सुर्ख़ियों में क्यों?
प्रधान मंत्री ने भारत में पशुधन के लाभ के लिए एकीकृत जीनोमिक चिप और स्वदेशी सेक्स-सॉर्टेड सीमेन प्रौद्योगिकी लॉन्च की है।

एकीकृत जीनोमिक चिप के बारे में
- यह एक सिंगल न्यूक्लियोटाइड पॉलीमॉर्फिज्म (SNP) चिप है।
- उद्देश्य: इसे भारतीय मवेशी की नस्लों के जीनोमिक प्रोफाइलिंग और मूल्यांकन के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- इसने देश में दूध उत्पादन के लिए पाले जाने वाले विविध मवेशियों की आनुवंशिक क्षमता (आनुवंशिक सुधार) को बढ़ाने के लिए DNA तकनीकों के सीधे उपयोग को सक्षम बनाया है।
- ये चिप्स किसानों को उच्च-गुणवत्ता वाले मवेशियों की जल्दी पहचान करने और डेयरी फार्मिंग की कार्यक्षमता को बढ़ाने में मदद करेंगी।
- चिप के प्रकार:
- गौ चिप - गायों के लिए
- महिष चिप - भैंसों के लिए
- इसे पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्रालय के तहत कार्यरत पशुपालन और डेयरी विभाग (DAHD) के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम द्वारा विकसित किया गया है।
- इसमें राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (National Dairy Development Board: NDDB), राष्ट्रीय पशु जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (National Institute of Animal Biotechnology: NAIB), आदि शामिल हैं।
सिंगल न्यूक्लियोटाइड पॉलीमॉर्फिज्म (SNPs) के बारे में![]()
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सेक्स-सॉर्टेड सीमेन प्रौद्योगिकी के बारे में
- सेक्स-सॉर्टेड सीमेन 'जेंडर सिलेक्टेड' सीमेन होता है, जिसका उपयोग मवेशियों और भैंसों में कृत्रिम गर्भाधान (AI) के लिए किया जाता है।
- यह 90% से अधिक की सटीकता के साथ केवल मादा के जन्म को सुनिश्चित करता है, जबकि पारंपरिक सीमेन से नर और मादा के एक समान अनुपात (50:50) में पैदा होने की संभावना होती है।
- 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' पहल के तहत, NDDB ने सेक्स सॉर्टेड सीमेन की स्वदेशी तकनीक विकसित की है।
- अब तक इसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा निर्मित किया जाता था।
आनुवंशिक/ नस्ल सुधार के बारे में
- इसमें बेहतर आनुवंशिक लक्षणों वाले पशुओं का चयन किया जाता है, उनके वीर्य को संरक्षित कर फ्रीज किया जाता है और फिर इसे संबंधित प्रजनन क्षेत्रों में वितरित किया जाता है। इस तकनीक से उच्च गुणवत्ता वाली नस्लें विकसित की जाती हैं, जिससे दूध उत्पादन और पशुओं की गुणवत्ता में सुधार होता है।
- इसेसे स्वदेशी या देशी नस्लों के संरक्षण को भी बढ़ावा मिलता है।
- इसमें कृत्रिम गर्भाधान, इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF), एम्ब्रियो ट्रांसफर टेक्नोलॉजी (ETT), आदि अलग-अलग तकनीकें शामिल हैं।
- आनुवंशिक/ नस्ल सुधार की आवश्यकता के पीछे की मंशा:
- रोग मुक्त क्लोज़्ड हर्ड (झुण्ड) का निर्माण करना।
- जलवायु परिवर्तन को सहने में सक्षम और रोग-प्रतिरोधी नस्लों का विकास करना।
- इससे पशुधन के समग्र आनुवंशिक पूल में स्थायी वृद्धि होती है।
- इससे किसानों को सशक्त बनाने और उनकी आजीविका में सुधार करने में मदद मिलती है।
- विदेशी प्रजातियों और संकर नस्लों पर निर्भरता कम हो जाती है।
आनुवंशिक/ नस्ल सुधार के लिए भारत द्वारा की गई अन्य पहलें

- राष्ट्रीय गोकुल मिशन (2014): इसे स्वदेशी गोजातीय नस्लों के विकास व संरक्षण और गोजातीय आबादी के आनुवंशिक अपग्रेडेशन के उद्देश्य से शुरू किया गया है। इसके तहत निम्नलिखित पहलें शुरू की गई है:
- राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम का कार्यान्वयन।
- गोजातीय इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन तकनीक (IVF) का उपयोग करके नस्ल सुधार कार्यक्रम को बढ़ावा।
- उच्च आनुवंशिक गुणों वाले सांड (Bulls) पैदा करने के लिए संतति परीक्षण (Progeny Testing) और वंशावली चयन कार्यक्रम (Pedigree Selection Programme)।
- ग्रामीण भारत में बहुउद्देश्यीय कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियनों (Multi Purpose Artificial Insemination Technicians in Rural India: MAITRIs) के माध्यम से किसानों के दरवाजे पर गुणवत्तापूर्ण कृत्रिम गर्भाधान सेवाओं की डिलीवरी।
- नस्ल गुणन फार्म (Breed Multiplication Farm) की स्थापना।
- इंडिगऊ (IndiGau): यह भारत की पहली कैटल जीनोमिक चिप है, जो गिर, कांकरेज, साहीवाल, ओंगोल आदि जैसी देशी मवेशियों की नस्लों की मूल किस्मों के संरक्षण के लिए निर्मित की गई है।
- इसे जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तत्वाधान में NAIB द्वारा आरंभ किया गया है।
- अन्य पहलें:
- राष्ट्रीय पशुधन मिशन (National Livestock Mission: NLM), 2014 के तहत नस्ल सुधार एक महत्वपूर्ण घटक है।
- ई-पशुहाट पोर्टल: इसका उद्देश्य गोजातीय जर्मप्लाज्म की उपलब्धता के संबंध में प्रजनकों (Breeders) और किसानों को आपस में जोड़ना है।
- पशु उत्पादकता और स्वास्थ्य के लिए सूचना नेटवर्क (Information Network for Animal Productivity and Health: INAPH): इसे NDDB ने विकसित किया है। यह प्रजनन, पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं पर रियल टाइम में विश्वसनीय डेटा कैप्चर करने की सुविधा प्रदान करता है।
निष्कर्ष
पशुओं के लिए एकीकृत जीनोमिक चिप और स्वदेशी सेक्स-सॉर्टेड सीमेन तकनीक के लॉन्च से मवेशियों की आनुवंशिक क्षमता और उत्पादकता में सुधार होगा। साथ ही, इससे किसानों की आय में वृद्धि और देश की खाद्य सुरक्षा को भी समर्थन मिलेगा।

महत्वपूर्ण स्वदेशी गायों/ भैंसों की नस्लें | |
गाय | |
नस्ल | ब्रीडिंग ट्रैक्ट |
गिर और कांकरेज | गुजरात |
थारपारकर और साहीवाल | पंजाब और राजस्थान |
बद्री | उत्तराखंड |
देवनी, डांगी और खिल्लारी | महाराष्ट्र |
ओंगोल | आंध्र प्रदेश |
भैंस | |
नस्ल | ब्रीडिंग ट्रैक्ट |
बन्नी और जाफराबादी | गुजरात |
भदावरी | उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश |
मुर्रा | हरियाणा और दिल्ली |
मेहसाणा | गुजरात और महाराष्ट्र |