राष्ट्रीय सुरक्षा में क्वांटम कंप्यूटिंग की भूमिका (Role of Quantum Computing in National Security) | Current Affairs | Vision IAS
Monthly Magazine Logo

Table of Content

राष्ट्रीय सुरक्षा में क्वांटम कंप्यूटिंग की भूमिका (Role of Quantum Computing in National Security)

Posted 02 May 2025

Updated 06 May 2025

38 min read

सुर्ख़ियों में क्यों?

हाल ही में, नीति आयोग के फ्रंटियर टेक हब (NITI-FTH) ने "क्वांटम कंप्यूटिंग: राष्ट्रीय सुरक्षा निहितार्थ और रणनीतिक तैयारी (Quantum Computing: National Security Implications & Strategic Preparedness)" पर एक रणनीतिक-पत्र जारी किया।

क्वांटम कंप्यूटिंग राष्ट्रीय सुरक्षा की धारणा को कैसे बदल रही है

  • क्रिप्टोग्राफी और साइबर सुरक्षा: एक शक्तिशाली क्वांटम कंप्यूटर व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले पब्लिक-की एन्क्रिप्शन एल्गोरिदम को तोड़ सकता है। इससे राष्ट्रों को अपने डेटा की सुरक्षा के लिए पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी (PQC) को अपनाने हेतु बाध्य होना पड़ता है।
  • पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी (PQC): ये क्वांटम हमलों का सामना करने के लिए डिज़ाइन किए गए एल्गोरिदम होते हैं। 
  • उदाहरण के लिए- संयुक्त राज्य अमेरिका का नेशनल क्वांटम इनिशिएटिव एक्ट 2018 राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भविष्य के साइबर खतरों से निपटने हेतु PQC के उपयोग पर जोर देता है।
  • इंटेलिजेंस द्वारा जुटाई गई जानकारी का बेहतर उपयोग: क्वांटम कंप्यूटिंग विशाल और जटिल डेटासेट को पारंपरिक कम्प्यूटर की क्षमता की तुलना में काफी बेहतर तरीके से प्रोसेस करके इंटेलिजेंस विश्लेषण के क्षेत्र में क्रांति ला सकती है। इसके तहत इंटेलिजेंस एजेंसियां पहले से कहीं बेहतर और प्रभावी तरीके से कम्युनिकेशन को इंटरसेप्ट, उसका विश्लेषण एवं डिकोड कर सकती है।
    • उदाहरण के लिए- नाटो की 2024 की रणनीति क्वांटम-रेडी डिफेंस एप्लीकेशंस को बढ़ावा देती है। इसमें क्वांटम-रेसिस्टेंस क्रिप्टोग्राफी के माध्यम से सेंसिंग, इमेजिंग और कम्युनिकेशन को सुरक्षित करना शामिल है।
  • सुरक्षित संचार: क्वांटम-की-डिस्ट्रीब्यूशन (QKD) के तहत दो पक्षों के बीच एन्क्रिप्शन कीज़ को साझा करके संचार को प्रमाणित रूप से सुरक्षित बनाया जाता है।
    • उदाहरण के लिए- चीन ने बीजिंग और शंघाई के बीच दुनिया का सबसे लंबा (2,000 कि.मी.) स्थलीय QKD नेटवर्क बनाया है। इसकी मदद से संवेदनशील डेटा को सुरक्षित रूप से ट्रांसमिट किया जाता है।
  • सैन्य हार्डवेयर: क्वांटम प्रौद्योगिकियां मटेरियल्स साइंस में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगी। इससे अगली पीढ़ी का सैन्य हार्डवेयर विकसित हो सकेंगे।
    • उदाहरण के लिए- क्वांटम-आधारित AI स्वचालित सैन्य ड्रोन और रोबोटिक सिस्टम्स के संचालन को बेहतर बना सकते हैं। इससे आक्रामक और रक्षात्मक दोनों तरह की सैन्य क्षमताओं में वृद्धि होगी।
  • इकोनॉमिक वारफेयर: एन्क्रिप्शन को तोड़ने की क्षमता वित्तीय बाजारों को अस्थिर कर सकती है तथा बैंकिंग और डिजिटल भुगतान प्रणालियों को खतरे में डाल सकती है। इससे आर्थिक सुरक्षा के लिए नए खतरे उत्पन्न हो सकते हैं।
    • उदाहरण के लिए- संयुक्त राज्य अमेरिका के नेशनल क्वांटम इनिशिएटिव एक्ट जैसी पहल आर्थिक और रणनीतिक सुरक्षा दोनों के लिए क्वांटम संबंधी नवाचार की आवश्यकता को उजागर करता है।
  • भू-राजनीतिक शक्ति: क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में जल्दी सफलता प्राप्त करने वाले देश इस क्षेत्र से संबंधित तकनीकी और ज्ञान का आधार स्थापित करने में अग्रणी रहेंगे। ऐसे में अन्य देशों को ऐसी समान क्षमता को स्थापित करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। 
    • उदाहरण के लिए- चीन के मिसियस उपग्रह (2016) ने क्वांटम आधारित सुरक्षित लंबी दूरी के संचार को संभव किया है। यह क्वांटम तकनीक और सुरक्षित नेटवर्क्स में चीन की अग्रणी स्थिति को दर्शाता है।

प्रमुख सिफारिशें

  • निरंतर निगरानी: वैश्विक स्तर पर क्वांटम के क्षेत्र में प्रगति और प्रतिद्वंद्वी देशों की क्षमता को ट्रैक करने के लिए एक क्वांटम टास्क फोर्स की स्थापना करनी चाहिए।
  • क्रिप्टोग्राफिक इंटेलिजेंस: रक्षा, वित्त और महत्वपूर्ण अवसंरचना में क्वांटम से संबंधित सुभेद्यताओं की पहचान करने के लिए नियमित ऑडिट किया जाना चाहिए। 
  • पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी (PQC) ट्रांजिशन प्लान: यह योजना पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी (PQC) को अपनाने के लिए एक कदम दर कदम मार्गदर्शन तैयार करने के बारे में है। इसमें नई अवधारणाओं (प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट्स या POCs) का तेजी से परीक्षण करना, यह सुनिश्चित करना कि वे सही तरीके से काम करें (परीक्षण और प्रमाणन), और विभिन्न उद्योगों के बीच जानकारी साझा करना शामिल है, ताकि PQC को प्रभावी और सुरक्षित तरीके से इस्तेमाल किया जा सके। इसका उद्देश्य PQC को जल्दी अपनाना है, ताकि भविष्य में क्वांटम कंप्यूटरों से होने वाले खतरों से डेटा को सुरक्षित किया जा सके।
    • उदाहरण के लिए- रियल वर्ल्ड ब्राउज़र एन्क्रिप्शन में Kyber जैसे पोस्ट-क्वांटम एल्गोरिदम के साथ गूगल क्रोम द्वारा प्रयोग करना।
  • क्वांटम कार्यबल को सशक्त बनाना: उच्चतर शिक्षा स्तर पर क्वांटम सूचना विज्ञान (QIS) संबंधी शिक्षा की शुरुआत करनी चाहिए; मौजूदा क्वांटम कार्यबल को प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए तथा वैश्विक प्रतिभा के लिए इमिग्रेशन नीति में सुधार करना चाहिए।
  • क्वांटम इकोसिस्टम का निर्माण: जैसे कि संयुक्त राज्य अमेरिका का क्वांटम इकोनॉमिक डेवलपमेंट कंसोर्टियम (QED-C) तथा जापान का क्वांटम स्ट्रैटेजिक इंडस्ट्री अलायंस फॉर रिवॉल्यूशन (Q-STAR)। इनका प्राथमिक उद्देश्य क्वांटम उद्योग को सक्षम बनाना और उसे विकसित करना है।
  • क्वांटम पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: QIS प्रौद्योगिकी विकास में समन्वय हेतु सहयोग करने के लिए समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ क्वांटम पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग स्थापित करना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए- भारत और यूरोपीय आयोग ने 2022 में "हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग (HPC), वेदर एक्सट्रीम्स एंड क्लाइमेट मॉडलिंग एंड क़्वांटम टेक्नोलॉजीस पर सहयोग हेतु इंटेंट ऑफ़ को-ऑपरेशन" पर हस्ताक्षर किए थे।
  • अन्य:
    • अग्रिम चेतावनी प्रणाली: संभावित नवाचारों के लिए साइंटिफिक इंटेलिजेंस का लाभ उठाना चाहिए। 
    • क्रिप्टो एजिलिटी फ्रेमवर्क: क्वांटम-युग को एन्क्रिप्शन संबंधी बदलावों या नवाचारों को तेजी से अपनाने में मदद करने हेतु स्पष्ट निर्देश जारी करने चाहिए।
    • अनुसंधान एवं विकास (R&D) फंडिंग में लचीलापन: उभरते नवाचारों के आधार पर निवेश संबंधी प्राथमिकताओं को अपनाना चाहिए।

निष्कर्ष: रक्षा, खुफिया और सुरक्षित संचार के क्षेत्रकों में रूपांतरणकारी क्षमता के साथ क्वांटम कंप्यूटिंग भारत की रणनीतिक व सामरिक लचीलापन तथा विकसित भारत @2047 के विजन को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण साधन सिद्ध होगी।

क्वांटम प्रौद्योगिकी के संबंध में भारत द्वारा उठाए गए कदम

  • राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM) (2023): इसका उद्देश्य क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना, उसका समर्थन करना तथा उसे आगे बढ़ाना है। इसके अलावा, क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक जीवंत व नवीन इकोसिस्टम का निर्माण करना भी इसके लक्ष्यों में शामिल है।
  • क्वांटम-सक्षम विज्ञान और प्रौद्योगिकी (QuEST) कार्यक्रम (2018): इसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय क्वांटम प्रयोगशालाओं को वित्त-पोषित करके अनुसंधान एवं विकास संबंधी गतिविधियों को बढ़ावा देना और क्वांटम प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए आवश्यक अवसंरचना विकसित करना है।
  • क्वांटम अकादमिक अनुसंधान और नवाचार केंद्र
    • IISc बेंगलुरु: यहाँ क्वांटम एल्गोरिदम, इनफार्मेशन थ्योरी और त्रुटि सुधार पर केंद्रित एक समर्पित केंद्र है।
    • नेशनल मिशन फॉर क्वांटम फ्रंटियर: यह छात्रों और शोधकर्ताओं को क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र के लिए आवश्यक कौशलों का प्रशिक्षण प्रदान करता है।
    • क्वांटम सूचना, संचार और कंप्यूटिंग केंद्र (Centre for Quantum Information, Communication and Computing: CQuICC): इसे IIT मद्रास ने स्थापित किया है। 
  • निजी क्षेत्रक और स्टार्ट-अप्स का योगदान
    • QNu लैब्स एक ऐसा स्टार्ट-अप है, जिसे NQM के तहत चुना गया है। यह दुनिया का पहला एंड-टू-एंड क्वांटम-सुरक्षित हेटेरोजेनियस नेटवर्क विकसित करने और उसे उपयोग में लाने पर काम कर रहा है।
  • अन्य:
    • C-DOT, दिल्ली में क्वांटम संचार प्रयोगशाला (Quantum Communication Lab) और C-DOT द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन (QKD) सोल्यूशंस।
  • Tags :
  • साइबर सुरक्षा
  • क्वांटम कंप्यूटिंग
  • पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी
  • क्वांटम-की-डिस्ट्रीब्यूशन
Download Current Article
Subscribe for Premium Features