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अनुनय (PERSUASION)

Posted 02 May 2025

Updated 07 May 2025

30 min read

परिचय 

सोशल मीडिया और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसी अत्याधुनिक तकनीकों के विकास के साथ-साथ स्मार्टफोन्स की पहुंच में भी बढ़ोतरी होने के कारण समाज का एक बड़ा हिस्सा भ्रामक सूचनाओं की चपेट में आ गया है। ऐसे समय में अनुनय एक सामाजिक साधन के रूप में लोगों के विश्वास, दृष्टिकोण और व्यवहार को प्रभावित करके भ्रामक सूचनाओं का मुकाबला करने के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण प्रदान कर सकता है। 

एक अवधारणा के रूप में अनुनय

  • अनुनय जानबूझकर किया गया ऐसा प्रयास है जिसमें दूसरों के विश्वासों या कार्यों को तर्क, भावना या विश्वास के जरिए बदलने का प्रयास किया जाता है। इसमें जबरन या सूचनाओं का हेरफेर करके अपनी बात मनवाना शामिल नहीं है।
  • विशेषताएं: अनुनय की प्रक्रिया ज्यादातर जानबूझकर, स्पष्ट और मौखिक होती है। इसमें समान भाषा और रुचियों के जरिए मित्रता जैसा भाव पैदा कर विश्वास हासिल करने की कोशिश की जाती है। 

अनुनय को प्रभावित करने वाले कारक

  • स्रोत: स्रोत की विश्वसनीयता, आकर्षण, विशेषज्ञता, अधिकार, आदि इसके स्रोत हैं।
    • उदाहरण के लिए, डॉ. रणदीप गुलेरिया (पूर्व निदेशक, AIIMS दिल्ली) द्वारा कोविड-19 से जुड़ी जानकारी लोगों तक पहुंचाना।
  • संदेश सामग्री: दर्शकों के लिए संदेश की प्रासंगिकता, संदेश की स्पष्टता और अस्पष्टता, आदि।
    • उदाहरण के लिए, स्वच्छ भारत अभियान में स्वच्छता और स्वास्थ्य व गरिमा पर इसके प्रभाव के बारे में स्पष्ट व प्रासंगिक संदेशों का उपयोग करना।
  • दर्शकों की विशेषताएं: दर्शकों का मौजूदा विश्वास और जानकारी, सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, आदि।
    • उदाहरण के लिए, वित्तीय साक्षरता से जुड़े कार्यक्रमों को आबादी के अलग-अलग वर्गों के आधार पर तैयार करना, जैसे- ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सरल भाषा में संदेश, जबकि शहरी पेशेवरों के लिए थोड़ा अधिक परिष्कृत कंटेंट तैयार करना।
  • पारस्परिकता: अनुरोध करने से पहले कुछ मूल्यवान चीज देना।
    • उदाहरण के लिए, LPG सब्सिडी के लिए 'गिव इट अप' अभियान के बाद पी.एम. उज्ज्वला योजना लॉन्च करना।
  • सामाजिक प्रमाण: यह प्रदर्शित करना कि दूसरे लोगों ने पहले से ही इस विश्वास या व्यवहार को अपना लिया है।
    • उदाहरण के लिए, 'आदर्श ग्राम योजना' के तहत कुछ गांवों को आदर्श गांव के रूप में विकसित करना ताकि अन्य गांवों को भी उनके समान विकास प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किया जा सके।
  • समय और संदर्भ: वह परिवेश जिसमें संदेश दिया जाता है, जैसे- वर्तमान मुद्दे, आदि।
    • उदाहरण के लिए, 'वोकल फॉर लोकल' अभियान को महामारी के दौरान शुरू किया गया, जब आत्मनिर्भरता की भावना और स्थानीय उत्पादों के समर्थन की आवश्यकता अधिक महसूस की जा रही थी।

भ्रामक सूचना के विरुद्ध अनुनय कैसे काम कर सकता है?

  • विश्वास बनाना और विरोध को कम करना: अनुनयकारी संचार में सहानुभूति और भरोसेमंद संदेशवाहकों (जैसे- समुदाय के नेतृत्वकर्ता या परिचित लोग) का उपयोग करके अनुनय के लिए एक सामान्य आधार तैयार किया जाता है। इससे विरोध में कमी आती है और सुधारों के लिए खुलेपन को बढ़ावा मिलता है।
    • उदाहरण के लिए, कोविड वैक्सीन को लेकर लोगों की हिचकिचाहट को दूर करने में, स्थानीय डॉक्टरों या धार्मिक नेताओं द्वारा टीकों के महत्त्व के बारे में जानकारी देना अधिक कारगर साबित हुआ।
  • व्याप्त धारणाओं के विरुद्ध नई धारणाओं का सहारा लेना: केवल आंकड़ों पर निर्भर रहने के बजाय, अनुनयकारी संचार में कहानियों, दृश्यों और भावनात्मक अपील का प्रयोग किया जाता है। यह चीज लोगों से उसी स्तर पर जुड़ने में मदद करती है जिस स्तर पर भ्रामक सूचना काम करती है।
    • उदाहरण के लिए, भ्रामक सूचनाओं के कारण उत्पीड़न का सामना करने वाले लोगों की कहानियां साझा करना (जैसे- किसी व्यक्ति ने पहले कोविड का उपचार लेने से मना किया हो और फिर बाद में इसे पछताना पड़ा हो) केवल वैज्ञानिक अध्ययनों का हवाला देने की तुलना में अधिक प्रभावशाली हो सकता है।
  • टकराव के बिना आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देना: सोक्रेटिक क्वेश्चनिंग (सावधानीपूर्वक निर्मित प्रश्नों की एक श्रृंखला का उपयोग), वैकल्पिक स्पष्टीकरण देना और लोगों को खुद स्रोतों का मूल्यांकन करने के लिए प्रोत्साहित करना, आदि अनुनय के महत्वपूर्ण पक्ष है। ये सभी व्यक्ति को रक्षात्मकता रवैया अपनाने की जगह चिंतन करने के लिए प्रेरित करते हैं।
    • उदाहरण के लिए, कट्टरता से बाहर निकालने से जुड़े कार्यक्रमों में खुले संवाद द्वारा व्यक्ति की विचारधारा संबंधी कमजोरियों पर सवाल किए जाते हैं। इससे व्यक्ति स्वयं अपने विश्वासों पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित होता है।
  • समय के साथ निरंतर जुड़ाव: यदि कोई व्यक्ति किसी भ्रामक सूचना या विश्वास को मानता है, तो वह सिर्फ एक बार समझाने से नहीं समझेगा। इसके लिए अनुनयकारी को बार-बार सम्मानजनक तरीके से उससे बात करनी होगी। इस प्रकार के निरंतर जुड़ाव से उसकी सोच को धीरे-धीरे बदला जा सकता है।  
  • यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि एक बार का फैक्ट-चेक कभी पर्याप्त नहीं होता, क्योंकि गलत जानकारी भावनात्मक रूप से गहराई से जुड़ी होती है।

 

अपनी नैतिक अभिक्षमता का परीक्षण कीजिए

आप भारत के एक ग्रामीण जिले में जिला मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात हैं, जहाँ हाल ही में व्हाट्सएप पर एक झूठी अफवाह फैली है, जिसमें दावा किया गया है कि एक विशेष समुदाय के लोगों ने दूसरे समुदाय को नुकसान पहुंचाने के लिए स्थानीय जल आपूर्ति में जहर मिला दिया है। इस गलत सूचना के कारण तनाव बढ़ गया है, कुछ ग्रामीण पानी पीने से इनकार कर रहे हैं और अन्य कई व्यक्ति आरोपी समुदाय के खिलाफ हिंसा की धमकी दे रहे हैं। स्थिति तेजी से बिगड़ती जा रही है, और सांप्रदायिक हिंसा का खतरा बढ़ रहा है।

उपर्युक्त केस स्टडी के आधार पर, निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

  • इस स्थिति में आपके सामने आने वाली नैतिक और प्रशासनिक चुनौतियों की पहचान कीजिए। इस संकट का समाधान करने के लिए आप अपनी कार्रवाइयों को किस प्रकार प्राथमिकता देंगे?
  • अनुनय के सिद्धांतों (लोकनीति, भावनात्मकता और तर्क) का उपयोग करते हुए, गलत सूचना का मुकाबला करने और ग्रामीणों के बीच विश्वास बहाल करने के लिए एक रणनीति तैयार कीजिए।
  • शिक्षा और सामुदायिक सहभागिता की भूमिका को ध्यान में रखते हुए, आप अपने जिले में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कौन-कौन से दीर्घकालिक उपाय प्रस्तावित करेंगे?
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  • भ्रामक सूचना
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