राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (NRDWP) का पुनर्गठन और जल जीवन मिशन में उसका विलय करके की गई थी।
    • आरंभ में, इसका उद्देश्य 2024 तक अतिरिक्त 16 करोड़ ग्रामीण परिवारों को नल से जल उपलब्ध कराना था।
  • उद्देश्य: 'हर घर जल (HGJ)' यानी-
    • प्रत्येक ग्रामीण परिवार को कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन (FHTC) प्रदान करना; 
    • भारतीय मानक ब्यूरो के अनुसार निर्धारित गुणवत्ता की पर्याप्त मात्रा सुनिश्चित करना;
      • पर्याप्त मात्रा: न्यूनतम जलापूर्ति स्तर 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन (lpcd) है।
    • नियमित व दीर्घकालिक आधार पर जल की आपूर्ति सुनिश्चित करना; 
    • किफायती शुल्क पर जल उपलब्ध कराना; आदि।
  • नोडल मंत्रालय: जल शक्ति मंत्रालय के तहत पेयजल और स्वच्छता विभाग।
  • योजना का प्रकार: यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है। 
  • केंद्र और राज्य के बीच वित्त-पोषण पैटर्न:
    • हिमालयी राज्यों (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश) और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 90:10 के अनुपात में केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी;
    • केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 100% वित्त-पोषण केंद्र सरकार द्वारा।
    • शेष राज्यों के लिए केंद्र-राज्य वित्त-पोषण अनुपात 50:50 है।
  • योजना की मुख्य विशेषताएं:
    • जल आपूर्ति के लिए फोकस में बदलाव: "बस्तियों से घरों तक"।
    • यह एक विकेंद्रीकृत, मांग-संचालित और समुदाय-प्रबंधित जलापूर्ति योजना है।
      • योजना के तहत 'पब्लिक यूटिलिटी' की भूमिका की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत या उपयोगकर्ता समूहों से बनी उसकी उप-समिति को दी गई है।
      • प्रत्येक गांव में कम-से-कम 5 व्यक्तियों (प्राथमिक रूप से महिलाओं) को, ग्राम स्तर पर जल की गुणवत्ता की जांच करने हेतु फील्ड टेस्ट किट्स (FTKs) का उपयोग करने का प्रशिक्षण दिया जाता है।
    • जल जीवन सर्वेक्षण (JJS): इसे 2022 में शुरू किया गया था। इसके तहत JJM के उद्देश्यों को प्राप्त करने में जिलों और राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शन के आधार पर उनका मूल्यांकन किया जाता है।
    • महिलाओं और कमजोर वर्गों की केंद्रीय भूमिका: ग्राम जल और स्वच्छता समिति (VWSC)/ जल समितियों के न्यूनतम 50% सदस्य महिलाएं होनी चाहिए। साथ ही, इसमें समाज के कमजोर वर्गों का भी उचित प्रतिनिधित्व होना चाहिए।
    • तकनीकी हस्तक्षेप: JJM-IMIS (जल जीवन मिशन-एकीकृत प्रबंधन सूचना प्रणाली), रियल-टाइम डैशबोर्ड, परिसंपत्तियों की जियो-टैगिंग, जल आपूर्ति माप के लिए सेंसर-आधारित इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स (IoT) समाधान, JJM-जल गुणवत्ता प्रबंधन सूचना प्रणाली (JJM-WQMIS) आदि। 
    • जागरूकता पैदा करना और हितधारकों की भागीदारी: इसके अंतर्गत जल के लिए जन-आंदोलन चलाना तथा लोगों को नकद, वस्तु और/ या श्रम तथा स्वैच्छिक श्रम (श्रमदान) में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करना आदि शामिल हैं।

 

नोट: जल संरक्षण में सामुदायिक भागीदारी के महत्त्व के बारे में और अधिक जानकारी के लिए अक्टूबर, 2024 मासिक समसामयिकी का आर्टिकल 5.1. देखें।

 

प्रगति और उपलब्धियां

  • 11 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों ने अपने सभी ग्रामीण घरों (100%) में नल से जल कनेक्शन प्रदान किए हैं।
    • 'हर घर जल' यानी जिन राज्यों में 100% परिवारों को नल से जल प्राप्त हो रहा है- (राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश जल आपूर्ति विभाग द्वारा पुष्टि): मिजोरम, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, आदि।
    • 'हर घर जल' प्रमाणित राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश (HGJ Certified States/ UTs) (ग्राम सभा द्वारा पारित प्रस्ताव, जिसमें जल आपूर्ति विभाग के दावों का पता लगाया गया): गोवा, पुडुचेरी, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा नगर हवेली एवं दमन दीव, आदि।
  • मिशन के शुभारंभ के बाद से 75.89% कनेक्शन जोड़े गए हैं।
    • वर्ष 2019 में केवल 3.23 करोड़ (17%) ग्रामीण घरों में नल से जल कनेक्शन उपलब्ध था, जो फरवरी 2025 में बढ़कर 15.44 करोड़ (79.74%) हो गया।
  • 9,32,440 स्कूलों और 9,69,585 आंगनवाड़ी केंद्रों में नल से जल उपलब्ध कराया जा रहा है।

जल संसाधन पर संसदीय स्थायी समिति (2024-25) की रिपोर्ट के अनुसार, कार्यान्वयन में मौजूद चुनौतियां

  • फंड्स का कम उपयोग: चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आवंटित फंड्स का केवल 30.72% ही उपयोग किया गया है।
  • शत प्रतिशत 'हर घर जल (HGJ)' स्थिति प्राप्त करने की धीमी दर: केवल 11 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों ने HGJ स्थिति प्राप्त की है। शत प्रतिशत स्थिति प्राप्त न होने के पीछे निम्नलिखित कारण उत्तरदायी हैं-
    • बहु-ग्राम योजनाओं की लंबी जेस्टेशन अवधि;
    • सूखाग्रस्त और मरुस्थलीय क्षेत्रों में भू-जल स्रोतों की कमी व भूगर्भीय संदूषण;
    • पहाड़ी और वन क्षेत्रों में भू-भाग संबंधी चुनौतियां;
    • राज्यों में वित्तीय और तकनीकी क्षमताओं का अभाव;
    • नोडल एजेंसियों से मंजूरी में देरी; आदि।
  • व्यापक परिचालन एवं रखरखाव (Operation and Maintenance: O&M) नीति का अभाव: O&M नीतियों की जिम्मेदारी राज्यों पर छोड़ दी गई है, लेकिन अभी तक केवल 12 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों ने ग्रामीण जल अवसंरचना की संधारणीयता के लिए O&M नीतियां अधिसूचित की हैं।
    • राज्यों को संस्थागत एवं तकनीकी क्षमताओं की कमी, वित्तीय बाधाओं और समन्वय से जुड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाओं (Water Quality Testing Laboratories: WQTL) की कमी: वर्तमान में, लगभग 5.86 लाख गांवों के लिए केवल 2160 WQTLs मौजूद हैं।
    • इसके अलावा, सभी प्रयोगशालाओं को NABL (National Accreditation Board for Testing and Calibration Laboratories/ राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड) द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है।
  • जल संधारणीयता पर कम ध्यान: वर्तमान में, JJM के तहत जल के प्रमुख स्रोतों में 52% भू-जल और 48% सतही जल है।

जल संसाधन पर संसदीय स्थायी समिति (2024-25) की रिपोर्ट में की गई सिफारिशें

  • केंद्र-राज्य समन्वय के साथ समयबद्ध तरीके से JJM के कार्यान्वयन के लिए फंड्स के उपयोग में तेजी लाने का प्रयास करना चाहिए। 
  • कम प्रदर्शन करने वाले राज्यों को सक्रिय रूप से सहायता प्रदान की जानी चाहिए। 
  • राज्य जल और स्वच्छता मिशन की शीर्ष समिति में स्थानीय निर्वाचित प्रतिनिधियों को सम्मिलित किया जाना चाहिए। 
  • राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को जल्द-से-जल्द उनकी O&M नीति को अधिसूचित करने में सहायता प्रदान करनी चाहिए। 
  • ग्रामीण क्षेत्रों में WQTLs की संख्या बढ़ाने और मौजूदा प्रयोगशालाओं की NABL मान्यता के लिए समयबद्ध योजना तैयार करनी चाहिए। 
    • इसके अलावा, JJM के परिचालन दिशा-निर्देशों को संशोधित करके जल गुणवत्ता निगरानी और चौकसी (Water Quality Monitoring and Surveillance: WQM&S) के लिए राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को 2% आवंटन अनिवार्य किया जा सकता है। 
  • ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण के लिए योजनाएं/ रणनीतियां बनाई जानी चाहिए। 
    • उदाहरण के लिए- पारंपरिक जल निकायों का पुनरुद्धार और कायाकल्प; गाद निकालना; वर्षा जल संचयन एवं जनता को शिक्षित करना; आदि।

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