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संक्षिप्त समाचार

30 Nov 2024
27 min

इस रिपोर्ट की थीम “हारनेसिंग सोशल प्रोटेक्शन फॉर जेंडर इक्वेलिटी, रिजिलिएंस एंड ट्रांसफॉर्मेशन” है।

  • यह समग्र, लैंगिक रूप से अनुक्रियाशील सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों के निर्माण में प्रगति, कमियों और चुनौतियों का आकलन करती है। 

लैंगिक रूप से अनुक्रियाशील सामाजिक संरक्षण (GRSP) की आवश्यकता क्यों हैं?

  • लैंगिक रूप से अनुक्रियाशील दृष्टिकोण सक्रिय रूप से निम्नलिखित जेंडर विशिष्ट जोखिमों, सुभेद्यताओं और बाधाओं का समाधान करने का प्रयास करते हैं:
    • संसाधनों तक महिलाओं की कम पहुंच;
    • महिलाओं पर अवैतनिक देखभाल और घरेलू कार्यों की अधिक जिम्मेदारी; 
    • लैंगिक हिंसा और निर्णय लेने में महिलाओं की भागीदारी का अभाव आदि।
  • GRSP दृष्टिकोण की अवधारणा इस तथ्य पर आधारित हैं कि लैंगिक आधार पर जोखिमों और बाधाओं की प्रकृति एवं तीव्रता अलग-अलग होती है।

इस रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर 

  • दो अरब महिलाओं और लड़कियों को किसी भी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा जैसे नकद लाभ, बेरोजगारी बीमा, पेंशन या स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध नहीं है।
  • 63 प्रतिशत से अधिक महिलाएं अभी भी मातृत्व लाभ के बिना ही बच्चे को जन्म दे रही हैं।
  • संघर्ष, जलवायु परिवर्तन व आर्थिक बाधाओं जैसे कारकों के कारण जेंडर विशिष्ट जोखिम एवं सुभेद्यताएं और बढ़ गए हैं।

इस रिपोर्ट में की गई मुख्य सिफारिशें

  • मौजूदा सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों, नीतियों और पहलों में लैंगिक अंतराल व पूर्वाग्रहों को दूर करना चाहिए।
  • लैंगिक रूप से संवेदनशील रोजगार नीतियों और सार्वजनिक सेवाओं को बेहतर करना चाहिए।
  • अकस्मात और दीर्घकालिक संकट के दौरान महिलाओं व बालिकाओं की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सामाजिक सुरक्षा नीतियों एवं पहलों को सक्षम बनाना चाहिए।
  • सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए अधिकार-आधारित दृष्टिकोण को अपनाना चाहिए।

विदेश मंत्रालय और श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने ई-माइग्रेट पोर्टल और मोबाइल ऐप लॉन्च किया।

ई-माइग्रेट पोर्टल के बारे में

  • यह विदेशों में रोजगार की तलाश कर रहे भारतीय कामगारों के प्रवास को सुविधाजनक बनाने और प्रबंधित करने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है।
  • इसका उद्देश्य प्रवासी कामगारों को सूचना की उपलब्धता, दस्तावेजीकरण, हेल्पलाइन सहायता आदि सहित अलग-अलग सेवाएं प्रदान करना है।
  • इसमें 24x7 बहुभाषी हेल्पलाइन की सुविधा होगी। साथ ही, इसके तहत दस्तावेजों को सुरक्षित रूप से स्टोर करने और आव्रजन के मामले में कागज रहित मंजूरी प्राप्त करने के लिए डिजिलॉकर को एकीकृत किया जाएगा।
  • यह विदेशी नियोक्ताओं, रोजगार दिलाने वाले पंजीकृत एजेंटों और बीमा कंपनियों को एक साझा मंच पर लाता है। इससे सुरक्षित और वैध प्रवासन को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने पी.एम.-यशस्वी/ PM-YASASVI (वाइब्रेंट इंडिया के लिए पी.एम. यंग अचीवर्स स्कॉलरशिप पुरस्कार योजना) पहल के प्रभावों का उल्लेख किया है। 

पी.एम.-यशस्वी के बारे में

  • लक्ष्य: सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित छात्रों के लिए शैक्षिक सहायता को सुव्यवस्थित करना।
  • यह एक अम्ब्रेला योजना है। इसका उद्देश्य अन्य पिछड़ा वर्गों (OBCs), आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों (EBCs) और विमुक्त जनजातियों (DNT) के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है।
  • इसमें डॉ.अंबेडकर पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना का विलय किया गया है। इस योजना के तहत EBC और DNT समुदायों के छात्रों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती थी।  

प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत मुफ्त फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति की जाएगी।

  • चावल के फोर्टिफिकेशन में FSSAI द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार सामान्य चावल (कस्टम मिल्ड राइस) में फोर्टिफाइड चावल के दाने मिलाए जाते हैं। इन दानों में आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी12 जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं। 
    • फोर्टिफिकेशन में चावल, गेहूं, तेल, दूध और नमक जैसे मुख्य खाद्य पदार्थों में प्रमुख विटामिन एवं खनिज तत्व मिलाए जाते हैं। इससे उनकी पोषण क्षमता में सुधार होता है और कुपोषण से निपटा जा सकता है। 

फोर्टिफाइड चावल पहल के बारे में

  • पृष्ठभूमि: यह पहल 2022 में शुरू की गई थी। इस योजना का तीन-चरणीय रोलआउट मार्च 2024 तक सफलतापूर्वक पूरा हो गया था।
  • तर्क:
    • कुपोषण से निपटना: फोर्टिफिकेशन एनीमिया और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से निपटने के लिए एक लागत प्रभावी तरीका है।
    • अधिक पहुंच: चावल सूक्ष्म पोषक तत्वों की आपूर्ति के लिए एक आदर्श साधन है, क्योंकि यह भारत की 65% आबादी का मुख्य भोजन है।
  • पहल में शामिल की गई योजनाएं:
    • लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS),
    • एकीकृत बाल विकास सेवाएं (ICDS),
    • पी.एम. पोषण (पूर्व में मध्याह्न भोजन योजना), तथा 
    • सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अन्य कल्याणकारी कार्यक्रम।
  • वित्त-पोषण: यह PMGKAY के खाद्य सब्सिडी घटक के हिस्से के रूप में केंद्र द्वारा 100% वित्त-पोषण के साथ केंद्रीय क्षेत्रक की पहल है
    • PMGKAY के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के 81.35 करोड़ लाभार्थियों को राशन की दुकानों के माध्यम से प्रति माह 1 किलो दाल के साथ 5 किलो मुफ्त गेहूं/ चावल प्रदान किए जाते हैं।
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