CPI विश्व के 180 देशों और क्षेत्रों को उनके सार्वजनिक क्षेत्रक में व्याप्त भ्रष्टाचार के आधार पर उन्हें रैंकिंग प्रदान करता है। यह शून्य (सबसे भ्रष्ट देश) से 100 (कोई भ्रष्टाचार नहीं) के स्कोर पर रैंक देता है
- CPI 2024 रेखांकित करता है कि भ्रष्टाचार जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई को और अधिक कठिन बना रहा है। साथ ही, इसमें अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से भ्रष्टाचार और जलवायु संकट के बीच संबंधों को तोड़ने का आग्रह भी किया गया है।
भ्रष्टाचार जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कार्रवाई को कैसे प्रभावित कर रहा है?
- यह आम लोगों के कल्याण की बजाय छोटे समूहों के हितों की पूर्ति द्वारा महत्वाकांक्षी नीतियों को अपनाने में बाधा डालता है।
- शासनात्मक संरचनाओं को कमजोर करता है, कानून के प्रवर्तन को क्षीण करता है और पर्यावरण संबंधी निर्णय लेने में पारदर्शिता को कम करता है।
- जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक सुभेद्य अधिकांश देशों का CPI स्कोर 50 से नीचे है। इसके कारण यहां पर जलवायु निधि के अन्य उद्देश्य के लिए उपयोग और दुरुपयोग की संभावना सबसे अधिक है।
- भ्रष्टाचार जलवायु परिवर्तन के कारण असमान रूप से पीड़ित सुभेद्य आबादी के हाशिए पर जाने की स्थिति को काफी हद तक गहरा कर देता है।
- जलवायु सम्मेलनों में अस्पष्टता बढ़ाकर और जीवाश्म ईंधन के समर्थकों का पक्ष-पोषण करके बहुपक्षवाद की प्रभावशीलता को कमजोर करता है।
रिपोर्ट में प्रकाशित अन्य महत्वपूर्ण बिंदु
- विश्व की 85% आबादी ऐसे देशों में रहती है, जिनका CPI स्कोर 50 से कम है।
- भारत: भारत ने 100 में से 38 अंक प्राप्त किए हैं। इस प्रकार, यह 180 देशों में से 96वें स्थान पर है। भारत को 2023 से एक अंक कम प्राप्त हुआ है।
- सबसे कम भ्रष्ट: डेनमार्क, उसके बाद फिनलैंड और सिंगापुर।
- सबसे अधिक भ्रष्ट: दक्षिण सूडान, सोमालिया और वेनेजुएला।
रिपोर्ट में की गई सिफारिशें
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