सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, मालदीव के राष्ट्रपति ने पिछले साल राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद भारत की अपनी पहली द्विपक्षीय राजकीय यात्रा की।
यात्रा के प्रमुख परिणामों पर एक नज़र

- दोनों पक्षों ने "व्यापक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा साझेदारी (Comprehensive Economic and Maritime Security Partnership)" के विज़न को अपनाने की घोषणा की है। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- विकासात्मक सहयोग: ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना आदि को समय पर पूरा करने में सहायता करने पर सहमति बनी है।
- व्यापार और आर्थिक सहयोग: द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा शुरू की गई है। दोनों देशों ने विदेशी मुद्राओं पर निर्भरता कम करने के लिए अपनी-अपनी मुद्राओं में व्यावसायिक लेन-देन शुरू करने पर सहमति व्यक्त की है।
- डिजिटल और वित्तीय पहल: मालदीव में रुपे (RuPay) कार्ड की शुरुआत से मालदीव जाने वाले भारतीय पर्यटकों के लिए भुगतान करने में आसानी होगी।
- स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग: मालदीव सरकार द्वारा भारतीय फार्माकोपिया को मान्यता देने की दिशा में काम किया जाएगा। इसके बाद मालदीव में भारत-मालदीव जन औषधि केंद्रों की स्थापना की जाएगी।
- दोनों देशों ने 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर और 30 बिलियन भारतीय रुपये के करेंसी स्वैप एग्रीमेंट (CSA) पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे मालदीव को अपने विदेशी मुद्रा भंडार के प्रबंधन में मदद मिलेगी।
- इस संबंध में SAARC करेंसी स्वैप फ्रेमवर्क 2024-27 के तहत हस्ताक्षर किए गए हैं।
- करेंसी स्वैप एग्रीमेंट दो देशों के बीच एक वित्तीय समझौता होता है, जिसके तहत दोनों देश एक निश्चित विनिमय दर पर अपनी-अपनी घरेलू मुद्राओं में व्यापार करते हैं। इसके बाद, एक निश्चित तिथि पर दोनों देश/ पक्ष उन मुद्राओं को आपस में सहमत दर पर एक-दूसरे को वापस कर देते हैं।
- हनीमाधू अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर रनवे का उद्घाटन और थिलाफुशी में एक नए वाणिज्यिक बंदरगाह के विकास के लिए भारत ने समर्थन देने की घोषणा की है।
भारत के लिए मालदीव का महत्त्व
- भू-राजनीतिक: मालदीव अपनी अवस्थिति के कारण भारत की NFP (नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी) तथा SAGAR (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) हेतु अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
- सामरिक:
- मालदीव भौगोलिक रूप से पश्चिमी हिंद महासागर चोकपॉइंट्स (अदन की खाड़ी और होर्मुज जलडमरूमध्य) और मलक्का जलडमरूमध्य के पूर्वी हिंद महासागर चोकपॉइंट के बीच एक 'टोल गेट' की तरह स्थित है।
- हिंद महासागर में प्रमुख शिपिंग लेन के किनारे स्थित, मालदीव नौवहन की स्वतंत्रता, क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के मामले में भारत के हितों का केंद्र है।
- भू-अर्थशास्त्र: मालदीव महत्वपूर्ण समुद्री संचार मार्गों (Sea lines of communication: SLOCs) के निकट स्थित है।
- भारत का 50% विदेशी व्यापार और 80% ऊर्जा आयात मालदीव के आसपास अवस्थिति इन SLOCs से होकर गुजरता है। इसके अलावा, भारत 2023 में लगभग 1 बिलियन डॉलर का आंकड़ा पार करके मालदीव का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार बनकर उभरा है।
- सुरक्षा: मालदीव के साथ मजबूत संबंध भारत को IOR में चीन की महत्वाकांक्षी 'स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स' कूटनीति का मुकाबला करने में सक्षम बनाएगा।
- आतंकवाद और पायरेसी या समुद्री डकैती से निपटना: भारत के लिए मालदीव आतंकवाद, हिंद महासागर में समुद्री डकैती, मादक पदार्थों की तस्करी आदि के खिलाफ रक्षा हेतु अग्रिम मोर्चे के रूप में काम करता है।
- प्रवासी भारतीय और पर्यटन: मालदीव में कार्यबल का एक बड़ा हिस्सा भारतीय प्रवासियों का है। ये प्रवासी विशेष रूप से स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा जैसे क्षेत्रकों में कार्यरत हैं। साथ ही, यह भारतीयों के लिए एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है, जिससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होता है।
द्विपक्षीय संबंधों में चुनौतियां

- चीन के रणनीतिक फुटप्रिंट: बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI), स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स, मालदीव के बुनियादी ढांचे में निवेश आदि के माध्यम से मालदीव में चीन की बढ़ती उपस्थिति ने भारत के लिए चिंताएं पैदा कर दी हैं।
- उदाहरण के लिए- सिनामाले पुल का निर्माण, मालदीव को सैन्य सहायता हेतु समझौता, आदि।
- कट्टरपंथ: मालदीव में रूढ़िवादी इस्लामी कट्टरपंथियों की संख्या में वृद्धि, जिनमें पाकिस्तान समर्थित जिहादी आतंकवादी समूह, इस्लामिक स्टेट (IS), आदि शामिल हैं।
- भारत की चिंता: ये आतंकवादी संगठन भारत और भारतीय परिसंपत्तियों पर हमले के लिए मालदीव को लॉन्च पैड के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
- भारत विरोधी भावना: जैसे- वर्तमान मालदीव शासन के तहत भारत विरोधी भावनाएं बढ़ना, भारतीय सैन्य टुकड़ियों और हेलीकॉप्टरों की वापसी की मांग करना, भारत समर्थित बुनियादी ढांचे के विकास को रोकना, इंडिया आउट कैंपेन, आदि।
- पारदर्शिता की कमी और गलतफहमी: मालदीव की पिछली सरकार और भारत के बीच हस्ताक्षरित समझौतों पर स्थानीय मालदीव मीडिया द्वारा आपत्तियां उठाना।
- उदाहरण के लिए- भारतीय अनुदान सहायता वाले UTF (उथुरु थिला फाल्हू-द्वीप) हार्बर परियोजना के बारे में मालदीव की मीडिया ने यह आरोप लगाया था कि इसे मालदीव के तटरक्षक बंदरगाह और डॉकयार्ड की बजाय भारतीय नौसैनिक अड्डे में बदल दिया जाएगा।
द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की दिशा में आगे की राह
- सहयोग और परियोजनाएं: भारत द्वारा चीनी परियोजनाओं के विकल्पों की पेशकश करने के लिए सहयोग में तेजी लाने की जरूरत है। साथ ही, ग्रेट माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को समय पर पूरा करने की आवश्यकता है।
- वित्तीय सहायता में वृद्धि: मालदीव को चीन की कूटनीति के 'लाभ के बदले ऋण' मॉडल से मुक्त होने में मदद करने के लिए भारत द्वारा मालदीव को अधिक आर्थिक सहायता प्रदान की जानी चाहिए।
- सुरक्षा सहयोग: दोनों देशों को संयुक्त रक्षा अभ्यास, खुफिया जानकारी साझा करने जैसे उपायों के माध्यम से आतंकवाद-रोधी, कट्टरपंथ-रोधी क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकता है।
- सॉफ्ट डिप्लोमेसी और धारणा प्रबंधन: भारत को भारत विरोधी भावनाओं को दूर करने, मालदीव के लोगों में भारत के प्रति विश्वास पैदा करने और उनकी सद्भावना अर्जित करने के लिए प्रवासन, फिल्म, संगीत और लोगों के बीच संपर्क जैसे अपने सांस्कृतिक पहलुओं को शामिल करने की आवश्यकता है।
- गुजराल सिद्धांत: भारत को गुजराल सिद्धांतों का पालन करने की आवश्यकता है। उल्लेखनीय है कि ये सिद्धांत अपने निकटतम पड़ोसियों के साथ भारत के विदेश संबंधों के संचालन का मार्गदर्शन करते हैं।