सुर्ख़ियों में रहे व्यक्तित्व: रतन नवल टाटा (1937-2024) {Personality In Focus: Ratan Naval Tata(1937-2024)} | Current Affairs | Vision IAS
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सुर्ख़ियों में रहे व्यक्तित्व: रतन नवल टाटा (1937-2024) {Personality In Focus: Ratan Naval Tata(1937-2024)}

Posted 30 Nov 2024

23 min read

परिचय 

हाल ही में, टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन नवल टाटा का निधन हो गया और इसके साथ ही एक महान युग का भी अंत हो गया। वे एक ऐसे प्रभावशाली व्यावसायिक दिग्गज थे, जिन्हें करिश्माई और परिवर्तनकारी नेतृत्व कौशल के लिए जाना जाता था। उनकी असाधारण और विशिष्ट सेवाओं के लिए उन्हें पद्म भूषण (2000) और पद्म विभूषण (2008) से सम्मानित किया गया था। 

प्रारंभिक जीवन

  • जन्म: 28 दिसंबर, 1937 (मुंबई) 
  • स्नातक: उन्होंने कॉर्नेल विश्वविद्यालय से आर्किटेक्चर एंड स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम कोर्स भी किया था।
  • करियर: भारत लौटने के बाद IBM ने उन्हें जॉब ऑफर की थी, लेकिन उन्होंने जे.आर.डी. टाटा के आग्रह पर 1962 में टाटा इंडस्ट्रीज में शामिल होने का फैसला किया। 

रतन टाटा के जीवन से जुड़े कुछ प्रमुख मूल्य 

  • सादगी भरा जीवन: रतन टाटा ने सादगी भरी जीवन शैली को अपनाया, लाइमलाइट से दूर रहे और अपने काम पर ध्यान केंद्रित किया। 
    • उन्होंने आज के दिखावे से प्रेरित उपभोक्तावादी समाज में भी सादा जीवन और उच्च विचार का उदाहरण प्रस्तुत किया।
  • अनुकूलनशीलता और दृढ़-निश्चय: कई बाधाओं के बावजूद, रतन टाटा ने 2008 में टाटा नैनो परियोजना शुरू की, जिसके जरिए मध्यम वर्ग के भारतीयों को सस्ती कारें उपलब्ध कराई जा सकीं। 
  • दूरदर्शिता: उनकी रणनीतिक सोच की बदौलत टाटा समूह का पूरे विश्व भर में विस्तार हुआ। उनके नेतृत्व में टाटा समूह का राजस्व 4 बिलियन डॉलर से बढ़कर 100 बिलियन डॉलर तक हो गया। 
  • नेतृत्व: उनके नेतृत्व में विनम्रता और व्यावहारिक भागीदारी जैसे गुण देखने को मिलते हैं। 
    • वर्ष 1962 में उन्होंने टाटा समूह से जुड़कर अपना करियर शुरू किया। उन्होंने जमीनी स्तर की जटिलताओं को समझने के लिए टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर काम भी किया। 
  • समानुभूति: उनके नेतृत्व में, टाटा ट्रस्ट ने अपने परोपकारी कार्यों का विस्तार किया। यह समाज के प्रति कॉर्पोरेट की जिम्मेदारी की गहरी भावना को दर्शाता है। 
    • प्राकृतिक आपदाओं और विपत्तियों के समय राहत संबंधी प्रयासों में वे और टाटा समूह हमेशा सबसे आगे रहे।
  • सेवा की भावना: टाटा समूह के अध्यक्ष के रूप में, उन्होंने आतंकी हमले के बाद ताज होटल के जीर्णोद्धार का नेतृत्व किया और प्रभावित कर्मचारियों को व्यक्तिगत स्तर पर सहायता प्रदान की। 

रतन टाटा के जीवन से महत्वपूर्ण सबक 

  • करुणापूर्ण पूंजीवाद (Compassionate Capitalism): उन्होंने "करुणापूर्ण पूंजीवाद" की भावना को मूर्त रूप दिया और व्यावसायिक सीमाओं तथा बोर्डरूम से परे जाकर समाज और उद्योग जगत में अपना बहुमूल्य योगदान दिया।
    • उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि टाटा समूह की संपत्ति का उपयोग राष्ट्र की सेवा में भी हो। टाटा संस के लाभांश का 60-65% हिस्सा स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे धर्मार्थ कार्यों के लिए व्यय किया जाता है।
  • कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व: उनका दृष्टिकोण भागीदारीपूर्ण और बॉटम-अप एप्रोच तथा वंचित वर्गों पर ध्यान केंद्रित करने जैसे स्तंभों पर आधारित था। 
  • सामाजिक कल्याण में योगदान: रतन टाटा अपने व्यापारिक प्रयासों से आगे बढ़कर परोपकारी कार्यों के लिए गहराई से प्रतिबद्ध थे।
    • उन्होंने भारत के पहले कैंसर अस्पताल की स्थापना की। 
  • व्यावसायिक नैतिकता: वे नैतिक नेतृत्व में दृढ़ विश्वास रखते थे और अल्पकालिक लाभ की तुलना में मजबूत नैतिक सिद्धांतों, सत्यनिष्ठा और सामाजिक कल्याण को अधिक प्राथमिकता देते थे। 
    • उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि व्यवसाय का मतलब केवल पैसा कमाना नहीं है, बल्कि ग्राहकों और हितधारकों के लिए नैतिक रूप से सही काम करना भी है। 
  • उद्यमिता को बढ़ावा देना: उन्होंने कई उभरते स्टार्ट-अप्स में निवेश किया, जैसे- कैशकरो, स्नैपडील, ओला कैब्स, डॉगस्पॉट, टीबॉक्स इत्यादि। इससे देश में नवाचार की संस्कृति को प्रोत्साहन मिला।
  • संधारणीयता को बढ़ावा: टाटा समूह ने 2045 तक नेट जीरो उत्सर्जन हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।  
    • पेटा इंडिया द्वारा रतन टाटा को उनकी अविन्या कॉन्सेप्ट कार में वीगन (Vegan) इंटीरियर के उपयोग के लिए काऊ-फ्रेंडली फ्यूचर अवार्ड से सम्मानित किया गया था। 
  • ग्लोबल फुटप्रिंट: उनके नेतृत्व में, टाटा समूह ने जगुआर लैंड रोवर और कोरस जैसी कंपनियों का अधिग्रहण कर टाटा समूह का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार किया। इससे वैश्विक मंच पर टाटा समूह एवं देश की स्थिति मजबूत हुई।

निष्कर्ष

रतन टाटा का जीवन नैतिक नेतृत्व का प्रतीक था, जिससे हमें करुणा, मजबूत नेतृत्व, विनम्रता और दृढ़ता जैसे मूल्यवान सबक प्राप्त होते हैं। उन्होंने LGBTQ को समान अवसर देने से लेकर टाटा समूह की कंपनियों में कई सुधार किए। इसलिए, रतन टाटा का जीवन युवाओं, व्यवसायों और सिविल सेवकों आदि सहित सभी वर्गों के लिए मूल्यवान सबक और अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। 

  • Tags :
  • रतन नवल टाटा
  • करुणापूर्ण पूंजीवाद (Compassionate Capitalism)
  • टाटा समूह
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