यह कदम विकसित भारत के व्यापक उद्देश्यों के अनुरूप है। इससे ऊर्जा की विश्वसनीयता सुनिश्चित होगी और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटेगी।
परमाणु ऊर्जा मिशन की मुख्य विशेषताएं
- लक्ष्य: 2047 तक 100 गीगावाट (GW) परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल करना। वर्तमान क्षमता लगभग 8 GW है।
- स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMRs) पर फोकस: स्वदेशी SMRs विकसित करने के लिए अनुसंधान एवं विकास हेतु 20,000 करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे। साथ ही, 2033 तक पांच SMRs को चालू करने का लक्ष्य भी तय किया गया है।
- निजी भागीदारी को बढ़ावा देना: इसके लिए निम्नलिखित प्रमुख कानूनों में संशोधन किए जाएंगे:
- परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962: यह परमाणु ऊर्जा के विकास, नियंत्रण और उपयोग के लिए प्रावधान करता है। साथ ही, बुनियादी विनियामकीय फ्रेमवर्क भी प्रदान करता है।
- परमाणु क्षति के लिए सिविल दायित्व अधिनियम, 2010: यह अधिनियम परमाणु दुर्घटना के लिए संचालक को उत्तरदायी ठहराकर पीड़ितों के लिए शीघ्र मुआवजा सुनिश्चित करता है।
भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई पहलें
- क्षमता विस्तार: गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, हरियाणा, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में 10 रिएक्टर्स का निर्माण व उन्हें चालू करने का कार्य जारी है। इनकी कुल क्षमता लगभग 8 GW है।
- स्वदेशी उपलब्धियां: राजस्थान परमाणु विद्युत परियोजना के यूनिट-7 (RAPP-7) ने 2024 में क्रिटीकेलिटी के स्तर को हासिल कर लिया है। यह भारत के सबसे बड़े स्वदेशी रिएक्टर्स में से एक है।
- भारत स्मॉल रिएक्टर्स (BSRs): सरकार BSRs विकसित करके और निजी क्षेत्रक के साथ साझेदारी की संभावनाओं की तलाश करते हुए अपने परमाणु ऊर्जा क्षेत्रक का विस्तार कर रही है।
- भारत स्मॉल रिएक्टर्स (BSRs): ये 220 मेगावाट के प्रेशराइज्ड हैवी वाटर रिएक्टर्स (PHWRs) हैं। ये सुरक्षा और प्रदर्शन के नजरिए से प्रमाणित रिएक्टर्स हैं।
स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMRs) के बारे में
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