ये छह समुदाय हैं; ताई अहोम, चाय जनजातियां या आदिवासी (टी ट्राइब्स), मोरान, मोटोक, चुटिया और कोच-राजबोंगशी। वर्तमान में ये समुदाय असम की “अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC)’ सूची में सूचीबद्ध हैं। ये असम राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 27% हैं।
GoM की मुख्य सिफारिशें
- असम में अनुसूचित जनजातियों का त्रि-स्तरीय वर्गीकरण: वर्तमान में, असम में अनुसूचित जनजातियों को दो श्रेणियों में बाँटा गया है — अनुसूचित जनजाति (मैदानी) और अनुसूचित जनजाति (पहाड़ी)। मंत्रियों के समूह ने अनुसूचित जनजाति (घाटी) नामक तीसरी श्रेणी को शामिल करने का प्रस्ताव किया है।
- अनुसूचित जनजाति (मैदानी) को 10% आरक्षण और अनुसूचित जनजाति (पहाड़ी) को 5% आरक्षण प्रदान किए गए हैं।
- केंद्र सरकार के स्तर पर आरक्षण: अनुसूचित जनजाति के सभी समुदाय एक सामान्य (कॉमन) राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति श्रेणी के तहत प्रतिस्पर्धा करेंगे।
- अंतरिम उपाय: राज्य में OBC के लिए वर्तमान 27% आरक्षण कोटा का उप-वर्गीकरण हो।
- OBC के लिए 27% आरक्षण कोटा का उप-वर्गीकरण का अर्थ आरक्षण कोटे को विभिन्न उप-श्रेणियों में विभाजित करना है ताकि आरक्षण के लाभों का अधिक न्यायसंगत रूप से वितरण सुनिश्चित किया जा सके।
संविधान में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने से संबंधित प्रावधान
- अनुच्छेद 366(25): इस अनुच्छेद के अनुसार अनुसूचित जनजातियाँ (ST) वे समुदाय हैं जिन्हें अनुच्छेद 342 के तहत अधिसूचित किया गया है।
- अनुच्छेद 342: इस अनुच्छेद के अनुसार राष्ट्रपति को अनुसूचित जनजातियों की प्रारंभिक सूची अधिसूचित करने का अधिकार है। इस सूची में संशोधन संसद द्वारा कानून बनाकर किया जा सकता है।
- अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल होने के लिए मानदंड: संविधान में किसी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के लिए कोई स्पष्ट मानदंड निर्धारित नहीं है। हालांकि, लोकुर समिति (1965) ने निम्नलिखित मानदंड सुझाए थे:
- आदिम प्रकृति का अभिलक्षण होना,
- विशिष्ट संस्कृति होना
- भौगोलिक रूप से अलग-थलग जिंदगी यानी आम बस्तियों से दूर पहाड़ियों में रहना
- बाहरी लोगों से संपर्क रखने में संकोच, और
- पिछड़ापन।