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पी.एम. गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (PM Gati Shakti National Master Plan)

30 Nov 2024
39 min

सुर्ख़ियों में क्यों? 

हाल ही में, पी.एम. गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान की शुरुआत के तीन वर्ष पूरे हुए। गौरतलब है कि पी.एम. गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान को वर्ष 2021 में आरंभ किया गया था।

पी.एम. गति शक्ति (PMGS) के बारे में

  • पी.एम. गति शक्ति: यह ज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार पर आधारित समकालिक, समग्र, एकीकृत और व्यापक योजना निर्माण के माध्यम से भरोसेमंद अवसंरचना के विकास में तेजी लाने की एक योजना है।
    • यह योजना अग्रलिखित 7 इंजनों द्वारा संचालित है:- रेलवे, सड़क, बंदरगाह, जलमार्ग, हवाई अड्डे, मास-ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स अवसंरचना।
  • उद्देश्य: रहन-सहन को आसान बनाना, व्यवसाय करने में सुगमता लाना, अवरोधों को कम करना और लागत में दक्षता को अपनाकर कार्यों को पूरा करने में तेजी लाना।
  • पी.एम. गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (PMGS-NMP) के बारे में:
    • इसे BISAG-N (भास्कराचार्य नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस एप्लीकेशंस एंड जियोइंफॉर्मेटिक्स) ने डिजिटल मास्टर प्लानिंग टूल के रूप में विकसित किया है। ऐसा भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) प्लेटफॉर्म का उपयोग करके किया गया है।
    • इसे ओपन-सोर्स तकनीक के आधार पर बनाया गया है और भारत सरकार के क्लाउड मेघराज पर होस्ट किया गया है। यह इसरो सैटेलाइट इमेजरी और सर्वे ऑफ इंडिया बेस-मैप्स को एकीकृत करता है।
    • यह अलग-अलग मंत्रालयों की मौजूदा और भविष्य की परियोजनाओं पर व्यापक डेटाबेस प्रदान करता है। इनमें भारतमाला, सागरमाला, अंतर्देशीय जलमार्ग, ड्राई/ लैंड पोर्ट और उड़ान (UDAN) जैसी योजनाएं शामिल हैं।

पी.एम. गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान की आवश्यकता क्यों पड़ी?

  • योजनाओं में समन्वय की कमी:
    • विभिन्न योजनाओं में समन्वय की कमी के कारण अलग-अलग विभागों द्वारा केबल, गैस पाइपलाइन और जल की पाइपलाइनें बिछाने के लिए बार-बार सड़क की खुदाई की जाती रही है। इससे जनता को लगातार असुविधा होती है और अनावश्यक खर्च होता है।
  • स्थापित अवसंरचना का बहुत कम या बिल्कुल उपयोग नहीं होना:
    • योजना बनाते समय क्षमता का सही से आकलन नहीं करने के कारण अवसंरचना परियोजनाओं की पूरी क्षमता का उपयोग नहीं हो पाता है। इससे राजस्व का अत्यधिक नुकसान होता है।
    • उदाहरण के लिए- पाइपलाइन कनेक्टिविटी में देरी के कारण कोच्चि में तरल प्राकृतिक गैस (LNG) टर्मिनल 2013 से अपनी पूर्ण क्षमता से कम पर कार्य कर रहा है।
  • मानकीकरण का अभाव: 
    • अवसंरचना के प्रत्येक घटक के लिए समान विनिर्देशों के बावजूद परियोजना को अलग-अलग तरीके से  डिजाइन किया जाता है। इससे विभागों का अनावश्यक खर्च बढ़ जाता है।
    • उदाहरण के लिए- प्रत्येक रेलवे ओवर ब्रिज (ROB) के लिए नए डिज़ाइन पर सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के साथ-साथ रेल मंत्रालय की मंजूरी की भी आवश्यकता होती है। इससे परियोजना पूरी होने की अवधि बढ़ जाती है और जनता को असुविधा का सामना करना पड़ता है।
  • समन्वय का अभाव और मंजूरी मिलने में देरी:
    • एक भी मंजूरी (क्लियरेंस, भूमि अधिग्रहण, आदि) प्राप्त होने में देरी से परियोजना में बड़े पैमाने पर विलंब हो सकता है।
    • उदाहरण के लिए, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के एक हिस्से में सड़क निर्माण का कार्य पूरा होने के बावजूद एक रेलवे ओवरब्रिज के लिए रेलवे से मंजूरी मिलने में विलंब होने के कारण परियोजना में 11 महीने की देरी हुई।

पी.एम. गति शक्ति योजना अवसंरचना विकास की बाधाओं को कैसे दूर कर रही है?

  • स्मार्ट योजना और निगरानी के लिए भू-स्थानिक सूचना का उपयोग: GIS और सैटेलाइट इमेजरी से रियल टाइम डेटा का उपयोग करते हुए, पी.एम. गति शक्ति योजना डेटा-आधारित विश्लेषण प्रदान करती है। इससे अधिक सूचनाओं के आधार पर निर्णय लेने में सहायता मिलती है।
  • दक्षता में सुधार के लिए स्मार्ट लॉजिस्टिक्स: यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (ULIP) को लॉजिस्टिक्स क्षेत्रक में दक्षता, पारदर्शिता और समन्वय को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • सामूहिक विजन के लिए विभागों द्वारा अलग-अलग कार्य करने की प्रथा को दूर करना: नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (NPG) अवसंरचना विकास में सामंजस्य सुनिश्चित करने के लिए अलग-अलग मंत्रालयों के प्रयासों में समन्वय कर रहा है।
  • परियोजना बनाने की प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव: डिजिटल सर्वेक्षणों के उपयोग से वर्तमान में परियोजना की प्लानिंग में तेजी आई है और अधिक सटीक योजना बनाई जा रही है। उदाहरण के लिए, एक वर्ष में रेल मंत्रालय ने 27,000 किलोमीटर रेलवे लाइनों को कवर करते हुए 400 से अधिक रेलवे परियोजनाओं की प्लानिंग की है।
  • मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी: राजमार्गों, रेलमार्गों, बंदरगाहों, हवाई अड्डों, मास अर्बन ट्रांसपोर्ट और अंतर्देशीय जलमार्गों के एकीकरण के जरिए यह पहल वस्तुओं की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करती है।
  • एजेंसियों के बीच मंजूरी प्रक्रियाओं का सरलीकरण: उदाहरण के लिए- पर्यावरण मंत्रालय की ऑनलाइन पर्यावरण मंजूरी प्रणाली की वजह से मंजूरी प्राप्त करने में लगने वाला समय 600 दिनों से घटाकर केवल 162 दिन रह गया है।

पी.एम. गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के समक्ष क्या चुनौतियां हैं?

  • सरकारी डेटा को डिजिटल स्वरूप देने में देरी तथा इन डेटा को आपस में साझा करने में समस्या: सरकारी डेटा के भंडारण और प्रोसेसिंग में मानकीकरण एवं यूनिवर्सल प्रोटोकॉल के अभाव से डेटा एकीकरण और एकीकृत समाधानों के विकास में बाधा उत्पन्न होती है।
    • सरकारी डेटा, विशेषकर भू-अभिलेखों के डिजिटलीकरण की कमी के कारण एकीकृत निर्णय लेने में बाधा आती है।
  • डेटा सुरक्षा संबंधी चिंताएं: इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने अवसंरचना संबंधी अधिक महत्वपूर्ण डेटा साझा करने के बारे में चिंता व्यक्त की है।
    • निजी कंपनियां डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध संवेदनशील अवसंरचना संबंधी डेटा से मौद्रिक लाभ उठा सकती हैं। 
  • निजी क्षेत्रक के साथ कम डेटा साझा करना: यह 6 ट्रिलियन रुपये के लक्ष्य वाली राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (NMP) के तहत अवसंरचना परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण से जुड़े निर्णय लेने में चुनौतियाँ आ रही हैं। ज्ञातव्य है कि NMP में मुख्य अवसंरचना संबंधी परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण किया जाना है।
  • पी.एम. गति शक्ति के दायरे से बाहर के क्षेत्र से जुड़ी मुख्य समस्याएं: भूमि अधिग्रहण अक्सर भारत के विकास में बड़ी बाधा है। भूमि अधिग्रहण से संबंधित समस्याओं के कारण कई विकास परियोजनाएं स्थगित हो जाती हैं।
  • पी.एम. गति शक्ति के तहत समाधान नहीं की गई अन्य चुनौतियां: जैसे- कानूनी समस्याएं, अवसंरचना विकास के कारण स्थानीय आबादी में अलगाव की समस्या, पर्यावरणीय मानकों का अनुपालन न करना, आदि।

भारत पी.एम. गति शक्ति के कार्यान्वयन में कैसे सुधार कर सकता है?

  • भूमि अधिग्रहण और परियोजना की मंजूरी से जुड़ी नौकरशाही प्रक्रियाओं को आसान बनाना चाहिए। अलग-अलग विभागों के बीच समन्वय बढ़ाने से इन प्रक्रियाओं में तेजी आ सकती है। समय पर परियोजना पूरी करने के लिए ऐसा करना जरूरी है।
  • कुछ प्रमुख समस्याओं का समाधान करना: अधिक सार्वजनिक व्यय की वजह से उत्पन्न होने वाली संरचनात्मक और मैक्रोइकॉनॉमिक स्थिरता से संबंधित समस्याओं का समाधान करना चाहिए।
    • भूमि अधिग्रहण से जुड़े निर्णयों से निपटना: अवसंरचना हेतु नई भूमि अधिग्रहित करने के बजाय नीति-निर्माताओं को GIS और रिमोट सेंसिंग का उपयोग करके क्षरण वाली भूमि या प्रदूषित क्षेत्र की पहचान करनी चाहिए और इनका पुनर्विकास करना चाहिए।
  • गति शक्ति प्लेटफ़ॉर्म को निजी क्षेत्रक के लिए खोलना: सरकार निजी कंपनियों को गैर-संवेदनशील डेटा साझा करके सहयोग और पारदर्शिता को बढ़ावा दे सकती है।
  • जिला-स्तरीय विस्तार: पी.एम. गति शक्ति जिला मास्टर प्लान पोर्टल विकेंद्रीकृत योजना निर्माण सुनिश्चित करेगा। इससे अलग-अलग क्षेत्रों और स्थानीय समुदायों में समावेशी विकास को बढ़ावा मिलेगा।

निष्कर्ष

पी.एम. गति शक्ति पहल भारत में अवसंरचना विकास के लिए परिवर्तनकारी कदम है। इसका उद्देश्य बाधा रहित और दक्ष मल्टीमॉडल परिवहन नेटवर्क बनाना है। विभिन्न मंत्रालयों के प्रयासों को एकीकृत करके और एडवांस तकनीकों का लाभ उठाकर, यह पहल पूरे देश में कनेक्टिविटी को बढ़ाने और लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने का प्रयास करती है।

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