रिपोर्ट के अनुसार, भारत में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क है, जो लगभग 63.45 लाख किलोमीटर लंबा है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- राजमार्ग नेटवर्क: राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) नेटवर्क 2014 में 91,287 किमी. था। इसमें वर्तमान में 60% की वृद्धि हुई है, जो बढ़कर 1.46 लाख किमी. हो गया है।
- 2014-15 में राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण की गति 12.1 किमी/दिन थी। यह 2023-24 में 2.8 गुना बढ़कर 33.8 किमी/दिन हो गई है।
- पूंजीगत व्यय: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय का पूंजीगत व्यय 2013-14 से 5.7 गुना बढ़कर 2023-24 में 3.01 लाख करोड़ रुपये हो गया था।
- इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (InvIT): InvIT मोड के तहत 25,900 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं।
- राज्य सड़क परिवहन उपक्रम (SRTUs): 58 SRTUs ने लगभग 30,000 करोड़ रुपये का समेकित निवल घाटा दर्ज किया है, जो तीन वर्षों में घाटे में 68% की वृद्धि है।
- इसके लिए जिम्मेदार कारक हैं- बेड़े का कम उपयोग, ईंधन की बढ़ती लागत और मुफ्त में बस यात्रा से जुड़ी योजनाएं आदि।
- नवीन प्रौद्योगिकियां:
- कृषि अपशिष्ट से प्राप्त बायो-बाइंडर्स: कृषि अपशिष्ट से प्राप्त बायो-बाइंडर्स का उपयोग पेट्रोलियम-आधारित बाइंडर्स के विकल्प के रूप में बिटुमिन्स आधारित सड़क निर्माण में किया जा सकता है।
- अल्ट्रा-हाई-परफॉरमेंस फाइबर रिइंफोर्समेंट कंक्रीट (UHPFRC): इसका उपयोग पुल निर्माण में पुलों की मजबूती और उनकी भार वहन क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता है।
- ग्राफीन संशोधित डामर (GIPAVE): इसका उपयोग डामर निर्मित फुटपाथों की गुणवत्ता बढ़ाने और उनकी दीर्घकालिकता में सुधार करने के लिए किया जाता है।
- गैप-ग्रेडेड रबराइज्ड बिटुमेन (GGRB): यह बिटुमेन मिश्रण में रबड़ के कणों को शामिल करता है।
- अन्य सामग्रियां: जियो-सिंथेटिक मटेरियल जिसमें कॉयर/ जूट, स्टील व आयरन स्लैग, कॉपर स्लैग, जिंक स्लैग, बायो-बिटुमेन, बायो-सीमेंट, रीसायकल ग्लास एग्रीगेट, ग्राफीन एनहांस्ड कंक्रीट, सिलिका-फ्यूम आदि शामिल हैं।