रिपोर्ट में इस तथ्य को उजागर किया गया है कि भारत और चीन में बढ़े निवेश ने यूरोप एवं संयुक्त राज्य अमेरिका में स्लोडाउन को दूर करने में मदद की है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र
- वैश्विक मांग: 2023 तक के आंकड़ों के अनुसार इसमें 25% की वृद्धि हुई है, जबकि निवेश मांग में 29% की बढ़ोतरी हुई है।
- वैश्विक आपूर्ति: मुख्य रूप से खदानों से होने वाले उत्पादन एवं पुनर्चक्रण के कारण इसमें 1% की वृद्धि हुई है।
- 2025 के लिए आउटलुक: सेंट्रल बैंक्स और गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स मांग को बढ़ा सकते हैं।
- भारत: RBI ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में 73 टन सोना भंडारित किया है। इससे सोने का हिस्सा रिकॉर्ड 11% तक बढ़ गया है।
भारत में सोने की मांग में वृद्धि के लिए जिम्मेदार कारक
- समृद्धि एवं सामाजिक रुतबे का प्रतीक: भारत में सोना अनुष्ठानों और परंपराओं का अभिन्न अंग है। जैसे- हिंदू और जैन परंपराओं में इसे एक पवित्र धातु माना जाता है।
- निवेश और सुरक्षा: विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में इसे पोर्टेबिलिटी में रखने के दृष्टिकोण से महत्त्व दिया जाता है।
- शादियां: वार्षिक सोने की मांग का 50% हिस्सा विवाह-संबंधी खरीदारी से आता है।
स्वर्ण संसाधन की स्थिति
- भारत: 2022 के खान मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार स्वर्ण अयस्क (प्राथमिक) के दृष्टिकोण से सबसे बड़े संसाधन बिहार (44%) में अवस्थित हैं। इसके बाद राजस्थान (25%), कर्नाटक (21%), पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश (3% प्रत्येक) तथा झारखंड (2%) का स्थान है।
- वैश्विक: स्वर्ण भंडार के प्रमुख धारकों में शामिल हैं- संयुक्त राज्य अमेरिका> जर्मनी> इटली> फ्रांस> चीन> स्विट्जरलैंड> भारत> जापान।
- शीर्ष निर्यातक: वर्ल्ड इंटीग्रेटेड ट्रेड सॉल्यूशन, 2023 के अनुसार जर्मनी> यूरोपीय संघ> स्विट्जरलैंड> संयुक्त राज्य अमेरिका> जापान।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के बारे में
|