इस पायलट प्रोजेक्ट का 18 फरवरी को मध्य प्रदेश के रायसेन में उद्घाटन किया जाएगा।
"शहरी बस्तियों का राष्ट्रीय भू-स्थानिक ज्ञान-आधारित भूमि सर्वेक्षण (नक्शा/ NAKSHA)" के बारे में
- पृष्ठभूमि: इसे डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) के भाग के रूप में 2024 में घोषित किया गया था।
- उद्देश्य: भू-स्वामित्व के विश्वसनीय दस्तावेज़ीकरण को सुनिश्चित करने के लिए शहरी क्षेत्रों में भूमि रिकॉर्ड तैयार करना एवं उन्हें अपडेट करना।
- कवरेज: इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत अगले एक वर्ष में भारत के 26 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) के 152 शहरी स्थानीय निकायों में भूमि रिकॉर्ड को सुव्यवस्थित किया जाएगा।
- इस पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा।
- तकनीकी भागीदार: सर्वे ऑफ इंडिया। यह हवाई सर्वेक्षण करेगा और ऑर्थोरेक्टीफाइड इमेजरी प्रदान करेगा।
- मध्य प्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम (MPSEDC) द्वारा एंड-टू-एंड वेब-GIS प्लेटफॉर्म विकसित किया जाएगा।
- समन्वय: मुख्य सचिव के अधीन एक राज्य स्तरीय समिति (SLC) का गठन किया जाएगा।
भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण का महत्त्व
- नागरिकों को सशक्त बनाना: इससे वैध भू-स्वामित्व दस्तावेज प्रदान किए जाते हैं।
- विवादों को कम करना: कानूनी दस्तावेजीकरण समाज में विवादों को कम करता है। इससे न्यायपालिका पर बोझ कम होता है।
- प्रशासनिक दक्षता को बढ़ावा मिलना: डिजिटल दस्तावेज़ीकरण पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करता है। साथ ही, शहरी नियोजन को भी सुविधाजनक बनाता है।
- निवेश को बढ़ावा देना: इससे व्यवसाय करने में सुगमता को बढ़ावा मिलेगा और शहरों को विकास के केंद्र के रूप में विकसित करने में मदद मिलेगी।
DILRMP के बारे में
|