भोपाल प्रशासन ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 की धारा 163 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए सभी प्रकार की भीख मांगने संबंधी गतिविधियों, भिखारियों को दान देने और भिखारियों से कोई भी सामान खरीदने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
- BNSS की धारा 163 जिला मजिस्ट्रेट को मानव जीवन के लिए खतरा या लोक शांति में व्यवधान को रोकने के लिए किसी भी व्यक्ति को किसी नियत कार्य को न करने का निर्देश जारी करने का अधिकार देती है।
- जनगणना 2011 के अनुसार, भारत में 4.13 लाख भिखारी और आवारा लोग हैं।
भिक्षावृत्ति (भीख मांगने) से संबंधित प्रावधान

- संविधान का अनुच्छेद 23: यह मानव तस्करी, बेगारी एवं अन्य प्रकार के जबरन श्रम पर रोक लगाता है। इस प्रकार यह अप्रत्यक्ष रूप से भिक्षावृत्ति को भी प्रतिबंधित करता है।
- भिक्षावृत्ति के कार्य में लगे व्यक्तियों के व्यापक पुनर्वास के लिए केंद्रीय क्षेत्रक की योजना: यह SMILE (आजीविका और उद्यम के लिए हाशिए पर रहे व्यक्तियों हेतु सहायता) योजना के अंतर्गत एक उप-योजना है। SMILE सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा शुरू की गई है।
- राज्यों का विधान और परियोजनाएं: बॉम्बे प्रीवेंशन ऑफ बेगिंग एक्ट (BPBA), 1959; राजस्थान भिखारियों या निर्धन व्यक्तियों का पुनर्वास अधिनियम, 2012 आदि।
- न्यायिक निर्णय: हर्ष मंदर केस (2018) में दिल्ली हाई कोर्ट ने BPBA, 1959 के कुछ प्रावधानों को असंवैधानिक माना था, जो भीख मांगने को अपराध मानते थे।
आगे की राह (राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एडवाइजरी)
- भिखारियों के संरक्षण और पुनर्वास के लिए एक राष्ट्रीय नीति तैयार करनी चाहिए।
- जबरन भीख मंगवाने पर रोक लगाने के लिए मानव तस्करी विरोधी कानून को लागू करना चाहिए।
- भिखारियों की शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्थिति के आधार पर उनका राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करना चाहिए।
- अन्य: आश्रय गृहों में आवश्यक सेवाएं प्रदान करनी चाहिए, भिक्षावृत्ति में संलग्न संगठित सिंडिकेट को खत्म करना चाहिए, लक्षित कौशल विकास और रोजगार को बढ़ावा देना चाहिए आदि।