सुर्ख़ियों में क्यों?
विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन को संयुक्त रूप से 2024 का फिजियोलॉजी का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। उन्हें यह पुरस्कार माइक्रो RNA की खोज और पोस्ट-ट्रांसक्रिप्शनल जीन रेगुलेशन में उनकी भूमिका के बारे में शोध के लिए दिया गया है।
इस खोज के बारे में
- 1993 में, विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन ने माइक्रो RNA की खोज की थी और यह पाया था कि यह ट्रांसक्रिप्शन के बाद जीन रेगुलेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- 1993 तक, यह माना जाता था कि जीन रेगुलेशन मुख्य रूप से ट्रांसक्रिप्शन फैक्टर्स नामक विशेष प्रोटीन द्वारा नियंत्रित होता है। तत्पश्चात यह ट्रांसक्रिप्शन फैक्टर्स डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA) में निर्धारित क्षेत्रों से जुड़कर यह तय करते थे कि कौन-से मैसेंजर राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA) (mRNA) का निर्माण होगा।
- बाद में यह पता चला कि माइक्रो RNA द्वारा किया जाने वाला रेगुलेशन जीन एक्सप्रेशन प्रक्रिया के बाद के चरण यानी पोस्ट-ट्रांसक्रिप्शन में होता है।
- एम्ब्रोस और रुवकुन ने उत्परिवर्तित कैनेरहैबडाइटिस एलीगेंस सूत्रकृमि के अध्ययन के जरिए माइक्रो RNA की भूमिका की खोज की। इन सूत्रकृमियों में जीन के दो स्थानों पर हुए बदलावों के कारण विकास संबंधी दोष उत्पन्न हो गए थे।
- इस खोज ने जीन रेगुलेशन के एक बिल्कुल नए सिद्धांत को उजागर किया, जो मनुष्यों सहित बहुकोशिकीय जीवों के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ।
माइक्रो RNA (miRNA) के बारे में
- माइक्रो RNA लघु आकार के नॉन-कोडिंग RNA होते हैं। ये कोशिकाओं को जीन एक्सप्रेशन को रेगुलेट करने में मदद करते हैं। नॉन-कोडिंग RNA, DNA संकेतों को प्रोटीन में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सिंगल-स्ट्रैंडेड मॉलिक्यूल्स होते हैं।
- माइक्रो RNA, mRNA के साथ जुड़कर और उन्हें प्रोटीन में परिवर्तित होने से रोककर या mRNA को पूरी तरह से नष्ट करके जीन एक्सप्रेशन को नियंत्रित करता है।
- नाभिक में प्रोटीन RNA ट्रांसक्रिप्शन और स्प्लिसिंग को नियंत्रित करते हैं जबकि माइक्रो RNAs साइटोप्लाज्म में mRNA के ट्रांसलेशन और निम्नीकरण को नियंत्रित करते हैं।
- मानव शरीर में विभिन्न माइक्रो RNA के लिए हज़ार से ज़्यादा जीन होते हैं। साथ ही, 'माइक्रो RNA द्वारा जीन रेगुलेशन' सभी बहुकोशिकीय जीवों में घटित होने वाली एक सार्वभौमिक प्रक्रिया है।
जीन रेगुलेशन के बारे में
- यह वह प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि कौन से जीन, किस समय, किस स्थान और किस मात्रा में प्रकट (expressed) होंगे। गौरतलब है कि जीनोम में कई जीन शामिल होते हैं।
- आनुवंशिक सूचना ट्रांसक्रिप्शन नामक प्रक्रिया के माध्यम से DNA से mRNA में जाती है और फिर प्रोटीन उत्पादन के लिए सेलुलर मशीनरी में जाती है।
- यह किसी सजीव को पर्यावरणीय परिवर्तनों के प्रति प्रतिक्रिया करने में सहायता करता है।
- जीन एक्सप्रेशन:
- मानव अंग और ऊतक विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं से बने होते हैं। मानव शरीर की हर कोशिका में गुणसूत्र होते हैं। गुणसूत्र कोशिका के काम-काज के लिए ज़रूरी आनुवंशिक जानकारी वहन करते हैं और गुणसूत्रों में समान जीन सेट होते हैं।
- अतः जीन रेगुलेशन के कारण अलग-अलग कोशिकाएं (जैसे- मांसपेशी कोशिकाएं, तंत्रिका कोशिकाएं, आदि) प्रोटीन के विशिष्ट सेट को प्रकट या एक्सप्रेस करती हैं, जो कोशिकाओं को अपने विशेष कार्य करने में सक्षम बनाती हैं।

ट्रांसक्रिप्शन और ट्रांसलेशन के बारे में
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इस खोज का महत्त्व/ उपयोग
माइक्रो RNA (miRNAs) की खोज से जीन रेगुलेशन और इसके द्वारा निभाई जाने वाली विभिन्न प्रक्रियाओं से संबंधित कई पहलुओं को समझने में मदद मिली है, जैसे-

- कोशिकीय विकास: miRNAs जीन अभिव्यक्ति को पोस्ट-ट्रांसक्रिप्शनल स्तर पर नियंत्रित करके स्टेम सेल्स के स्व-नवीकरण (Self-renewal) और विभेदन (Differentiation) को प्रभावित करते हैं, जिससे ऊतकों और अंगों का विकास सुनिश्चित होता है।
- प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया: miRNAs जन्मजात और अनुकूली प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं के बीच संतुलन बनाए रखते हैं।
- ऑन्कोजेनेसिस: माइक्रो RNA (miRNAs) का असामान्य विनियमन कैंसर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अतिरिक्त, इनके असामान्य विनियमन से जन्मजात विकार भी हो सकते हैं, जैसे कि श्रवण हानि, नेत्र विकार और अस्थि रोग।
- रोग निदान: मानव कैंसर के डायग्नोस्टिक, पूर्वानुमान और थेरप्यूटिक टारगेट के लिए बायोमार्कर के रूप में miRNAs का उपयोग किया जाता है।
राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA) के बारे में
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