मध्य प्रदेश और ओडिशा में चौसठ योगिनी मंदिर | Current Affairs | Vision IAS
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मध्य प्रदेश और ओडिशा में चौसठ योगिनी मंदिर

02 May 2025
14 min
  • चौसठ योगिनी मंदिर में मंदिर की परिधि में स्थित कक्षों में योगिनियों की 64 प्रतिमाएं स्थापित हैं।
    • योगिनी योग का अभ्यास करने वाली महिला को संदर्भित करता है और चौसठ हिंदी में संख्या 64 के लिए शब्द है।
  • मंदिर के खुले केंद्रीय प्रांगण में भगवान शिव या शक्ति को समर्पित एक गर्भगृह है, जो प्रत्येक कक्ष से दिखाई देता है। ऐसा माना जाता है कि नर्तक/ नर्तकियां संभवतः इसी केंद्रीय प्रांगण में प्रदर्शन करते थे/ करती थीं।
  • मुख्य विशेषताएं:
    • ये मंदिर आमतौर पर वृत्ताकार हैं, ऊँचे स्थान (या पीठ) पर बने होते हैं और आसमान की ओर खुले होते हैं।
      • हालांकि, अधिकांश मंदिरों की योजना वृत्ताकार है, लेकिन खजुराहो, बड़ोह और रिखियां में स्थित मंदिर आयताकार हैं।
    • प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व: वृत्ताकार योजना समय चक्र, ब्रह्मांडीय व्यवस्था और ऊर्जा के निरंतर प्रवाह को दर्शाती है।
    • नक्काशी: ये मंदिर सरल पत्थर का भार वहन करने वाली संरचनाएं हैं। इनमें मुख्य मंदिर संरचना पर साधारण नक्काशी होती है, जबकि मूर्तियां बारीकी से उकेरी गई हैं।
    • तांत्रिक और योगिक साधनाएं: इन मंदिरों में नारी शक्तिकामुकता और प्रजनन क्षमता का उत्सव मनाते हुए तांत्रिक एवं योगिक अनुष्ठान किए जाते थे।

भारत में चौसठ योगिनी मंदिर

  • मध्य प्रदेश: खजुराहो, मितौली (मुरैना), दुधई (जबलपुर), बड़ोह, हिंगलाजगढ़, शहडोल और नारेसर
  • उत्तर प्रदेश: लाखेरी व रिखियां
  • तमिलनाडु: कांचीपुरम
  • ओडिशा: हीरापुर व रानीपुर

चौसठ योगिनी मंदिर, मुरैना (इकत्तरसो महादेव मंदिर)

  • यह एक वृत्ताकार मंदिर है, जिसका निर्माण कच्छपघात वंश के महाराजा देवपाल ने 1323 ईस्वी में करवाया था।
  • यह मंदिर स्थानीय बलुआ पत्थर से निर्मित है। इसकी बाहरी एवं भीतरी दीवारों पर जटिल नक्काशी व मूर्तियां देखने को मिलती हैं।
  • इस योगिनी मंदिर की विशिष्टता इसकी वृत्ताकार आकृति है। ऐसा माना जाता है कि पुराने संसद भवन की संरचना इसी मंदिर की संरचना से प्रेरित है। 
  • इसका वृत्ताकार विन्यास श्री यंत्र का प्रतीक माना जाता है, जो हिंदू धर्म में एक पवित्र ज्यामितीय आरेख है। यह आरेख ब्रह्मांड और दिव्य नारी शक्ति (शक्ति) का प्रतीक माना जाता है।

चौसठ योगिनी मंदिर, खजुराहो (9वीं शताब्दी में चंदेल वंश के संरक्षण में निर्मित)

  • भारत के सभी चौसठ योगिनी मंदिरों में से खजुराहो का मंदिर निर्माण में सबसे प्राचीन है। इसका आयताकार स्वरूप इसे विशिष्ट बनाता है।
  • यह पूरी तरह से स्थानीय रूप से पाए जाने वाले बड़े दानों वाले ग्रेनाइट पत्थर से बना है, जबकि खजुराहो के अन्य मंदिर मुख्य रूप से बलुआ पत्थर (सैंडस्टोन) से निर्मित हैं।

चौसठ योगिनी मंदिर, बड़ोह (गदरमल मंदिर)

  • इसमें एक आयताकार गर्भगृह है, जिसके ऊपर एक विशाल शिखर बना हुआ है। इसके सामने एक छोटा सा द्वारमंडप है।
  • इस मंदिर के ऊपर छत बाद में जोड़ी गई थी। मूल रूप से बड़ोह मंदिर अन्य योगिनी मंदिरों की तरह बिना छत (Hypaethral) वाला रहा होगा।

 

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