GlobE (ग्लोबई) नेटवर्क (GlobE Network) | Current Affairs | Vision IAS
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संक्षिप्त समाचार

Posted 30 Nov 2024

63 min read

GlobE (ग्लोबई) नेटवर्क (GlobE Network)

भारत को ग्लोबई (ग्लोबल ऑपरेशनल नेटवर्क ऑफ एंटी-करप्शन लॉ इन्फोर्समेंट ऑथोरिटीज) नेटवर्क की संचालन समिति के लिए चुना गया है।

ग्लोबई नेटवर्क के बारे में:

  • उत्पत्ति: इसे 2021 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भ्रष्टाचार के खिलाफ विशेष सत्र (UNGASS) के दौरान स्थापित किया गया था। 
    • यह G20 फ्रेमवर्क के तहत शुरू की गई एक पहल है। इससे पहले, ग्लोबई नेटवर्क के निर्माण के लिए रियाद पहल को 2020 में G20 द्वारा अनुमोदित किया गया था।
  • उद्देश्य: भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जिम्मेदार कानून प्रवर्तन प्राधिकरणों को अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार के मामलों से निपटने के लिए एकजुट करना।
  • गवर्नेंस: यह इसके सदस्यों द्वारा अभिशासित होता है। इसे UNDOC (इसके सचिवालय के रूप में) द्वारा समर्थन प्रदान किया  जाता है।
  • सदस्य: इसमें 121 सदस्य देश और 219 कानून प्रवर्तन प्राधिकरण शामिल हैं।
    • गृह मंत्रालय भारत में ग्लोबई नेटवर्क के लिए केंद्रीय प्राधिकरण के रूप में कार्य करता है।
    • जबकि CBI और ED, सदस्य प्राधिकरण के रूप में भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं।
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  • ग्लोबई नेटवर्क
  • UNGASS
  • UNDOC

नॉन-काइनेटिक वॉरफेयर (Non-Kinetic Warfare)

रक्षा संबंधी संसदीय स्थायी समिति नॉन-काइनेटिक वॉरफेयर से निपटने के लिए भारत की तैयारियों का अध्ययन करेगी। 

नॉन-काइनेटिक या हाइब्रिड वारफेयर के बारे में 

  • यह एक उभरती हुई अवधारणा है, जो सामान्य सैन्य रणनीति से कहीं ज्यादा विविध और व्यापक है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक, साइबर, सूचना, मनोवैज्ञानिक और आर्थिक आयामों से संबंधित युद्ध शामिल होते हैं। इसके अंतर्गत गैर-सैन्य हितधारक भी शामिल हो सकते हैं। 
    • यह पारंपरिक तरीकों की तुलना में अधिक घातक हो सकता है और बिना गोली चलाए भी जीत हासिल की जा सकती है। उदाहरण के लिए- पावर ग्रिड और अस्पताल जैसी महत्वपूर्ण अवसंरचनाओं पर बड़े पैमाने पर साइबर या मैलवेयर हमला। 
  • एक तरफ जहां काइनेटिक युद्धों में टैंकों जैसे सैन्य हथियारों का उपयोग कर भौतिक रूप से लक्ष्यों को नष्ट किया जाता है, वहीं नॉन-काइनेटिक युद्धों में उनके संचालन को बाधित करने के लिए लेजर या इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक तरंगों का उपयोग किया जाता है।
  • हाल ही में लेबनान में हुआ पेजर विस्फोट नॉन-काइनेटिक वॉरफेयर का ही एक उदाहरण है। 
    • इसे रूस-यूक्रेन, इजरायल-फिलिस्तीन संघर्षों के दौरान भी देखा गया।

उभरते खतरे जो नॉन-काइनेटिक वॉर हेतु तत्परता की मांग करते हैं 

  • दुश्मन पड़ोसी: पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान तथा उत्तरी और उत्तर-पूर्वी मोर्चों पर चीन की मौजूदगी भारत को उन्नत रक्षा तैयारियों के लिए बाध्य करती है। 
    • चीन तीन युद्ध रणनीतियों को अपनाता है। इनमें मनोवैज्ञानिक, राजनीतिक और कानूनी रणनीतियां शामिल हैं। 
  • गैर-राज्य अभिकर्ताओं की भूमिका: हाल ही में हिज्बुल्लाह ने ऐसे तरीकों को अपनाया है। 
  • अन्य: मध्य भारत में नक्सली चुनौतियों सहित आंतरिक अस्थिरता, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी उभरती प्रौद्योगिकियां आदि।
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  • नॉन-काइनेटिक
  • हाइब्रिड वारफेयर
  • रक्षा संबंधी संसदीय स्थायी समिति
  • काइनेटिक युद्धों

डेफकनेक्ट 4.0 (Defconnect 4.0)

डेफकनेक्ट 4.0 (DefConnect 4.0) का आयोजन रक्षा मंत्रालय के तहत इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस - डिफेंस इनोवेशन ऑर्गनाइजेशन (iDEX-DIO) द्वारा किया जा रहा है।

मुख्य पहलें:

  • अदिति 2.0 यानी “एक्टिंग डेवलपमेंट ऑफ इनोवेटिव टेक्नॉलजीज विद iDEX’ का दूसरा संस्करण (ADITI 2.0):
    • विशेषताएं: अदिति 2.0 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), क्वांटम टेक्नोलॉजी, एंटी-ड्रोन सिस्टम जैसे क्षेत्रकों में सशस्त्र बलों और संबद्ध एजेंसियों हेतु 19 चैलेंजेज शामिल हैं। 
    • अनुदान: iDEX चैलेंज के विजेताओं को 25 करोड़ रुपये तक की राशि दी जाएगी।
    • फोकस: इसमें 30 महत्वपूर्ण और रणनीतिक रक्षा प्रौद्योगिकियों पर फोकस किया गया है।
  • डिस्क-12 यानी ‘डिफेंस इंडिया स्टार्ट-अप चैलेंज’ का 12वां संस्करण (DISC 12):
    • विशेषताएं: डिस्क-12 में मानव रहित हवाई वाहन (UAV), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), नेटवर्किंग और संचार जैसे प्रमुख प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में 41 चैलेंजेज शामिल हैं।
    • अनुदान: चयनित नवाचारों के लिए 1.5 करोड़ रुपये तक की राशि दी जाएगी।
    • इसे अटल इनोवेशन मिशन के साथ साझेदारी में शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य प्रोटोटाइप विकसित करने और उत्पादों का व्यवसायीकरण करने के लिए स्टार्ट-अप्स, MSMEs और नवाचार करने वालों का समर्थन करना है। 
    • सशस्त्र बलों हेतु चिकित्सा प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए मेडिकल इनोवेशंस एंड रिसर्च एडवांसमेंट (MIRA) पहल की शुरुआत की गई है।

रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (iDEX) स्कीम के बारे में:

  • शुरुआत: इसे मई, 2021 में रक्षा मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था। इस योजना का क्रियान्वयन रक्षा नवाचार संगठन (DIO) द्वारा किया जा रहा है। यह संगठन रक्षा मंत्रालय के तहत एक गैर-लाभकारी कंपनी है। 
  • अनुदान: इस योजना के तहत सपोर्ट फॉर प्रोटोटाइप एंड रिसर्च किक स्टार्ट (SPARK फ्रेमवर्क) के माध्यम से DISC और ओपन चैलेंज के तहत स्टार्ट-अप्स या MSMEs को 1.50 करोड़ रुपये प्रदान किए जाते हैं। iDEX प्राइम के मामले में 10 करोड़ रुपये तक की राशि दी जाती है।  
  • iDEX के तहत 26 उत्पाद विकसित किए गए हैं। इन उत्पादों के लिए 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के खरीद ऑर्डर दिए गए हैं। 
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  • डेफकनेक्ट 4.0
  • एक्टिंग डेवलपमेंट ऑफ इनोवेटिव टेक्नॉलजीज विद iDEX
  • डिस्क-12
  • iDEX

31MQ-9B ड्रोन और दो स्वदेशी परमाणु हमलावर पनडुब्बियों के सौदे को मंजूरी (31 MQ-9B Drones and Nuclear Attack Submarines Deal Clears)

सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने अमेरिका से 31 MQ-9B ड्रोन और दो स्वदेशी परमाणु हमलावर पनडुब्बियों के सौदे को मंजूरी दी

  • 31 MQ-9B प्रिडेटर ड्रोन की खरीद और दो परमाणु ऊर्जा संचालित हमलावर पनडुब्बियों (SSNs) के स्वदेशी निर्माण से भारत की सैन्य शक्ति में वृद्धि होगी।

MQ-9B ड्रोन के बारे में

  • विवरण: ये मानव रहित हवाई वाहन हैं। ये अधिक ऊंचाई पर और बहुत लंबे समय तक आकाश में उड़ान भर सकते हैं। ये खुफिया सूचनाएं जुटाने, टोह लेने और निगरानी करने (Intelligence, Surveillance, and Reconnaissance: ISR) की क्षमताओं से लैस हैं। साथ ही, ये बहुत सटीक हमला करने में भी सक्षम हैं। 
  • विशेषताएं: ये उपग्रह की सहायता से 40 घंटों तक उड़ान बनाए रखने में सक्षम हैं। ये भूमि, समुद्र और हवा में लक्ष्यों को भेद सकता है।
  • इसके दो प्रकार हैं: स्काई गार्डियन और सी गार्डियन (समुद्री श्रेणी)।
  • इस सौदे में 16 स्काई गार्डियन और 15 सी गार्डियन MQ-9B शामिल हैं। सी गार्डियन ड्रोन्स नौसेना को दिए जाएंगे, जबकि स्काई गार्डियन ड्रोन्स थल सेना और वायु सेना (प्रत्येक को 8-8) को सौंपे जाएंगे। 

MQ-9B से संबंधित सौदे का महत्त्व

  • चीन के साथ लगने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) जैसे संवेदनशील क्षेत्रों की निगरानी के लिए भारत की निगरानी और ख़ुफ़िया जानकारी जुटाने की क्षमता को बढ़ावा मिलेगा। 
  • यह सौदा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की सैन्य क्षमता को बढ़ाने पर केंद्रित व्यापक रक्षा आधुनिकीकरण रणनीति का हिस्सा है। साथ ही, यह सौदा उन्नत प्रौद्योगिकियों के साथ परिचालन की तत्परता को और बेहतर बनाएगा। 
  • भारत-अमेरिका के बीच रक्षा साझेदारी को और मजबूत करेगा। 

परमाणु ऊर्जा संचालित हमलावर पनडुब्बियों (SSNs) के बारे में

  • विवरण: इन्हें एंटी-सबमरीन युद्ध, एंटी-सरफेस शिप ऑपरेशन और खुफिया जानकारी जुटाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • विशेषताएं:
  • ये टॉरपीडो और कभी-कभी क्रूज मिसाइलों से लैस होती हैं, लेकिन ये बैलिस्टिक मिसाइल नहीं ले जा सकती हैं। 
  • ये तेज व शांत होती हैं तथा इनका पता लगाना मुश्किल होता है। ये लंबे समय तक पानी के नीचे रह सकती हैं।
  • SSNs संबंधित सौदे का महत्त्व
    • यह सौदा भारत की अवरोधन और परिचालन क्षमताओं को मजबूत करेगा। साथ ही, यह जल के नीचे युद्धक क्षमता की प्रभावशीलता को बढ़ाएगा। 
    • यह मेक इन इंडिया पहल के तहत स्वदेशी रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देगा। 
  • Tags :
  • 31 MQ-9B
  • स्काई गार्डियन
  • सी गार्डियन
  • परमाणु ऊर्जा संचालित हमलावर पनडुब्बियों (SSNs)

एडवांस्ड बैलिस्टिक फॉर हाई एनर्जी डिफीट (Advanced Ballistics for High Energy Defeat: ABHED)

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने IIT दिल्ली के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर ABHED विकसित किया है।

ABHED के बारे में

  • ये हल्के वजन वाली बुलेट प्रूफ जैकेट्स हैं।
  • ये जैकेट्स पॉलिमर और स्वदेशी बोरॉन कार्बाइड सिरेमिक सामग्री से बनाई गई हैं।
  • डिजाइन कॉन्फ़िगरेशन उच्च तनाव दर पर अलग-अलग सामग्रियों के लक्षणों के आधार पर तैयार किया गया है। इसके बाद उपयुक्त मॉडलिंग और सिमुलेशन किया जाता है।
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  • ABHED
  • बुलेट प्रूफ जैकेट्स
  • एडवांस्ड बैलिस्टिक फॉर हाई एनर्जी डिफीट

आकाशतीर सिस्टम्स (Akashteer Systems)

भारतीय थल सेना ने 100 आकाशतीर वायु रक्षा प्रणालियों की खरीद का कार्य पूरा कर लिया है। 

आकाशतीर प्रणालियों के बारे में 

  • ये उन्नत वायु रक्षा नियंत्रण और रिपोर्टिंग प्रणालियां (ADCRS) हैं। ये मिसाइल और रॉकेट हमलों जैसे हवाई खतरों से देश की सुरक्षा करने में महत्वपूर्ण एसेट्स के रूप में काम करेंगी। 
  • इनका निर्माण भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने स्वदेशी रूप से किया है। 
  • महत्त्व: 
    • ये भारतीय सेना को युद्ध क्षेत्रों में कम ऊंचाई वाले हवाई क्षेत्र की निगरानी करने में मदद करेंगी, 
    • ये रियल टाइम में दुश्मन के हमलों पर नजर रखने और जवाबी कार्रवाई करने में मदद करेंगी, आदि।
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  • आकाशतीर सिस्टम्स
  • ADCRS
  • भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL)

वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (Very Short Range Air Defence System: VSHORADS)

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने राजस्थान के पोखरण रेंज में चौथी पीढ़ी के तकनीकी रूप से उन्नत मिनिचराइज़्ड VSHORADS के उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किए।

  • इन परीक्षणों के दौरान इस वेपन सिस्टम ने हिट-टू-किल क्षमता को दोहराने से संबंधित विशेषता को प्रदर्शित किया। 

VSHORADS के बारे में

  • VSHORADS वास्तव में “मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (MANPADS)” है। इसे स्वदेशी रूप से डिजाइन एवं विकसित किया गया है।
  • इसे रिसर्च सेंटर इमारत (RCI) ने DRDO प्रयोगशालाओं और विकास-सह-उत्पादन भागीदारों (DcPPs) अन्य भारतीय उद्योग भागीदारों के साथ सहयोग में डिज़ाइन और विकसित किया है।
  • यह प्रणाली कम दूरी पर निम्न ऊंचाई वाले हवाई खतरों को लक्षित कर सकती है।  
  • इसमें डुअल थ्रस्ट सॉलिड मोटर और अत्याधुनिक अनकूल्ड इमेजिंग इन्फ्रारेड सीकर का इस्तेमाल किया गया है।
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  • VSHORADS
  • मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (MANPADS)
  • वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम

ड्रैगन ड्रोन (Dragon Drone)

हाल ही में रूस-यूक्रेन युद्ध में "ड्रैगन ड्रोन" नामक एक नए प्रकार के ड्रोन का इस्तेमाल किया गया।

ड्रैगन ड्रोन के बारे में

  • यह एक प्रकार का मानव रहित हवाई वाहन है। यह थर्माइट नामक पदार्थ उत्सर्जित करता है। थर्माइट एल्यूमीनियम और आयरन ऑक्साइड का मिश्रण है।
  • थर्माइट: जब इसका दहन किया जाता है, तो यह स्वयं से ही अभिक्रिया उत्पन्न करता है। इस वजह से इसे बुझाना लगभग असंभव हो जाता है।
    • थर्माइट का इस्तेमाल दोनों विश्व युद्धों में किया गया था। मनुष्यों द्वारा इसके संपर्क में आने पर यह जलन पैदा करता है और हड्डियों को नष्ट कर सकता है। इसका प्रभाव गंभीर और कभी-कभी प्राण घातक हो सकता है। 
  • थर्माइट पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंध नहीं लगाया है। हालांकि, नागरिक क्षेत्रों में आगजनी वाले हथियारों का उपयोग “संयुक्त राष्ट्र के कुछ पारंपरिक हथियारों पर कन्वेंशन” द्वारा प्रतिबंधित है।
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  • ड्रैगन ड्रोन
  • थर्माइट
  • मानव रहित हवाई वाहन

थाड मिसाइल रक्षा प्रणाली (THAAD Missile Defense System)

संयुक्त राज्य अमेरिका ने घोषणा की है कि वह इजरायल की सहायता के लिए अपना टर्मिनल हाई-एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD) बैटरी सिस्टम प्रदान करेगा। 

THAAD प्रणाली के बारे में

  • इसे लॉकहीड मार्टिन कॉर्पोरेशन द्वारा विकसित किया गया है। यह शॉर्ट, मीडियम और इंटरमीडिएट रेंज वाली बैलिस्टिक मिसाइल के खिलाफ एक उन्नत रक्षा प्रणाली है।
  • यह एकमात्र अमेरिकी प्रणाली है, जिसे "हिट-टू-किल" तकनीक का उपयोग करते हुए वायुमंडल के बाहर से और वायुमंडल के भीतर से आने वाले टार्गेट्स को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • एक THAAD बैटरी में 95 सैनिक, ट्रक पर लगे लॉन्चर, इंटरसेप्टर, रडार निगरानी और रडार आदि शामिल होते हैं।

नोट: भारत ने रूस से S-400 ट्रायंफ वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली खरीदी है।

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  • लॉकहीड मार्टिन कॉर्पोरेशन

हेलफायर मिसाइल (Hellfire Missile)

भारत ने 170 AGM-114R हेलफायर मिसाइलें खरीदने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

AGM-114R हेलफायर मिसाइल के बारे में 

  • यह कम दूरी की हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल है। इसकी मारक क्षमता लगभग 7-11 कि.मी. है।
  • यह सटीक प्रहार करने वाली, सेमी-एक्टिव लेजर द्वारा निर्देशित होने वाली मिसाइल है।
  • यह अपने मल्टीपर्पस वारहेड्स की मदद से दुश्मन के एयर डिफेंस, गश्ती नौकाओं, कवच, दुश्मन लड़ाकों आदि सहित व्यापक श्रेणी के लक्ष्यों को नष्ट कर सकती है।
  • इसे विमान, मानव रहित  हवाई वाहनों आदि सहित अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स से लॉन्च किया जा सकता है।
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  • हेलफायर मिसाइल
  • AGM-114R
  • सेमी-एक्टिव लेजर

सुर्ख़ियों में रहे अभ्यास (Exercises in News)

  • सैन्य अभ्यास काजिन्द-2024: भारत-कजाकिस्तान वार्षिक संयुक्त सैन्य अभ्यास काजिंद-2024 का 8वां संस्करण औली (उत्तराखंड) में शुरू हुआ।
  • मालाबार सैन्य अभ्यास 2024:
    • यह एक वार्षिक समुद्री सैन्य अभ्यास है। इसे बंदरगाह और समुद्र दोनों जगह आयोजित किया जाएगा।
    • प्रतिभागी: ऑस्ट्रेलिया, जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत।
  • नसीम-अल-बहर 2024: यह गोवा के समुद्री जल में भारतीय नौसेना और ओमान की रॉयल नेवी के बीच आयोजित किया गया था।
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  • काजिन्द-2024
  • मालाबार सैन्य अभ्यास 2024
  • नसीम-अल-बहर 2024
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