क्रिसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की वार्षिक पवन ऊर्जा क्षमता वित्त वर्ष 2024-25 में लगभग 3.4 GW थी। यह वित्त वर्ष 2026-27 में दोगुनी होकर लगभग 7.1 GW हो जाएगी।
भारत में पवन ऊर्जा की स्थिति
- कुल स्थापित पवन ऊर्जा क्षमता: यह एक दशक से भी कम समय में दोगुनी से भी अधिक हो गई है। यह जनवरी 2025 तक 48.16 GW तक पहुंच गई है। वर्तमान में, भारत कुल स्थापित पवन ऊर्जा क्षमता के मामले में विश्व में चौथे स्थान पर है।
- नवीकरणीय ऊर्जा में भूमिका: भारत के नवीकरणीय एनर्जी मिक्स में पवन ऊर्जा दूसरी सबसे बड़ी योगदानकर्ता है, जबकि सौर ऊर्जा शीर्ष स्थान पर है। गौरतलब है कि भारत की सौर ऊर्जा की स्थापित क्षमता 100 GW से अधिक है।
- पवन ऊर्जा उत्पादन की उच्च क्षमता वाले राज्य: गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश आदि।

पवन ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई पहलें
- राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति (2018): यह भूमि उपयोग और ग्रिड स्थिरता को अनुकूलित करने के लिए पवन एवं सौर ऊर्जा के संयोजन वाली हाइब्रिड परियोजनाओं को बढ़ावा देती है।
- अपतटीय पवन ऊर्जा नीति (2015): गुजरात और तमिलनाडु के तटों पर पहचानी गई क्षमता के साथ अपतटीय पवन ऊर्जा के विकास को प्रोत्साहित करती है।
- हरित ऊर्जा मुक्त पहुंच नियम (2022): उपभोक्ताओं के लिए नवीकरणीय ऊर्जा तक आसानी से पहुंच की सुविधा प्रदान करते हैं। इससे पवन ऊर्जा अपनाने को बढ़ावा मिलता है।
- नवीकरणीय ऊर्जा क्रय दायित्व (RPO): यह विद्युत वितरण कंपनियों को विद्युत का एक हिस्सा पवन एवं अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त करने का आदेश देता है।