सुप्रीम कोर्ट ने जनजातीय महिलाओं को पुरुषों के समान उत्तराधिकार का अधिकार प्रदान किया | Current Affairs | Vision IAS
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सुप्रीम कोर्ट ने जनजातीय महिलाओं को पुरुषों के समान उत्तराधिकार का अधिकार प्रदान किया

Posted 18 Jul 2025

10 min read

यह निर्णय राम चरण एवं अन्य बनाम सुखराम एवं अन्य वाद में आया है। कोर्ट ने जनजातीय रीति-रिवाजों के आधार पर महिलाओं को उत्तराधिकार से वंचित करने के खिलाफ अपील की सुनवाई पर यह निर्णय सुनाया है।

इस निर्णय के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर

  • जनजातीय महिलाओं को उत्तराधिकार से वंचित करना संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन है।
    • अनुच्छेद 38 और 46 मिलकर संविधान के सामूहिक लोकाचार को दर्शाते हैं, जो यह सुनिश्चित करता है कि महिलाओं के खिलाफ कोई भी भेदभाव न हो।
  • हालांकि, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 अनुसूचित जनजातियों पर लागू नहीं होता है, लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं है कि जनजातीय महिलाओं को उत्तराधिकार से स्वतः ही बाहर कर दिया जाएगा।
  • इस संबंध में संहिताबद्ध प्रथा या रीति रिवाज के तहत प्रतिबंध के अभाव में, कोर्ट को न्याय, समता और सद्भाव के सिद्धांतों को लागू करना चाहिए।
  • इससे संबंधित कुछ उदाहरण:
    • श्रीमान सरवांगो बनाम श्रीमान उर्चामहिन वाद (2013): इसमें समानता के आधार पर बेटियों को उत्तराधिकार का हक देने का आदेश दिया गया था।
    • तिरिथ कुमार बनाम दादूराम वाद (2024): इसके तहत जनजातीय संपत्ति में महिला उत्तराधिकार की हक़दारी को बरकरार रखा गया था।

महत्त्व: यह निर्णय जनजातीय समुदायों में लैंगिक न्याय को आगे बढ़ाता है तथा जनजातीय महिलाओं के उत्तराधिकार संबंधी अधिकारों पर कोर्ट के पूर्ववर्ती सतर्क रुख में बदलाव को दर्शाता है।

कानून के स्रोत के रूप में रीति-रिवाज

  • रीति-रिवाज कानून के सबसे पुराने स्रोतों में से एक हैं। ये मानव व्यवहार को निर्धारित करते हैं और कोर्ट द्वारा मान्यता मिलने पर कानूनी रूप से बाध्यकारी हो जाते हैं।
  • रीति-रिवाजों या प्रथाओं या परंपराओं को बाध्यकारी कानून के रूप में मान्यता प्राप्त करने के लिए तर्कसंगतता, नैतिकता जैसे मानदंडों को पूरा करना होता है। 
  • कुछ रीति-रिवाज तर्क का दमन कर सकते हैं और रूढ़िवादिता को जन्म दे सकते हैं जैसे सती प्रथा, बाल विवाह, ट्रिपल तलाक आदि।
  • Tags :
  • समान उत्तराधिकार
  • महिलाओं के लिए संपत्ति के अधिकार
  • रीति-रिवाज बनाम कानून
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