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B-रेडी इंडेक्स (B Ready Index)

30 Nov 2024
35 min

सुर्ख़ियों में क्यों?

हाल ही में, विश्व बैंक ने 'बिजनेस-रेडी (B-रेडी) इंडेक्स' का पहला संस्करण लॉन्च किया।

अन्य संबंधित तथ्य

  • B-रेडी, विश्व बैंक की एक नई परियोजना है। इसे चरणबद्ध रूप से तीन साल में पूरी तरह से जारी किया जाएगा। 2024 से 2026 की अवधि वास्तव में इसका रोल आउट चरण है।
    • इसके प्रथम संस्करण में 50 अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं। इनमें भारत शामिल नहीं है। 2026 तक इस सूचकांक में विश्व के 180 देशों का मूल्यांकन शामिल किए जाने की योजना है।
  • B-रेडी फ्रेमवर्क, विश्व बैंक की "ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (EoDB) रैंकिंग की जगह जारी किया गया है। EoDB इस बात का आकलन किया जाता था कि किसी देश में व्यवसाय शुरू करना और संचालित करना कितना आसान है।
    • गौरतलब है कि 2021 में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट को डेटा में अनियमितता पाए जाने और नैतिकता से जुड़ी चिंताओं के कारण जारी करना बंद कर दिया गया।
  • भारत के उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग की व्यवसाय सुधार कार्य योजना रैंकिंग 2024 में B-रेडी इंडेक्स के कुछ संकेतक शामिल होंगे।

B-रेडी इंडेक्स क्या है?

  • परिचय: यह विश्व बैंक समूह की ओर से डेटा संग्रह और विश्लेषण की एक नई परियोजना है। इस सूचकांक के जरिए दुनिया भर के देशों में व्यवसाय और निवेश के माहौल का आकलन किया जाना है। इसके साथ एक वार्षिक कॉर्पोरेट रिपोर्ट भी जारी की जाएगी।
  • उद्देश्य: समावेशी और संधारणीय आर्थिक विकास का समर्थन करने के लिए निजी निवेश को बढ़ावा देना, रोजगार के अवसर पैदा करना और उत्पादकता को बढ़ाना।
    • इसका उद्देश्य यह भी सुनिश्चित करना है कि एकत्रित आंकड़ों के आधार पर विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं की तुलना की जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि ये आंकड़े किसी देश के भीतर व्यापारिक गतिविधियों का सटीक प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • इसका लक्ष्य तीन मुख्य क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करके अपने उद्देश्यों को प्राप्त करना है। ये तीन क्षेत्र हैं:
    • सुधार का समर्थन: यह सुधार से जुड़े बेंचमार्क साझा करके नीतियों में सुधारों को प्रोत्साहित करेगा तथा सरकारों, व्यवसाय जगत और विश्व बैंक के बीच संवाद को बढ़ावा देगा।
    • नीतिगत मार्गदर्शन: यह विश्व के सर्वोत्तम पद्धतियों (बेस्ट प्रैक्टिसेज) के डेटा की तुलना करके नीतियों में बदलाव के लिए सुझाव देगा।
    • विश्लेषण और अनुसंधान: यह निजी क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने वाले कारकों पर शोध का समर्थन करने के लिए विस्तृत डेटा प्रदान करेगा।

B-रेडी इंडेक्स का एनालिटिकल फ्रेमवर्क क्या है? 

  • इस इंडेक्स का एनालिटिकल फ्रेमवर्क वस्तुतः निजी क्षेत्रक के विकास को ध्यान में रखकर तैयार किए गए सुनियोजित दस टॉपिक्स हैं। ये सभी किसी व्यवसाय के विकास चक्र के विभिन्न चरणों को दर्शाते हैं। इनमें व्यवसाय की स्थापना, संचालन (या विस्तार), और बंद करना (या पुनर्गठित करना) जैसे चरण शामिल हैं।
  • क्रॉस-कटिंग थीम: सभी दस टॉपिक्स में तीन महत्वपूर्ण क्रॉस-कटिंग थीम यानी कॉमन थीम शामिल हैं:
    • डिजिटल कार्य-प्रणाली को अपनाना: यह इस बात की जांच करता है कि सरकारें और व्यवसाय जगत अपने कार्यों में डिजिटल तकनीक को कैसे एकीकृत करते हैं।
    • पर्यावरणीय संधारणीयता: यह उन विनियमों और कानूनों का मूल्यांकन करता है जो किसी व्यवसाय के पर्यावरणीय प्रभाव को नियंत्रित करते हैं।
    • जेंडर: इसके तहत व्यवसायों पर कार्यक्रमों और विनियमों के प्रभाव का आकलन करने के लिए जेंडर से जुड़े अनाम डेटा का विश्लेषण किया जाता है।
  • जैसा कि इन्फोग्राफिक्स में दिखाया गया है, प्रत्येक 10 टॉपिक्स के लिए, B-रेडी इंडेक्स में तीन स्तंभों (पिलर्स) पर विचार किया जाता है (इन्फोग्राफिक देखिए)। 

इज ऑफ डूइंग बिजनेस (EoDB) और B-रेडी इंडेक्स के बीच क्या अंतर है?

पहलूEoDB

B-रेडी

मूल्यांकन का मुख्य ध्यान इसमें मुख्य रूप से लघु और मध्यम उद्यमों पर फोकस किया गया था।इसमें समग्र रूप से निजी क्षेत्रक के विकास को शामिल किया गया है।
मूल्यांकनयह केवल कंपनियों पर विनियमन के बोझ का परीक्षण करता था।इसमें कंपनियों पर विनियामकीय बोझ और विनियमन की गुणवत्ता दोनों की जांच की जाती है।
एनालिटिकल फ्रेमवर्कविभिन्न श्रेणियों में 10 संकेतकदस टॉपिक्स, तीन स्तंभ, तीन थीम
डेटा संग्रह का तरीकाइसमें विशेषज्ञों से परामर्श के साथ-साथ केस स्टडीज के आधार पर डेटा संग्रह किया जाता था। इसमें या तो कानूनी (डी ज्यूर) या व्यावहारिक (डी फैक्टो) विनियमनों पर जोर दिया जाता था, लेकिन दोनों पर निरंतर रूप से जोर नहीं दिया जाता था।यह विनियमन के क्षेत्र में संतुलित दृष्टिकोण के लिए विशेषज्ञों की राय और कंपनियों के सर्वेक्षणों के आंकड़ों का उपयोग करता है। इससे विभिन्न देशों या अर्थव्यवस्थाओं के बीच डेटा की तुलनात्मक अध्ययन में सुधार होता है।
भौगोलिक क्षेत्र191 अर्थव्यवस्थाओं के मुख्य व्यवसायिक शहर और 11 अर्थव्यवस्थाओं में दूसरा मुख्य व्यावसायिक शहरB-रेडी इंडेक्स में पहले से व्यापक कवरेज का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें स्थानीय स्तर (छोटे शहर) के विनियमन भी शामिल हैं। 

 

भारत के लिए B-रेडी इंडेक्स को अपनाने का क्या महत्त्व है?

  • प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना: B-रेडी इंडेक्स भारत को विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए अपने कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने में मदद करेगा, जो देश की आर्थिक संवृद्धि के लिए आवश्यक है।
  • ई-कॉमर्स को समर्थन: भारत का लक्ष्य 2030 तक ई-कॉमर्स निर्यात को बढ़ाकर 200 बिलियन डॉलर तक पहुँचाना है। इस प्रकार, यह इंडेक्स डिजिटल व्यापार और लॉजिस्टिक्स में आने वाली बाधाओं की पहचान करने और उन्हें दूर करने में मदद करेगा।
  • तथ्यों पर आधारित नीति: इंडेक्स से प्राप्त डेटा से व्यवसाय से जुड़ी चुनौतियों के बारे में जानकारी मिल सकती है। इससे नीति निर्माता व्यवसायों के लिए बेहतर नीतियां बना सकेंगे और व्यवसायों को नियमों का पालन करने में आसानी होगी।
  • नवाचार को प्रोत्साहित करना: डिजिटलीकरण और संधारणीयता पर जोर देने के कारण यह इंडेक्स व्यवसायों को नवाचार करने के लिए प्रेरित करेगा, जिससे उत्पादकता बढ़ेगी।
  • समावेशिता को बढ़ावा देना: इस इंडेक्स में लैंगिक समानता के टॉपिक को भी शामिल किया गया है। इस तरह यह समावेशी विकास तथा महिलाओं और कम प्रतिनिधित्व वाले समूहों को आर्थिक गतिविधियों में शामिल करने के भारत के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होगा।
  • निगरानी: नियमित तौर पर अपडेट प्राप्त होने से भारत को अपनी प्रगति की निगरानी करने और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए रणनीतियों में सुधार करने में मदद मिलेगी।
  • पारदर्शिता और डेटा सुरक्षा: यह डेटा संग्रह से जुडी प्रक्रियाओं और सुरक्षा उपायों को अपनाकर डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। साथ ही, यह बी-रेडी मैनुअल और हैंडबुक जैसे बुनियादी डाक्यूमेंट्स बनाकर पारदर्शिता को बढ़ावा देगा।

आगे की राह

  • गुड गवर्नेंस को बढ़ावा देना: प्रभावी नीतियों को तैयार करने और लागू करने के लिए सरकारी संस्थानों का क्षमता निर्माण करने की आवश्यकता है।
  • हितधारकों को शामिल करना: सुधार प्रक्रिया में व्यवसाय जगत, नागरिक समाज और अन्य समूहों को शामिल करके सहयोग व समर्थन को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
  • क्षमता निर्माण: व्यवसाय जगत को बेहतर तरीके से सहायता प्रदान करने के लिए स्थानीय सरकारों (निकायों) को प्रशिक्षण और संसाधन प्रदान करना चाहिए।
  • समावेशी विकास को बढ़ावा देना: यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि सुधार का लाभ लघु और मध्यम उद्यमों सहित सभी प्रकार के व्यवसायों को मिले।
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