यह रिपोर्ट आईआईएम बैंगलोर के सेंटर फॉर डिजिटल पब्लिक गुड्स ने तैयार की है। इसमें यह तर्क दिया गया है कि भारत ने एक "मध्यम-मार्ग" डिजिटल मॉडल बनाया है, जो सार्वजनिक और निजी क्षेत्रकों को संतुलित करेगा तथा ग्लोबल साउथ के लिए एक टेम्पलेट के रूप में कार्य करेगा।
डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) के बारे में
- यह प्रौद्योगिकी का उपयोग करके एक अवसंरचना-आधारित दृष्टिकोण है जो प्रौद्योगिकी, बाजार और शासन को समाहित करने वाले एक तंत्र के माध्यम से सामाजिक लक्ष्यों को प्राप्त करता है।
- इसमें लोक हित में खुले मानकों और विशिष्टताओं पर निर्मित साझा डिजिटल प्रणालियां शामिल हैं।
- किसी पहल के DPI के रूप में संचालित होने के लिए शर्तें:
- पहुंच और पैमाना: तीसरे पक्ष को नवाचार करने और विविध अंतिम सेवाएं प्रदान करने के लिए अवसंरचना का एक निर्माण खंड (building block) के रूप में उपयोग करने में सक्षम होना चाहिए।
- गैर-अनन्यता का सिद्धांत: अवसंरचना गैर-भेदभावपूर्ण प्रकृति की और डिजाइन से समावेशी होनी चाहिए।
- महत्त्व:
- वित्तीय समावेशन (जन धन-आधार-मोबाइल ट्रिनिटी) में सहायक; सार्वजनिक सेवा वितरण (उदाहरण के लिए- DPI सक्षम प्रत्यक्ष लाभ अंतरण) में उपयोगी; नवाचार; नागरिकों का सशक्तीकरण का साधन आदि।
भारत के DPI के संबंध में रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- सह-निर्माण मॉडल: सरकार द्वारा संचालित और निजी क्षेत्रक द्वारा सक्रिय। उदाहरण के लिए- UIDAI का आधार तंत्र निजी नामांकन एजेंसियों, बायोमेट्रिक उपकरण निर्माताओं आदि के साथ साझेदारी करता है।
- निर्माण खंड दृष्टिकोण: तीव्र गति से व बाधारहित रीति से सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए DPI व डिजिटल पब्लिक गुड्स (DPG) को एकीकृत किया गया है।
- उदाहरण के लिए- डिजीयात्रा (Digiyatra) (DPG या तकनीकी परिसंपत्ति/ ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर) आधार (DPI) का उपयोग करके कागज रहित यात्रा अनुभव प्रदान करता है।
- विविध क्षेत्रों में विस्तार: भारत की विकास रणनीति के एक प्रमुख स्तंभ के रूप में कार्य करना। उदाहरण के लिए- कृषि (Agri-stack), लॉजिस्टिक्स (ULIP), और शिक्षा (DIKSHA)।
भारत का DPI तंत्र: इंडिया स्टैक
इसमें तीन मुख्य सार्वजनिक सुविधाएं शामिल हैं- विशिष्ट पहचान, बेहतर भुगतान प्रणाली, और डेटा एक्सचेंज।
