मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने लगभग पांच साल के अंतराल के बाद तरलता समायोजन सुविधा (LAF) के तहत नीतिगत रेपो रेट में कटौती का निर्णय लिया।
अन्य महत्वपूर्ण निर्णय
- RBI ने मौद्रिक नीति पर अपना रुख 'तटस्थ' ही बनाए रखा है।
- तटस्थ रुख यह दर्शाता है कि RBI मौजूदा आर्थिक स्थितियों के आधार पर नीतिगत दरों को समायोजित करने में लचीलापन बनाए हुए है।
- वित्त वर्ष 2026 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 6.7% रहने का अनुमान है।
- खाद्य मुद्रास्फीति के दबाव में महत्वपूर्ण "नरमी या कमी" आने की संभावना है, जबकि कोर मुद्रास्फीति में वृद्धि होने की उम्मीद है, लेकिन यह मध्यम बनी रहेगी।
MPC के निर्णयों का औचित्य
- मुद्रास्फीति में गिरावट दर्ज की गई है। साथ ही, संवृद्धि दर में 2024-25 की दूसरी तिमाही के दौरान निचले स्तर से सुधार होने की उम्मीद है।
- वैश्विक वित्तीय बाजारों में अत्यधिक अस्थिरता का जोखिम बना हुआ है और
- प्रतिकूल मौसम की घटनाओं के साथ-साथ वैश्विक व्यापार नीतियों के बारे में अनिश्चितताएं जारी रहेंगी।
तरलता समायोजन सुविधा (Liquidity Adjustment Facility: LAF) के बारे में
- यह एक मौद्रिक नीति उपकरण है। इसका उपयोग केंद्रीय बैंकों द्वारा बैंकिंग प्रणाली में तरलता का प्रबंधन करने के लिए किया जाता है। इसमें रेपो रेट एवं रिवर्स रेपो रेट शामिल हैं।
- रेपो रेट वह ब्याज दर है, जिस पर केंद्रीय बैंक, वाणिज्यिक बैंकों को पूंजी की कमी की स्थिति में उन्हें धन उधार देता है। इसके विपरीत, रिवर्स रेपो रेट वह दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपनी अधिशेष धनराशि को केंद्रीय बैंक के पास रख सकते हैं।
मौद्रिक नीति समिति (MPC) के बारे में
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