मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA) अभियान भारत की लिम्फैटिक फाइलेरियासिस (LF) उन्मूलन रणनीति का एक मुख्य घटक है।
लिम्फैटिक फाइलेरियासिस (LF) के बारे में
- यह एक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (NTD) है। इसे "हाथी पांव" या एलिफेंटियासिस के नाम से भी जाना जाता है।
- कारक: यह रोग फिलारियोइडिया कुल के सूक्ष्म परजीवी नेमाटोड (राउंडवॉर्म) के कारण होता है।
- फाइलेरिया परजीवी का जीवन चक्र: संक्रमण आमतौर पर बचपन में होता है। यह मानव शरीर के लिम्फैटिक सिस्टम (लसीका तंत्र) को प्रभावित करता है। इससे शरीर के अंग असामान्य रूप से बढ़ने लगते हैं।
- संचरण: मच्छरों के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संचारित होता है।
- प्रभाव: शारीरिक और दीर्घकालिक दिव्यांगता, लिम्फोएडेमा (अंगों की सूजन) और हाइड्रोसील (अंडकोष की सूजन)।
मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA) क्या है?
- कार्यान्वयन एजेंसी: इसे राष्ट्रीय वैक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र (NCVBDC) के नेतृत्व में शुरू किया गया है।
- मंत्रालय: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय।
- उद्देश्य: संक्रमित व्यक्तियों के रक्त प्रवाह में मौजूद सूक्ष्म फ़ाइलेरिया परजीवियों को समाप्त करके 13 राज्यों के 111 स्थानिक जिलों से लिम्फैटिक फाइलेरियासिस का उन्मूलन करना।
- दवा उपचार में शामिल हैं:
- डबल ड्रग रेजिमेन (DA): डायइथाइलकार्बामेज़िन साइट्रेट (DEC) और एल्बेंडाज़ोल।
- ट्रिपल ड्रग रेजिमेन (IDA): आइवरमेक्टिन, डायइथाइलकार्बामेज़िन साइट्रेट (DEC), और एल्बेंडाजोल
- रणनीति: 2030 के SDG लक्ष्य से पहले 2027 तक लिम्फैटिक फाइलेरियासिस को खत्म करने के लिए पांच-आयामी रणनीति को अपनाया गया है-
- मिशन मोड मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA),
- रुग्णता प्रबंधन और दिव्यांगता रोकथाम (MMDP),
- वेक्टर नियंत्रण (निगरानी और प्रबंधन),
- उच्च स्तरीय पक्ष समर्थन, तथा
- नवोन्मेषी पद्धतियां।
राष्ट्रीय वैक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र (NCVBDC) के बारे में
|