भारत का लक्ष्य 2030 तक अपने एनर्जी मिक्स में स्वच्छ प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को वर्तमान 6% से बढ़कर 15% तक करना है। इस संदर्भ में यह रिपोर्ट नीतिगत सुधारों की सिफारिश करती है।
रिपोर्ट में प्रकाशित मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र
- भारत की गैस खपत: 2030 तक इसमें 60% की वृद्धि होगी और शहरी गैस वितरण (CGD) क्षेत्रक प्राकृतिक गैस की मांग में होने वाली इस वृद्धि का नेतृत्व करेगा।
- CGD क्षेत्रक पाइपलाइनों के माध्यम से घरों, उद्योगों आदि को प्राकृतिक गैस की आपूर्ति करता है।
- भारत का गैस उत्पादन: 2023 में 35 बिलियन क्यूबिक मीटर (bcm) तक पहुंच गया है। साथ ही, कृष्णा-गोदावरी डीपवाटर फील्ड्स कुल उत्पादन में एक-चौथाई का योगदान देते हैं।
- आयात: वैश्विक स्तर पर भारत चौथा सबसे बड़ा LNG आयातक है; 2030 तक देश में LNG का आयात दोगुने से अधिक हो जाएगा।
- कॉम्प्रेस्ड बायोगैस (CBG) की क्षमताओं का अभी तक बड़े पैमाने पर दोहन नहीं हुआ है।
- भारत की CBG क्षमता लगभग 87 bcm/yr अनुमानित है, जबकि वर्तमान में स्थापित क्षमता इस क्षमता का 1% से भी कम है।
भारत में गैस क्षेत्रक के समक्ष मौजूद चुनौतियां
- वर्तमान मूल्य निर्धारण से संबंधित मुद्दे:
- लिगेसी क्षेत्रों (पुराने एवं परिपक्व प्राकृतिक गैस क्षेत्र) से गैस की कीमतें लगभग 10 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट (MMBtu) पर सीमित कर दी गई हैं। इससे गैस की सही कीमत प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न होती है।
- डीपवाटर प्रोजेक्ट जैसे उच्च लागत वाले क्षेत्रों से निकलने वाली गैस की कीमतों पर भी सीमाएं निर्धारित की गई हैं।
- सरकारी स्वामित्व वाली गेल/ GAIL (गैस अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड) भारत में गैस के विपणन और पाइपलाइन ट्रांसमिशन दोनों क्षेत्रकों में अग्रणी कंपनी है। इससे हितों के टकराव की संभावना पैदा होती है।
- भारत में भूमिगत गैस भंडारण (UGS) सुविधाओं का अभाव है और LNG भंडारण क्षमता सीमित है।
नीतिगत सिफारिशें
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